विचारात्मक शैली की परिभाषा तथा उदाहरण
यह कथन की ऐसी शैली है जिसमें प्रयुक्ति के सारे संरक्षक वाक्य किसी एक विचार या उसके विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत करते हैं। इस शैली में विवरण, मूल्यांकन या व्याख्या नहीं होती है। इस शैली में श्रोता या पाठक के मानस को एक ही केन्द्रीय बिन्दु पर विचार करने के लिए तथा प्रमुख विचार बिन्दु के चतुर्दिक रखने का उद्देश्य रहता है।
उदाहरण - (1) सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरों के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिरनिवृत्ति का उपाय ही न कर सके। कोई मनुष्य किसी दुष्ट के नित्य दो चार प्रहार सहता है। यदि उसमें क्रोध का विकास नहीं हुआ तो वह केवल आह ऊह करेगा जिसका उस दुष्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(2) विज्ञान की अपेक्षा कवि का दृष्टिकोण अधिक मानवीय होता है। वैज्ञानिक मनुष्य को भी पत्थर, मेढक और बंदर की तुलना में रख उसे प्रकृति के धरातल पर ले आता है और कवि प्रकृति का भी मानवीकरण कर उसे भाव समन्वित बना देता है। काव्य में विज्ञान का-सा सामान्यीकरण रहते हुए भी वैयक्तिकता और आनंद की मात्रा अधिक रहती है।