डी.एन.ए. की सदर्न ब्लॉटिंग विधि (Sedarn blotting method of DNA)
इस विधि को सबसे पहले एडविन एम. सदर्न (Edwin M. Southern) ने सन् 1975 में बनाया था। इस विधि में वैज्ञानिक मे एक विशेष आनुवंशिक जोन को डी.एन.ए. मिश्रण कॉम्पलेक्स से अलग किया था। इस विधि के द्वारा किसी डी. एन. ए. खण्ड पर उपस्थित क्रम को ज्ञात किया जा सकता है।इस विधि में निम्न क्रियायें होती हैं-
(1) किसी ऐच्छिक डी. एन. ए. खण्ड के अनुक्रम को ज्ञात करने के लिए या जोनोम में से ऐच्छिक डी.एन.ए. खण्ड को अलग करने के लिए डी.एन.ए. को एक या अधिक रिस्ट्रीक्शन एण्डोन्यूक्लिएज द्वारा पाचन करवाकर खण्डों अनेक संख्या में बांटा जाता है।"
(2) डी. एन. ए. खण्डों को एगेरोज जेल विद्युत् कण संचलन (Agarose gel electrophoresis) के द्वारा गुणारकर डी. एन. ए. खण्ड उनके आकार के आधार पर अलग किया जाता है।
(3) जेल को क्षार द्वारा उपचारित करते हैं जिससे जेल पर उपस्थित डी. एन. ए. खण्ड विकृत (Denatured) हो जाते हैं
(4) डी. एन. ए. खण्डों को जेल से एक नाइट्रोसेल्यूलोज फिल्टर पेपर पर स्थानान्तरित किया जाता है जिससे प्रत्येक खण्ड जेल की स्थिति के समान फिल्टर पेपर पर स्थित हो जाये।
(5) जेल को उपयुक्त बफर संतृप्त फिल्टर पेपर पर रखते हैं जो कि नाइट्रोसेल्यूलोजिक फिल्टर पेपर से ढँका रहता है और नाइट्रोसेल्यूलोजिक फिल्टर पेपर के ऊपर सूखे फिल्टर पेपर रखे जाते हैं।
(6) कैपिलरी क्रिया के कारण बफर नीचे के फिल्टर पेपर से जेल और नाइट्रोसेल्यूलोजिक फिल्टर पेपर से निकलता हुआ सूखे फिल्टर पेपर में आ जाता है।
(7) बफर के साथ डी.एन.ए. खण्ड भी ऊपर की ओर गति करते हैं और ये डी. एन. ए. खण्ड नाइट्रो सेल्यूलोजिक फिल्टर पेपर से संलग्न हो जाते हैं।
इस विधि की सहायता से ट्रान्सजेनिक जन्तु या पौधों में ट्रान्सजीन की उपस्थिति को भी ज्ञात करते हैं। इस विधि को ब्लॉटिंग पेपर (Blotting paper) विधि कहते हैं।