केचुए की बाह्य संरचना
वर्गीकरण
-
फाइलम
- एनीलिडा
वर्ग -
किटोपोडा
आर्डर
- ओलिगोकिटा
वंश -
फेरिटिमा
जाति -
पोस्थुमा
केचुए
की बाह्य संरचना निम्न है -
1.
केंचुआ एक रात्रिचर प्राणी है जो दिन के प्रकाश में गीली मिट्टी में सुरंग बना कर
रहता है और रात में भोजन के लिये बाहर आता है। बरसात के मौसम में बिल में पानी
भरने के कारण वे हमें बाहर दिखाई देते हैं।
2.
सामान्य तौर पर ये पूरे विश्व में पाये जाते हैं। इनका शरीर लंबा और बेलनाकार होता
है, इनमें बाइलेटेरल सिमेट्री पायी जाती है। इनकी औसत लम्बाई 8 से 21 सेमी. और
मोटाई 3 से 4 मिमि होती है।
3.
इनका संपूर्ण शरीर खण्डों में विभक्त होता है जो इन्टर सेगमेन्टल सेप्टा के द्वारा
एक-दूसरे से पृथक् होते हैं। यह विभाजन बाह्य और आतंरिक दोनों ओर होता है। इनके
सभी खण्ड समान होते हैं। शरीर का इस प्रकार के समान खण्डों में विभाजन को
मेटामेरिज्म कहते हैं।
4. मुख
शरीर के सबसे पहले खण्ड में मध्य में पाया जाता है जिसे पेरिस्टोमियम कहते हैं।
मुख एक पतली झिल्लीनुमा रचना से डार्सल सतह से ढँका होता है इस रचना को
प्रोस्टोमियम कहते हैं।
5.
शरीर में 14 से 16 वें खण्ड आपस में मिले रहते हैं और एक चिकने व मांसल खण्ड का
निर्माण करते हैं जो उभरा हुआ दिखाई देता है। इस संरचना को क्लाइटेलम कहा जाता है।
6.
क्लाइटेलम में मिलने वाले छिद्र को मादा गोनोपोर कहा जाता है। 17 वें और 19 वे
खण्ड में जेनाइटल पैपिला होती है और 18 वें खण्ड में नर जनन छिद्र का स्थान होता
है। ये समस्त छिद्र शरीर की वेन्ट्रल सतह पर पाये जाते हैं।
7.
शरीर की डॉर्सल सतह पर मुख से लेकर अंतिम खण्ड जो एनस में समाप्त होता है पर एक
काली मोटी धागे के समान संरचना होती है इसमें डॉर्सल रक्त वाहिनी होती है।
8.
जमीन पर रेंगने के लिये इसमें पतली Setae पायी जाती हैं।