(1) श्रीमान, भोजन प्रारम्भ कीजिए।
(2) कृपया दो दिन का अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करने का कष्ट कीजिए।
(3) मैं आपकी सेवा में सदैव तत्पर हूँ। (
(4) राजा ने विह्वल होकर कहा- मुनिवर, मेरी झोपड़ी में पधारिए, मुझ अकिंचन पर कृपाकीजिए, मेरे अपराधों को क्षमा कीजिए।
(5) एक करोड़पति सेठ साधु से विनती कर रहा था- देव! मेरे गरीब खाने पर पधारें औररूखा-सूखा ग्रहण करके मुझे कृतार्थ करें।
(6) आपके दौलतखाने में मेरा जाना मेरा अहोभाग्य।
(7) मेरी आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि आप शादी में अवश्य पधारें।
(8) आइये, पधारिये।