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एम्फिबिया में पैतृक लक्षण | Parental Care in Amphibia in Hindi

एम्फिबिया में पैतृक रक्षण (Parental Care in Amphibia)

विपरीत परिस्थितियों में किसी जीव द्वारा अण्डों की तब तक रक्षा करना जब तक कि उनमें परिवर्धन (Development) समाप्त न हो जाये, पैतृक रक्षण (Parental care) कहलाता है

मुख्य रूप से माता, जब तक बच्चे अपना जीवनयापन करना शुरू न कर दें, तब तक इनकी रक्षा करती है। परन्तु ऐम्फिबिया में केवल अण्डों की रक्षा की जाती है। यह क्रिया दो प्रकार से होती है -

(1) घोंसलों अथवा पालन-गृह के भीतर अण्डों को सुरक्षा प्रदान करना

(2) नर और मादा द्वारा स्वयं अण्डों की रक्षा करना

1. घोंसले अथवा पालन-गृहों में सुरक्षा (Protection by nest, nursery, etc.) - ऐम्फिबियन्स ऐसे स्थानों पर अपने अण्डे रखते हैं, जहाँ उनके जलीय शत्रु नहीं पहुँच पाते हैं
 ये स्थान निम्नलिखित हैं -

(i) जल के भीतर बन्द सुराख करके - सन्तान की सुरक्षा के लिए तालाब के किनारे उथले जल में एक तसले के समान पालन-गृह (Nursery) बना देते हैं। मादा 3 या 4 इंच गहरी मिट्टी खोद लेती है और इस मिट्टी के चारों ओर एक दीवार बना लेती है। उदाहरण- हाइला फैबर (Hyla faber)

(ii) जल से दूर पेड़ों पर या काई पर - कई स्पीसीज में अण्डे किसी पत्थर, पत्ती या काई के नीचे गीली जगहों में रख दिये जाते हैं। सम्पूर्ण परिवर्धन अण्डों के भीतर ही होता है। जैसे - होलोडीस

(iii) जल में एक पारदर्शक थैले में - मादा द्वारा एक सासेज की आकृति वाली पारदर्शी झिल्ली में अण्डे बन्द किये जाते हैं। यह थैली जलधारा में छोड़ दी जाती है। सम्पूर्ण विकास अण्डे के भीतर होता है। नन्हें मेढक इनसे बाहर आ जाते हैं। जैसे - फिनिक्सैलस बिटोई

(iv) जल के ऊपर झुके हुए पेड़ों पर घोंसला बनाकर - कुछ अपने अण्ड-समूहों (Egg groups) को पेड़ पर झागों से बने घोंसले में रख देते हैं। यह घोंसला जल के ऊपर लटका रहता है। जैसे - फिल्लोमेडुसा

(v) जल के नजदीक बड़े-बड़े सुराखों के अन्दर - आलिंगनबद्ध नर व मादा किसी नदी के पास की गीली मिट्टी में घुस जाते हैं। ये जल के स्तर में आने से पहले एक सुराख बना लेते हैं और इसमें अण्डे रख देते हैं। विकसित होकर लार्वा सुरंग से बाहर जल में आ जाते हैं।

2. माता-पिता द्वारा सीधा लालन-पालन (Direct Nursing by Parents) 

(i) पेट पर उथले हुए मादा द्वारा - मादा अपने अण्डों को पेट पर रखकर घूमती है। जैसे - रैकोफोरस रेटिकुलम


(ii) मुख मे - मादा अण्डों को अपने मुख में रख लेती है। अण्डे संख्या में कम या आकार में बड़े होते हैं। जैसे - हाइलैम्बेटीस ब्रेविसेटर्स

(b) नर द्वारा इनाडर्मा डार्विनाई में 10-15 तक नन्हें बच्चे गलकोष्ठ में सुरक्षित रखे जाते हैं और विकास करते हैं।

(iii) नर द्वारा टाँगों में लपेटकर - ऐलाइटस में नर अण्डों की लड़ियों को बाँधता हुआ उन्हें अपनी - टाँगों पर लपेट लेता है।

(iv) मादा द्वारा पीठ पर - (a) छोटे-छोटे कोष्ठों में - कुछ जातियों में अण्डे माँ की पीठ पर ले जाये जाते हैं, खाल मोटी होकर अण्डों के चारों तरफ बढ़कर एक वर्मीय कोष्ठ में बन्द कर लेती है। जैसे - पाइपा अमेरिकाना

(b) बाहर को खुले हुए - मादा अपने अण्डों को अपनी पीठ पर उठाये फिरती हैं। जैसे - फाइला गोएल्डाई
एम्फिबिया में पैतृक लक्षण | Parental Care in Amphibia in Hindi


(v) आमाशय में अण्डों को रखकर - -मादा अपने अण्डों को आमाशय में रखकर उनकी सुरक्षा करती है । परिवर्धन के बाद वयस्क मेढक मुख से बाहर निकल आते हैं। जैसे - आस्ट्रेलियन मेढक रियोबेट्राकस साइलस