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जैवमण्डल संरक्षी पर टिप्पणी (Comments on Biosphere Reserve in Hindi)

जैवमण्डल संरक्षी (Biosphere Reserve in Hindi)

जैवमण्डल संरक्षी ऐसे स्थल होते हैं जहाँ पर (पेड़, पौधे व जन्तुओं) प्राकृतिक (Natural), कम-से-कम प्रभावित (Minimum disturbed), मानव द्वारा रूपान्तरित (Man-modified) एवं अवनति प्राप्त (Degraded) पारिस्थितिक तन्त्रों या वन्य जीवों को सुरक्षित रखा जाता है। बायोस्फियर रिजर्व प्रोग्राम को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा सन् 1971 में मनुष्य एवं जैवमण्डल कार्यक्रम (Man and Biosphere Programme) के अन्तर्गत प्रारम्भ किया गया था। M.A.B के अन्तर्गत संपूर्ण विश्व में वर्तमान स्थिति में 129 देशों तथा 21 ट्रांस बॉउन्ड्री साइट्स सहित कुल 714 बायोस्फियर रिजवाँ की स्थापना की जा चुकी है। इसी प्रकार भारतवर्ष में भी UNESCO द्वारा। संरक्षित कुल 18 बायोस्फियर रिजवों की स्थापना की गई है।

बायोस्फियर रिजर्व के उद्देश्य (Objectives of Biosphere Reserves)

बायोस्फियर रिजर्व प्रोग्राम के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं -

1. प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र के प्रतिनिधि नमूनों की जानकारी रखना।

2. लम्बे समय तक आनुवंशिक विविधता का संरक्षण करना।

3. बेसिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान को बढ़ावा देना।

4. जैविक संसाधनों के उचित प्रबंध को बढ़ावा देना।

5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि करना।

6. शिक्षा एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में नयी संभावनाओं को ढूंढना।

अतः संक्षेप में बायोस्फियर रिजर्व कार्यक्रम (B.R.P.) के निम्नलिखित चार प्रमुख उद्देश्य हैं -

(1) संरक्षण (Conservation),
(2) शोधकार्य (Research)
(3) शिक्षा (Education),
(4) स्थानीय भागीदारी (Local involvement)।


जैवमण्डल संरक्षी के क्षेत्र (Zones of Biosphere Reserves)

बायोस्फियर रिजर्व को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जो कि तीनों उद्देश्यों को पूर्ण करती हैं -

1. कोर क्षेत्र (Core area) - यह बायोस्फियर रिजर्व का आन्तरिक प्राकृतिक एवं अप्रभावी क्षेत्र है। यह विधिक रूप से संरक्षित क्षेत्र होता है जहाँ पर सभी प्रकार की मानव प्रक्रियाएँ प्रतिबन्धित होती हैं। इसके अन्तर्गत पूर्ण रूप से सुरक्षित एवं संरक्षित पारिस्थितिक तंत्र उपस्थित होते हैं जो कि भू-दृश्यों (Landscapes), पारिस्थितिक तंत्रों, प्रजाति एवं आनुवंशिक विविधता (Diversity) के संरक्षण में अपना प्रमुख योगदान देते हैं।

2. बफर क्षेत्र (Buffer zone) - यह कोर क्षेत्र के ठीक बाहर उपस्थित क्षेत्र हैं जहाँ पर वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक मानव गतिविधियों की अनुमति होती है, परन्तु इन गतिविधियों से कोर क्षेत्र के उद्देश्य अप्रभावित रहने चाहिए। इस क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये प्राकृतिक वनस्पति, कृषि भूमि, मत्स्य पालन, वनों का प्रबन्धन करने वाली क्रियाओं की अनुमति होती है।

बफर क्षेत्र में मनोरंजन एवं पर्यटन की भी अनुमति होती है। इस क्षेत्र में मानव क्रियाएँ ट्रांजिशन क्षेत्र को अनुमति अपेक्षाकृत कम होती है।

