हरिवंश राय बच्चन प्रखर कवि थे। सामाजिक चेतना का समावेश उन्होंने अपनी कृतियों में बहुत ही आकर्षक ढंग से किया। उनकी कृति 'दो चट्टानें' के लिए उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी आत्मकथा को चार खण्डों में लिखा है। सन् 1975 म…
Continue Readingअनुवाद शब्द का शाब्दिक अर्थ किसी के कहने के बाद कहना है। वर्तमान परिपेक्ष्य में एक भाषा में कही हुई बात को दूसरी भाषा में कहना या बताना अनुवाद कहलाता है। अनुवाद शब्द के प्रयोग के साथ ही कम-से-कम दो भाषाओं की बात सर्वप्रथम सामने आती है। अनुवाद से तात्पर्य एक …
Continue Reading(1) हिन्दी भाषा में विधिसूचक वाक्यों में 'चाहिए' क्रिया का प्रयोग होता है। चाहिए क्रिया की विशेषता है कि यह सदैव एक-सी रहती है। लिंग, वचन, पुरुष आदि से प्रभावित नहीं होती। (2) इसमें चाहिए क्रिया के पूर्व 'ना' का प्रयोग होता है। (3) ये वाक्य वि…
Continue Readingअनुस्मारक जब किसी शासकीय कार्यालय में भेजे गए शासकीय पत्र का उत्तर प्राप्त नहीं होता या उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती तो सम्बद्ध विभाग को एक स्मरण-पत्र भेजा जाता है, इसे अनुस्मारक कहते हैं। स्मरण कराने के लिए भेजे गए पत्र, अनुस्मारक कहलाते हैं। इनका बहुत महत्…
Continue Readingसंरचनाओं की परिभाषा तथा प्रकार भाषा, भाव और विचार अभिव्यक्ति के साधन हैं। विविध प्रकार के भावों और विचारों को व्यक्त करने के लिए हम विविध प्रकार से वाक्य संरचनाएँ निर्मित करते हैं। कभी हम किसी को आज्ञा देते हैं, तो कभी विनम्रतापूर्वक अपनी समस्या का समाधान करन…
Continue Readingपरिपत्र परिपत्र ऐसा पत्र होता है, जो किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं वरन् कार्यालय में कार्यरत सभी व्यक्तियों के बीच प्रसारित और उन्हें सूचित करने के लिए लिखा जाता है। परिपत्रों के सम्बोधन में कार्यालयों, विभागों, एककों के मुख्य अधिकारियों का संकेत होता है। पर…
Continue Readingअन्तर्विभागीय आदेश देने, सूचना प्रसारित करने, कर्मचारियों के प्रार्थना-पत्रों, याचिकाओं का उत्तर देने, उन्हें चेतावनी देने आदि के लिए ज्ञापन का उपयोग होता है। अंग्रेजी में इसे Memorandum (मेमोरेण्डम) कहा जाता है तथा संक्षेप में इसे मेमो से जाना जाता है। इसका …
Continue Reading(i) ज्ञापन का प्रयोग एक ही कार्यालय के अन्तर्गत अन्तर्विभागीय आदेश, सूचनाओं के प्रसारण हेतु किया जाता है। (ii) इसका प्रयोग कर्मचारियों के प्रार्थना-पत्रों, याचिकाओं के उत्तर और चेतावनी देने के लिए भी किया जाता है। (iii) सूचनाएँ एवं व्यवस्था विषयक निर्देश किसी…
Continue Readingव्याख्यात्मक शैली की विशेषताएँ (1) व्याख्यात्मक शैली में वाक्य सरल होते हैं। इससे विषय-वस्तु को समझने में कठिनाई नहीं होती है। (2) व्याख्या पूर्णतः स्पष्ट होती है। स्पष्टता के लिए ही सरल वाक्य, निषेधवाचक पक्ष को भी प्रकट किया जाता है। (3) अपूर्ण वाक्यों या द्…
Continue Readingविनम्रतासूचक संरचनाओं का विशेषताएँ (1) विनम्रतासूचक वाक्य शालीनता और सौम्यता के द्योतक होते हैं। साधारणतया छोटों द्वारा बड़ों के प्रति सम्मानजनक भावाभिव्यक्ति के लिए इसका प्रयोग होता है, किन्तु छोटे-बड़े सभी बिना किसी भेद के विनम्रतासूचक वाक्यों का प्रयोग करत…
Continue Reading(1) श्रीमान, भोजन प्रारम्भ कीजिए। (2) कृपया दो दिन का अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करने का कष्ट कीजिए। (3) मैं आपकी सेवा में सदैव तत्पर हूँ। ( (4) राजा ने विह्वल होकर कहा- मुनिवर, मेरी झोपड़ी में पधारिए, मुझ अकिंचन पर कृपाकीजिए, मेरे अपराधों को क्षमा कीजिए। (5) ए…
Continue Reading(1) देश की रक्षा के लिए तन, मन, धन अर्पण करने को सदैव तैयार रहना चाहिए। (2) सदैव सत्य बोलना चाहिए। (3) बड़ों की आज्ञा माननी चाहिए। (4) हममें धैर्य होना चाहिए। (5) प्राणी मात्र पर दया करनी चाहिए।
Continue Readingसारांश - एक भरे पूरे परिवार में बेला नाम की युवती छोटी बहू के रूप में आती है। वह आधुनिक शिक्षा प्राप्त स्नातक है। उसका पति नायब तहसीलदार के रूप में उसी कस्बे में पदस्थ है। उसके विचार उस परिवार के लोगों से मेल नहीं खाते हैं परिणामस्वरूप परिवार में एक हलचल सी …
Continue Readingविचारात्मक शैली की परिभाषा तथा उदाहरण यह कथन की ऐसी शैली है जिसमें प्रयुक्ति के सारे संरक्षक वाक्य किसी एक विचार या उसके विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत करते हैं। इस शैली में विवरण, मूल्यांकन या व्याख्या नहीं होती है। इस शैली में श्रोता या पाठक के मानस को एक ही के…
Continue Readingविचारात्मक शैली की विशेषताएं (1) भाषा संरचना की दृष्टि से प्रमुख कथ्य को वाचक शब्द का अथवा उसके पर्यायवाची अथवा उसकी भाव छाया को व्यक्त करने वाले शब्द का अथवा उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम का आवर्तन होता है। उपवाक्य भी मुख्य विचार के विविध पक्षों को उजागर करते हु…
Continue Readingमूल्यांकन शैली किसी भी घटना, विषय-वस्तु, व्यक्ति, वस्तु इत्यादि के सम्बन्ध में प्रत्येक व्यक्ति के मानस पटल पर एक प्रतिक्रिया होती है। यह प्रतिक्रिया व्यक्ति विभेद के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। प्रारम्भ से ही मनुष्य का समाजीकरण होता है। वह धीरे-धीरे …
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