अण्डाशय संवर्धन (Ovary Culture)

नियंत्रित अजमकरण प्रायोगिक वातावरण में पोषक माध्यम पर पृथक्कृत किए गए अण्डाशय या अण्डाशयों का संवर्धन अगर फल के निर्माण हेतु किया जाता है तो उसे अंडाशय संवर्धन कहते हैं।

अण्डाशय संवर्धन की तकनीक (Techniques of Ovary Culture)

1. अण्डाशय प्रवर्धन के लिए पूर्व परागित या अपरागित अण्डाशय को लिया जाता है। सर्वप्रथम पुष्पों को लेकर टीपॉल (5%) में 10 मिनट तक डुबाने के पश्चात् धो लेते हैं। तत्पश्चात् लैमिनर एयर फ्लो (Laminar Air flow) से गुजारकर इन्हें 5% सोडियम हाइपोक्लोराइड (5-7 मिनट) द्वारा सतही बन्ध्यीकृत (Surface sterilization) कर लिया जाता है।

2. उपयुक्त पोषक माध्यम (अगर युक्त) पर अण्डाशय को निकालकर संरोपित (Inoculate) कर देते हैं।

3. अण्डाशय संवर्धन माध्यम को 25°C तापमान पर ऊष्मायन हेतु स्वचालित शेकिंग इन्क्यूबेटर में डाल देते हैं तथा 2000 लक्स प्रकाशोपचार भी देते हैं संवर्धन माध्यम पर अन्तत: संरोपित अण्डाशय पूर्ण विकसित फल में परिवर्तित हो जाता है।

4. अण्डाशय संवर्धन का उपयोग टमाटर (Tomato), तम्बाकू (Tobacco), चाँदनी (Iberis amara), ऐनीथम (Anethum), लाइनेरिया माइक्रोकेना (Linaria microcana) आदि में फल तथा जीवनक्षम बीज (Viable seeds) विकसित किए गए हैं।

अण्डाशय संवर्धन का महत्व (Significance of Ovary Culture)

1. अण्डाशय संवर्धन द्वारा फल एवं भ्रूण के विकास की प्रारंभिक अवस्थाओं को समझा जा सका है।

2. पादप हॉर्मोन का फल के विकास में योगदान का सटीक अध्ययन संभव होता है।

3. पुष्पों के विभिन्न अंगों का फल के विकास पर क्या प्रभाव होता है, इसका अध्ययन आसानी से किया जा सकता है।

4. परागकण एवं निषेचन के कारण अण्डाशय के फल में परिणित होने की अवस्थाओं के परिणाम का आकलन किया जा सकता है।

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