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भारत में पाए जाने वाले विषैले सर्पो का वर्णन | Description of venomous snakes found in India

भारत में पाए जाने वाले विषैले सर्प

भारत में पाये जाने वाले विषैले सर्पों में वाइपर, पिट वाइपर, कोबरा, क्रेट, समुद्री सर्प तथा कोरल सर्प आते हैं। इनका विवरण निम्नलिखित हैं -

(1) वाइपर सर्प (Vipers) - वाइपर सर्प अत्यधिक विषैले होते हैं। इनकी बेली पर पाये जाने वाले स्केल्स पूरी बेली (Belly) को क्रॉस करते हैं। सिर तिकोने आकार का होता है तथा सिरे पर छोटे-छोटे स्कैल्प पाये जाते हैं। आँखों की प्यूपिल वर्टिकल (Vertical) होती हैं तथा विषदन्त बड़े, इरेक्टाइल (Erectile) एवं फाइब्रस शीट से ढके होते हैं। भारतीय महाद्वीप में वाइपर की निम्नलिखित जातियाँ पाई जाती हैं -

(A) पिट वाइपर (Pit viper) - पिट वाइपर के सिर पर नासाछिद्रों एवं आँखों के बीच दोनों ही तरफ एक गड्ढे लोरियल पिट पाया जाता है। पिट वाइपर्स की निम्नलिखित जातियाँ पायी जाती हैं -

(i) ऐनसिस्ट्रोडॉन हिमालयन्स (Ancistrodon himalayans) - यह भारतवर्ष के उत्तरी तथा पूर्वी भागों के पठारी प्रदेशों में पाया जाता है। यह नीले भूरे रंग का सर्प है, जिसकी त्वचा पर लाल व काले धब्बे पाये जाते हैं। सिर पर शील्ड्स (Shields) अथवा बड़े आकार के प्लेटनुमा स्केल्स उपस्थित होते हैं।

(ii) ऐनसिस्ट्रोडॉन हिपनेल (Ancistrodon hypnale) - यह दक्षिण भारत में पाया जाता है। 

(iii) लैचेसिस स्ट्रीगेटस (Lachesis strigatus) - यह दक्षिणी भारत में पाया जाता है। चमकीले हरे भूरे रंग के इस सर्प की गर्दन पर पीले रंग का घोड़े की नाल के समान चिन्ह तथा आँखों के पीछे भाग में एक काली पट्टी पायी जाती है।

(B) पिटलेस वाइपर (Pitless viper) - पिटलेस वाइपर के सिर पर गड्ढे का अभाव होता है। ये अग्र प्रकार के होते हैं -

(i) रसेल्स वाइपर (Russell's viper) - ये बड़े आकार के होते हैं। पृष्ठतलीय स्केल फैले हुए ऑबलॉग (Oblong) होते हैं तथा शरीर पर गहरे लाल रंग के स्केल्स की तीन कतारें पायी जाती हैं। सिर पर एक 'V' के आकार का चिन्ह पाया जाता है। साधारणत: यह सर्प पंजाब, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत तथा बंगाल में पाया जाता है।

(ii) इकिस कैरिनेटस (Echis carinatus) - यह वाइपर रेगिस्तानों में पाया जाता है। शरीर के डॉर्सल साइड पर उपस्थित स्केल्स खुरदरे तथा नुकीले होते हैं, इसी कारण इसे सॉ स्केल्ड वाइपर (Saw scaled viper) भी कहा जाता है। सिर पर तीर का निशान पाया जाता है।

(2) कोबरा (Cobra) – कोबरा सर्प की दस प्रजातियों में से दो प्रजातियाँ भारत में पायी जाती हैं। डॉर्सल साइड पर उपस्थित स्केल एक ही प्रकार के राम्बॉइड (Rhomboid) अथवा इलेप्टिकल प्रकार के होते हैं तथा उनके बीच कुछ स्थान बना रहता है। सिर पर शील्ड होते हैं। विषदन्त न ही इरेक्टाइल (Eractile) और न ही फाइब्रस शीट से ढँके होते हैं। हुड उपस्थित होता है, प्यूपिल गोलाकार होती है तथा तीसरा सुप्रा लेबियल स्केल बड़े आकार का एक तरफ आँख तथा दूसरी तरफ नेजल स्केल (Nasal scale) से सटा रहता है। कोबरा सर्प के हुड (फन) पर दो गोल मार्क (बाइन आसिलेट कोबरा), एक गोल मार्क (Monocellate cobra) अथवा स्पेक्टेकल मार्क नहीं भी (Acellate cobra) पाया जाता है। सब-कॉडल्स स्केल की दो कतारें क्लोएकल छिद्र के पीछे पायी जाती हैं।

