चोरी और प्रायश्चित कहानी में महात्मा गांधी ने किया इन नैतिक मूल्यों की स्थापना

चोरी और प्रायश्चित कहानी का सारांश


गांधीजी जब तेरह वर्ष के थे उस समय एक रिश्तेदार के साथ उन्हें बीडी पीने का शौक लगा | उनके काका जी को बीडी पीने की आदत थी | उन दोनों ने काका जी के द्वारा फेके गए बीडी के ठूंठ को चुराकर पीने लगे | बीडी के ये ठूंठ हर समय नही मिलते थे उनमे से ज्यादा धुँआ भी नही निकलता था | अतः बीडी खरीदने की इच्छा हुई लेकिन पास में पैसा नही होने के कारण नौकर की जेब में से पैसे चुराकर बीडी खरीदने लगे | खरीदे गए बीडी को संभालकर कहा रखा जाए, ये उन लोगो की समस्या थी क्योकि बड़ो के सामने बीडी नही पी सकते थे |

उन लोगो को अपनी पराधीनता खलनी लगी और दोनों ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया | अब समस्या यह थी कि आत्महत्या कैसे की जाए | उन लोगो ने किसी से सूना था कि धतूरे के बीज खाने से मृत्यु होती है तो वे दोनों जंगल जाकर बीज ले आये पर जहर खाने की हिम्मत नही हुई | फिर भी डो चार बीज खाए और ज्यादा खाने की हिम्मत नही हुई | दोनों मौत से डरने लगे और यह निश्चय किया कि क्यों न पराधीनता ही सह ली जाए और आत्महत्या की बात भूल गए |

गांधी जी ने यह माना कि यह आदात गंदी और हानिकारक है | गांधी जी को बीड़ी पीने की इतनी लत लग गयी कि बीड़ी खरीदने के चक्कर में उनके सर पर लगभग पच्चीस रुपये का कर्ज हो गया | इस कर्ज को अदा करने के लिए उसने दूसरी चोरी की जिसे वे अधिक गंभीर मानते है | दूसरी चोरी के समय गांधी जी की उम्र पंद्रह साल की रही होगी | यह चोरी अपने बड़े भाई के सोने के कड़े के टुकड़े की थी | चोरी करके कर्ज तो अदा कर दिया पर गांधी जी के लिए यह बात असहनीय हो गयी | उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि आगे कभी भी चोरी नही करूंगा | उनके अंतरआत्मा से आवाज आने लगी कि पिताजी के सामने अपना दोष स्वीकार कर लेना चाहिए पर उसकी जीभ न खुली |

आखिर में गांधीजी ने तय कर लिया कि वे पिता जी को चिटठी लिखकर अपना दोष स्वीकार कर लेंगे तथा माफी मांग लेंगे | गांधी जी ने चिटठी में सारा दोष स्वीकार करके सजा मांगी और भविष्य में ऐसा अपराध न करने की प्रतिज्ञा की | उसके बाद कांपते हाथो से चिटठी पिताजी के हाथ में दे दी | पिताजी ने चिटठी पढी, उनके आँखों से मोटी की बूंद टपक रही थी | गांधीजी को आत्म संतुष्टि हुई कि उन्होंने चोरी का अपराध स्वीकार कर सच्चा प्रायश्चित किया | गांधी जी ने अपनी गलती को अंतर्मन से स्वीकार कर एक आदर्श नैतिक मूल्यों की स्थापना की |

इस उत्तर से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न -

चोरी का प्रायश्चित कैसे करे?
गांधीजी ने चोरी का प्रायश्चित कैसे किया था?
गांधीजी ने चोरी का प्रायश्चित करके किन नैतिक मूल्यों की स्थापना की?
गांधीजी को बीड़ी की लत कैसे लग गयी?
गांधीजी ने आत्महत्या करने का निश्चय क्यों कर लिया था?

Chori aur Prayashchit kahaani ka saransh
Chori aur Prayashchit kahaani me gandhi ji

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