व्याख्यात्मक शैली की विशेषताएँ
(1) व्याख्यात्मक शैली में वाक्य सरल होते हैं। इससे विषय-वस्तु को समझने में कठिनाई नहीं होती है।
(2) व्याख्या पूर्णतः स्पष्ट होती है। स्पष्टता के लिए ही सरल वाक्य, निषेधवाचक पक्ष को भी प्रकट किया जाता है।
(3) अपूर्ण वाक्यों या द्विअर्थी वाक्यों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(4) वाक्य सुनिश्चित अर्थ की प्रतीति कराने वाले हों।
(5) व्याख्या में उदाहरणों का अधिक-से-अधिक प्रयोग किया जाता है, ताकि विषय-वस्तु स्पष्ट की जा सके। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कथ्य को हृदयंगम बनाया जाता है।
(6) कारण वाक्य-व्याख्यात्मक शैली में कार्य-कारण वाक्यों का प्रयोग अधिक होता है। इससे व्याख्या के सूत्र एक-दूसरे से सम्बद्ध हो जाते हैं और व्याख्या स्पष्ट हो जाती है।
(7) यदि मान लिया जाए, मानलो इत्यादि काल्पनिक एवं सम्भावनार्थक का भी यथोचित प्रयोग मिलता है।
(8) पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट कर दिया जाता है, उनका पुनः प्रयोग नहीं किया जाता।
(9) अतः, अतएव, वरन, किन्तु, परन्तु, इत्यादि अव्ययों का प्रयोग होता है।
(10) कालवाचक शब्दों का भी आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है।
(11) आशय स्पष्ट करने के लिए अन्ततः, अर्थात् या अथवा इत्यादि का भी प्रयोग किया जाता है।
(12) इस शैली में एक ही बात को विभिन्न तरीकों से कहकर सूत्र की व्याख्या की जाती है।
(13) व्याख्या के संदर्भ में विषय से हटकर व्याख्या नहीं की जानी चाहिए। व्याख्या मूल भाव पर केन्द्रित होना चाहिए।
(14) व्याख्या के सूत्रों को संक्षिप्त पदों में तोड़कर उस पद विशेष को लेकर तुलना या साम्य के आधार पर उसकी व्याख्या की जानी चाहिए।
(15) अध्यापन में यह शैली प्रभाव सिद्ध होती है।
(16) इसमें वक्ता तटस्थ नहीं रहता।