(i) नाजा नाजा अथवा नाजा ट्रिपूडियन्स (Naja naja or N. tripudians) - यह कोबरा भारतवर्ष में सामान्यतः सभी स्थानों पर पाया जाता है। इसमें उपर्युक्त सभी लक्षणों के साथ-साथ फ्रन्टल शील्ड (frontal sheild) अग्र सिरे पर कटी हुई अर्थात् ट्रॅकटेड (Truncated) होती है।

(ii) नाजा हन्नह अथवा नाजा बुंगेरस (Naja hannah or Naja bungarus) - इसे किंग कोबरा भी कहते हैं। इसमें उपर्युक्त सभी लक्षण पाये जाते हैं। किन्तु फ्रन्टल शील्ड कटी हुई नहीं होती, साथ ही के डॉर्सल साइड पर पीले रंग के क्रॉस बार तथा वेन्ट्रल साइड पर दो काले बैंड एवं सिर पर दो काले धब्बे पाये जाते हैं। यह बंगाल, असम, दक्षिण भारत तथा आस-पास के इलाकों में पाया जाता है।

(3) कोरल सर्प (Coral Snake) कोरल सर्प (Callophis melanurus) हिमालय, नेपाल, सिक्किम, असम, भूटान तथा दक्षिण भारत आदि क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यह कई आकर्षक रंगों के छोटे आकार के तथा अत्यधिक विषैले होते हैं। इनका सिर, गर्दन काली होती है तथा उसके पीछे का भाग भूरे या लाल रंग का होता है। कोबरा की भाँति तीसरी सुप्रा लेबियल नेत्र एवं नासाछिद्रों को छूती है, किन्तु हुड नहीं पाया जाता है।

(4) क्रेट सर्प (Krait Snake) क्रेट सर्प (Bungarus coerulens and Bungarus fasciatus) अत्यधिक विषैले सर्प हैं। ये भारतवर्ष के पूर्वी क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इनका शरीर अधिक लम्बा नहीं होता। बेली स्केल्स चौड़े तथा एक ओर से दूसरी ओर तक फैले रहते हैं। सिर पर शील्ड उपस्थित होती है। डॉर्सल साइड पर पृष्ठ मध्य रेखा पर उपस्थित स्केल्स अन्य स्केलों से बड़े हेक्सागोनल (Hexagonal) आकार के होते हैं तथा पूरी लम्बाई में एक कतार में स्थित होते हैं। सब-कॉडल स्केल्स की एक कतार पायी जाती है। क्रेट सर्प की दो उप जातियाँ पायी जाती हैं।

(i) बुंगेरस सेरयूलियस (Bungarus coeruleus) - उपर्युक्त लक्षणों के साथ इसका शरीर स्टील ब्लू (Steel blue) रंग का होता है तथा शरीर पर सफेद रंग के क्रॉस बार (एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व तक) पाये जाते हैं।

(ii) बुंगेरस फैसियेटस (Bungarus fasciatus) - इनके शरीर का रंग पीला होता है तथा शरीर पर काले रंग के क्रॉस बैन्ड्स उपस्थित होते हैं।

(5) समुद्री सर्प (Sea Snakes) - समुद्री सर्प हाइड्रोफिस मैमिलेरिस (Hydrophis mammillaris) समुद्र में पाये जाते हैं। इनकी पूँछ बाइलेटरली चपटी होती है तथा तैरते समय पतवार की भाँति उपयोग में लायी जाती है। बेली पर छोटे-छोटे प्लेप्स उपस्थित होते हैं, नासाछिद्र तथा आँखें शरीर के अग्र सिरे पर उपस्थित होती हैं, तथा विषदंत पाये जाते हैं।