3. मैनीपुलेशन या ट्रांजिशन क्षेत्र (Manipulation or Transition zone) - यह बायोस्फियर रिजर्व का परिधीय भाग होता है जहाँ पर बायोस्फियर रिजर्व प्रबन्धन तथा स्थानीय निवासियों के सहयोग से खेती बाड़ी, मनोरंजन, फोरेस्ट्री तथा अवस्थापन (Settlement) जैसी मानव क्रियाओं की अनुमति होती है। इन क्रियाओं (Activities) के माध्यम से ही उस क्षेत्र के विघटित क्षेत्र अपनी पूर्वावस्था में आने लगते हैं।

इस क्षेत्र में स्थानीय समुदाय, वैज्ञानिक, संरक्षण एजेंसियों, सांस्कृतिक समूह तथा स्टैकहोल्डर, वहाँ के निवासियों के कल्याण के लिये संधारित या टिकाऊ तरीके से कार्य करते हैं।

यूनेस्को संरक्षित बायोस्फियर रिजर्व (UNESCO Protected Biosphere Reserves)

वर्तमान स्थिति (सन् 2020 की स्थिति में) में सम्पूर्ण विश्व में 129 देशों तथा 29 ट्रांसबॉउन्ड्री क्षेत्रों में कुल 714 बायोस्फियर रिजवों की स्थापना की जा चुकी है।

भारतवर्ष में भी आजतक कुल 18 ऐसे बायोस्फियर रिजव की स्थापना की जा चुकी है। इनमें से सर्वप्रथम 01-08-1986 में नीलगिरी बायोस्फियर की स्थापना की गई थी। इसी प्रकार सबसे अन्त में इन्टरनेशनल कोऑर्डिनेशन कॉउन्सिल ऑफ M.A.B प्रोग्राम यूनेस्को के 30वें सत्र में जुलाई, 2018 में इण्डोनेशिया में 18वें बायोस्फियर रिजर्व कंचनजंगा की स्थापना की मंजूरी दी गई।

बायोस्फियर रिजर्वो का महत्व (Importance of Biosphere Reserves)

बायोस्फियर रिजर्व के प्रमुख महत्व निम्नानुसार हैं -

1. संरक्षण (Conservation) - बायोस्फियर रिजर्व की स्थापना से प्रजाति, आनुवंशिक एवं पारिस्थितिक विविधताओं के साथ-साथ भू-दृश्यों (Land scapes) के संरक्षण को बल मिलता है।

2. पुनर्स्थापना (Restoration) - बायोस्फियर रिजर्व पारिस्थितिक तंत्रों तथा प्राकृतिक आवासों में हुई किसी भी प्रकार की क्षति को दूर करने में सहायक होते हैं।

3. विकास (Development) - इससे संबंधित क्षेत्र के संधारित, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।

4. भूमि उपयोग योजना (Land use planning) - जैवमण्डल रिजर्व के क्षेत्र में आने वाली भूमि के मालिक, लोक संस्थायें (Public institutions), किसान, वैज्ञानिक, उद्योग एवं संरक्षण समूहों को व्यापक भूमि प्रबन्धन को देखने के लिए एक साथ कार्य करने का मौका मिलता है।

5. शिक्षा एवं अनुसंधान (Education and research) - इन क्षेत्रों या रिजवाँ से पारिस्थितिक तंत्रों को पुनर्स्थापित करने, उनका संरक्षण एवं विकास करने के लिए बहुत-सी जानकारियाँ प्राप्त होती है। इसी प्रकार अनुसंधान कार्यों से मानवीय क्रियाओं के कारण प्रभावित भू-दृश्यों (Landscapes) की पुनः स्थापना के तरीके भी मिलते हैं।

6. स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र (Healthy ecosystems) - बायोस्फियर रिजर्व मृदा अपरदन को रोककर जल के फव्वारों (Waterspring) की सुरक्षा करके तथा मृदा की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये अपघटकों (Decomposers) का रख-रखाव करके पारिस्थितिक तंत्रों का प्राकृतिक रूप से संरक्षण करते हैं।