Botany notes

पैलीमॉन पैलीमॉन एक जलीय प्राणी है। इसमें श्वसन तंत्र सुविकसित होता है। इसके श्वसनांग निम्नलिखित हैं - 1. एक जोड़ी ब्रैंकियोस्टेगाइट 2. तीन जोड़ी एपिपोडाइट 3. आठ जोड़ी क्लोम। समस्त श्वसन अंग एक जोड़ी क्लोम कक्षों ( Gill chambers) में बंद रहते हैं। क्ल…

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एस्केरिस (Ascaris) एस्केरिस , मनुष्य की आंत में पाया जाने वाला अंतः परजीवी जीव है। इसका जीवन इतिहास एक ही पोषक (मनुष्य) में पूर्ण होता है। मैथुन एवं निषेचन ( Copulation and Fertilization) - नर व मादा पोषक की आंत में मैथुन करते हैं। नर जंतु से शुक्राणु मादा…

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पैरामीशियम में अलैंगिक व लैंगिक दो प्रकार के प्रजनन पाये जाते हैं। अलैंगिक द्विखंडन के द्वारा होता है। अलैंगिक प्रजनन (द्विखण्डन) ( Binary fission) - अलैंगिक जनन या द्विखंडन की क्रिया-विधि उचित ताप, भोजन की प्रचुर मात्रा एवं ऑक्सीजन की सही मात्रा के उपस्थित…

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माइटोकॉण्ड्रिया ( Mitochondria) कोशिकाद्रव्य में कुछ धागेदार ( Filamentous) रचना होती है। ये प्रायः सभी वायवीय कोशिका ( Aerobic cells), जैसे - उच्च पौधे, जन्तु तथा कुछ सूक्ष्मजीव जैसे-कवक, शैवाल तथा प्रोटोजोआ की कोशिकाओं में पाये जाते हैं। इनकी झिल्ली लिपोप…

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प्लाज्मा झिल्ली या जीवद्रव्य कला ( Plasma membrane) सभी कोशिकाओं के चारों तरफ (चाहे वह जन्तु कोशिका हो या वनस्पति या नग्न कोशिकाएँ) एक अत्यन्त पतली, लचीली तथा अर्द्ध पारगम्य झिल्ली ( Semi-permeable membrane) पायी जाती है, जिसे जीवद्रव्य कला ( Plasma membrane…

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कोशिका कोशिका जैविक क्रियाओं की वह न्यूनतम इकाई है, जो कि एक अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली से सीमित होती है तथा बिना किसी जीवित तंत्र की उपस्थिति के स्वतंत्र रूप से प्रजनन की क्षमता रखती है। कोशिका की सामान्य विशेषताएँ (1) सभी कोशिका के चारों ओर प्लाज्मा झिल्ली य…

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वाइरूसॉइड्स (Virusoids) डॉ. जे. डब्ल्यू. रेन्डल्स ( Dr. J. W. Randies) एवं सहयोगियों द्वारा सन् 1981 में की गयी। ये छोटे गोलाकार एकसूत्री RNA के अणु होते हैं, जो वाइरॉइड्स के समान होते हैं। परन्तु ये किसी वाइरस के स्वयं के RNA अथवा जीनोम नहीं होते। किसी भी प्…

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वाइरॉइड्स (Viroids) वाइरॉइड्स संक्रमणकारी रोगकारक ( Infectious pathogen) होते हैं, जो केवल पौधों पर संक्रमण करते हैं। परन्तु अपवादस्वरूप मनुष्य का हिपेटाइटिस- D नामक रोग वाइरॉइड्स के संक्रमण के कारण होता है। संरचनात्मक रूप से ये विषाणुओं से छोटे होते हैं। ये…

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जीवाणुभोजी की संरचना वे विषाणु ( Viruses) जो कि जीवाणुओं का भक्षण करते हैं तथा उनसे अपना भोजन प्राप्त करते हैं, उन्हें हो जीवाणुभोजी ( Bacteriophage) कहते हैं। दूसरे शब्दों में वे विषाणु जो कि जीवाणु कोशिकाओं पर आक्रमण करके परजीवी ( Parasitic) जीवन यापन करत…

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विषाणुओं के आर्थिक महत्व विषाणुओं के आर्थिक महत्व का अध्ययन निम्न शीर्षकों के अंतर्गत किया जाता है - (A) लाभदायक पक्ष ( Useful aspects) (B) हानिकारक पक्ष ( Harmful aspects) (A) लाभदायक पक्ष ( Useful Aspects) 1. आण्विक जीव विज्ञान के अध्ययन में ( In the …

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विषाणु रोगों के लक्षण ( Symptoms of Viral Diseases) पौधों के शरीर पर ऐसे असामान्य लक्षणों का प्रगट होना जिससे इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि पौधा रोगग्रस्त हो गया है, उन्हें रोग के लक्षण ( Symptoms) कहते हैं। विषाणुओं के द्वारा पौधों के शरीर में कई प्…

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विषाणुओं लक्षण ( Characters of Viruses) 1. विषाणु अतिसूक्ष्म ( Ultra microscopic), अकोशिकीय ( Noncellular), संक्रामक ( Infectious) कण होते हैं। 2. ये केवल जीवित कोशिका में ही वृद्धि कर सकते हैं। अर्थात् विषाणु पूर्ण परजीवी ( Obligate parasite) होते हैं। …

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विषाणु ( Virus) विषाणु अकोशिकीय, परासूक्ष्मदर्शीय, प्रोटीन के आवरण में स्थित, नाभिकीय अम्लों की बनी ऐसी संरचनाएँ हैं जो कि केवल जीवित कोशिकाओं के अन्दर ही जनन कर सकती हैं और जीवित कोशिकाओं के बाहर एक रासायनिक अणु के रूप में होती हैं। इनमें रोग उत्पन्न करने क…

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सर्पों की दंशन विधि ( Biting mechanism of Snakes) विषैले सर्पों की स्कल ( Skull) तथा जबड़े की हड्डियाँ जैसे पैलेटाइन ( Palatine) टेरीग्वॉइड ( Pterygoid), स्क्वैमोसल ( Squamosal), क्वाड्रेट ( Quadrate), ट्रान्सवर्स एक्टोटेरीग्वाइड ( Ectopterygoid) तथा मैक्सि…

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भारत में पाए जाने वाले विषैले सर्प भारत में पाये जाने वाले विषैले सर्पों में वाइपर, पिट वाइपर, कोबरा, क्रेट, समुद्री सर्प तथा कोरल सर्प आते हैं। इनका विवरण निम्नलिखित हैं - (1) वाइपर सर्प ( Vipers) -   वाइपर सर्प अत्यधिक विषैले होते हैं। इनकी बेली पर पाये ज…

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मछलियों में प्रवास ( Migration in fishes) बहुत से जीवों की जनसंख्या भोजन के तलाश में, घोंसले बनाने के लिए, जनन के लिए या फिर विपरीत परिस्थितियों से बचाव हेतु एक निश्चित समय के लिए स्थान परिवर्तन करते हैं तथा अपना कार्य पूर्ण करने के पश्चात् वापस लौट आते हैं। …

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प्राणीयो का विशिष्ट गुण एवं उनका वर्गीकरण ऐमोसीट लार्वा (Ammocoete larva) ऐमोसीट लार्वा का वर्गीकरण (Classification of Ammocoete Larva)  -  फाइलम (Phylum)  -  कॉर्डेटा (Chordata)  सब-फाइलम (Sub-Phylum)  -  वर्टीब्रेटा (Vertebreta)  समुह (Group)  -  ऐग्नैथा (A…

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