विचारात्मक शैली की विशेषताएं
(1) भाषा संरचना की दृष्टि से प्रमुख कथ्य को वाचक शब्द का अथवा उसके पर्यायवाची अथवा उसकी भाव छाया को व्यक्त करने वाले शब्द का अथवा उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम का आवर्तन होता है। उपवाक्य भी मुख्य विचार के विविध पक्षों को उजागर करते हुए उसे सघन करते हैं।
(2) विभिन्न विषयों के अनुकूल भाषा का प्रयोग होता है।
(3) वैज्ञानिक और वाणिज्य के विषयों से सम्बद्ध प्रतिपादनों में वक्ता तटस्थ होता है। इसमें वस्तुनिष्ठता होती है, किन्तु कला विषयक प्रतिपादनों में वक्ता अधिक मुखर रहता है तथा अपना मत भी व्यक्त करता है।
(4) विषय के विस्तार के लिए विचार भी विस्तृत होते हैं।
(5) इस शैली में भाषा, सरल, सुगठित एवं प्रभावोत्पादक होती है।