t-RNA का क्लोवर लीफ मॉड

t-RNA का आकार छोटा होता है। ये 60 प्रकार के राइबोन्यूक्लिक अम्लों के समूह का बना होता है। ये 20 सक्रिय एमीनो एसिड्स के प्रति बहुत घनिष्ठ संबंध दिखाते हैं और उनसे संयोजित होकर उन्हें प्रोटीन-संश्लेषण वाले स्थान तक ले जाते हैं। t-RNA का आण्विक भार लगभग 25, 000 डाल्टन्स होता है तथा अवसादन स्थिरांक 4S है। इसका प्रत्येक अणु एक पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला का बना होता है।

रॉबर्ट होली (Robert Holly) ने 1964 में यीस्ट (Yeast) में एक t-RNA का विस्तृत अध्ययन करके उसमें उपस्थित सभी न्यूक्लियोटाइड्स का सम्पूर्ण अनुक्रम ज्ञात किया । यीस्ट के इस RNA के न्यूक्लिओटाइड विश्लेषण के आधार पर होली ने t-RNA का क्लोवर लीफ मॉडल प्रस्तुत किया। t-RNA के इस मॉडल में चार भुजाएँ पायी जाती हैं जिसमें एक भुजा एण्टीकोडॉन से युक्त होती है। क्लोवर लीफ मॉडल में 87 न्यूक्लिओटाइड्स पाये जाते हैं। इनमें से आधे न्यूक्लिओटाइड्स सामान्य बेस के होते हैं। प्रत्येक t-RNA अणु पर चार विशिष्ट स्थलों को स्पष्ट पहचाना जा सकता है जो निम्न हैं -

(i) अमीनो एसिड जुड़ने वाला साइट (Amino acid attachment site) - यह t-RNA श्रृंखला के 3 सिरे पर स्थित होता है तथा इसमें राइबोस अणु का OH ग्रुप युग्मन के लिए स्वतंत्र होता है।

(ii) रिकॉग्नीशन साइट (Recognition site) - इस साइट में एक विशिष्ट बेस का अनुक्रम होता है जो t-RNA अणु से उपयुक्त अमीनो एसिड के जुड़ने के लिए निर्देशन देता है।

(iii) कोडॉन रिकॉग्नीशन साइट (Codon Recognition site) - इसमें तीन अयुग्मित बेस होता है, जिनका अनुक्रम m RNAमें स्थित कोडॉन का पूरक होता है अत: यह t-RNA का विशिष्ट क्षेत्र है।

(iv) राइबोसोम-रिकॉग्नीशन साइट (Ribosome Recognition site) - इस साइट के द्वारा t-RNA प्रोटीन संश्लेषण के समय राइबोसोम से जुड़ता है।

दैत्य गुणसूत्र (Giant chromosome) या लैम्पब्रश गुणसूत्र (Lampbrush chromosome)

यह काफी बड़े आकार के क्रोमोसोम होते हैं जो सामान्य आँख से दिखाई दे जाते हैं। ये मछलियों एम्फीबियंस, रेप्टाइल्स व पक्षियों के ऊसाइट में पाये जाते हैं। इनकी लम्बाई 59004 तक होती है। इस गुणसूत्र की खोज सर्वप्रथम यूकर्ट (Ruckert) ने सन् 1892 में की थी ।

प्रत्येक लैम्पब्रश क्रोमोसोम एक मुख्य अक्ष तथा लेटरल लूप्स से मिलकर बना होता है। मुख्य अक्ष चार क्रोमैटिड्स या बाइवेलैण्ट क्रोमोसोम्स का बना होता है। मुख्य अक्ष के क्रोमेटिड्स से लेटरल साइट्स में अनेक लेटरल लूप्स निकले होते हैं, जिसके कारण यह क्रोमोसोम एक टेस्ट ट्यूब ब्रश की तरह लगता है। अतः इसे लैम्पब्रश या दैत्य क्रोमोसोम कहते हैं। मुख्य अक्ष DNA तथा प्रोटीन का बना होता है। प्रत्येक लेटरल लूप के अक्ष के चारों ओर RNA तथा प्रोटीन से निर्मित मैट्रिक्स होती हैं। जिसके कारण ये रोयेंदार प्रतीत होता है, लूप के आधार पर क्रोमोमीयर्स होते हैं जो गहरा स्टेन लेते हैं। जिनके कारण क्रोमोसोम का अक्ष कुण्डलित प्रतीत होता है। लूप अक्ष अत्यन्त लचीला तथा 30Ä से 50Ä तक मोटा होता है। ये क्रोमोसोम अण्डाणुओं के लिए योक (Yolk) का निर्माण करते हैं एवं प्रोटीन-संश्लेषण में मदद करते हैं।