ऑटोक्लैव पर टिप्पणी (Comments on Autoclave in Hindi)

ऑटोक्लैव (Autoclave)

ऑटोक्लैव एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग उसमें बनने वाली वाग्म की सहायता से ऑटोक्लैय के अन्दर रखी सामग्री में उपस्थित सूक्ष्मजीवों जैसे- जीवाणु, कवक, विषाणु एवं उनके बीजाणुओं को निजर्मीकरण (Sterilization) नामक भौतिक प्रक्रिया के द्वारा नष्ट किया जाता है। ऑटोक्लैव किसी सामग्री का निजर्मीकरण उसे एक विशिष्ट तापमान पर एक निश्चित समयावधि तक गर्म करके करता है। ऑटोक्लैव को वाप्य निजर्मीकारक (Steam sterilizer) भी कहा जाता है। इसका उपयोग प्रयोगशालाओं, चिकित्सा एवं उद्योगों में विभिन्न उद्देश्यों से किया जाता है। ऑटोक्लैष का आविष्कार सन् 1879 में चार्ल्स चैम्बरलैण्ड (Charles Chamberland) के द्वारा किया गया था।

ऑटोक्लैव के भाग (Parts of Autoclave)

सबसे सरलतम प्रकार का ऑटोक्लैव प्रेशर कुकर एवं प्रयोगशाला में उपयोग किया जाने वाला बेन्च ऑटोक्लव होता है। एक ऑटोक्लैब में सामान्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं -

1. बकेट या प्रेशर चेम्बर (Bucket or pressure chamber) - यह ऑटोक्लैव का प्रमुख भाग है, जिसमें बाहर की ओर स्टील या गन मेटल का बना जैकेट या भित्ति (Wall) तथा अन्दर की ओर एक प्रकोष्ठ (Chamber) उपस्थित रहता है। प्रेशर चेम्बर की क्षमता 10 लीटर से 3000 लीटर तक हो सकती है। इस चेम्बर के अन्दर पानी की कुछ मात्रा भरकर निजर्मीकरण की जाने वाली सामग्री युक्त पात्र रखा जाता है।

2. ढक्कन (Lid or cover) - यह ऑटोक्लैव का दूसरा महत्वपूर्ण भाग होता है। इसमें एक गास्केट या रबर की सील लगी होती है। इसकी सहायता से प्रेशर चेम्बर को बन्द कर वायुरोधी बनाकर बाहरी एवं आंतरिक वातावरण को पृथक् कर दिया जाता है। इसके कारण प्रेशर चेम्बर में उच्च दाब युक्त वाष्प बनती है जिसके कारण सामग्री का निजर्मीकरण हो जाता है।

ढक्कन को स्क्रू क्लैम्प (Screw clamp) एवं एस्बेस्टस वासर या गास्केट की सहायता से वायुरोधी बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इस ढक्कन में अन्य कई प्रकार के अवयव होते हैं -

(i) प्रेशर गेज (Pressure gauge) - ढक्कन के ऊपरी भाग में एक दाबमापी या प्रेशर गेज लगा होता है। इसकी सहायता से हमें प्रेशर चेम्बर के अन्दर उत्पन्न दाब का मान ज्ञात हो जाता है।

(II) सीटी (Whistle) - ऑटोक्लैय के दक्कन में प्रेशर कुकर की भाँति एक सीटी लगी होती है। सीटी, ऑटोक्लैप के अन्दर बनने वाले दाम पर नियंत्रण रखती है तथा दाब अधिक होने पर वह ऊपर उठकर अन्दर उपस्थित वाष्प की कुछ मात्रा को बाहर निकालने के पश्चात् स्वतः बन्द हो जाती है।

(III) प्रेशर रिलीजिंग पुण्डी (Pressure releasing knob) - ढक्कन पर सीटी के अतिरिक्त आंतरिक प्रेशर बनने की स्थिति में चेम्बर के अन्दर वांछित वायुदाब को स्थिर बनाये रखने के लिए एक प्रेशर अन्दर रिलीजिंग पुण्डी भी लगी होती है।

(iv) सेफ्टी वाल्व (Safty valve) - ऑटोक्लेव के ढक्कन में एक सेफ्टी वाल्व भी लगा होता है। जब कभी सीटी काम नहीं करती है तथा चेम्बर के अन्दर अनियंत्रित दाब उत्पन्न होता है तब सेफ्टी वाल्व खुल जाता है एवं ऑटोक्लैव फटने से बच जाता है।

3. वाष्प जनरेटर / विद्युत हीटर (Steam generator / Electric heater) - प्रेशर चेम्बर के निचले भाग के पास एक विद्युत वाष्प उत्पादक या विद्युत हीटर लगा होता है। यह हीटर ऑटोक्लैय के अन्दर उपस्थित जल को गर्म करके वाप्प उत्पन्न करता है।

ऑटोक्लेव का कार्य सिद्धान्त (Working Principle of Autoclave)

ऑटोक्लैव मुख्यत: आर्द्रा ऊष्मा निजर्मीकरण (Moist heat sterilization) के सिद्धान्त पर आधारित होता है। उच्च दाब बनने पर जल के क्वथनांक (Boiling point) में वृद्धि होती है, जिसके कारण निजर्मीकरण के लिए उच्च ताप प्राप्त हो जाता है। जल सामान्य वातावरणीय दाब (760mm Hg) पर 100°C पर उबलने लगता है लेकिन जब दाब में वृद्धि होती है तब जल के क्वथनांक में वृद्धि हो जाती है।

इसी प्रकार उच्च दाब पर ऊष्मा, सामग्री के अन्दर तक प्रवेश कर जाती है। जलवाष्प में उपस्थित नमी के कारण सामग्री में उपस्थित प्रोटीन का स्कन्दन (Coagulation) हो जाता है जिसके कारण सूक्ष्मजीवों की सक्रियता समाप्त हो जाती है। ऑटोक्लैव इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। ऑटोक्लैव में जल 121°C पर उबलता है। यह वाष्प सूक्ष्मजीवों के सम्पर्क में आने पर 15 psi या 775 mm दाब पर उन्हें नष्ट कर देती है।

ऑटोक्लैव की उपयोग विधि (Procedure of Running an Autoclave)

ऑटोक्लेव में सूक्ष्मजीवों से सामग्री को मुक्त करने के लिए 20 मिनट तक 121°C तापमान युक्तः जलवाष्प की आवश्यकता पड़ती है। ऑटोक्लेव में उपरोक्त तापमान एवं दाब निम्न चरणों में उत्पन्न किया जाता है -

1. उपयोग में लाने के पूर्व सर्वप्रथम ऑटोक्लेव को अच्छी तरह चेक करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसमें पूर्व में उपयोग के पश्चात् कोई सामग्री शेष तो नहीं है।

2. अच्छी तरह साफ करने के पश्चात् ऑटोक्लेव में पर्याप्त मात्रा में पानी डालने के पश्चात् निजमकरण किये जाने वाली सामग्री को एक पात्र में रखा जाता है।

3. सामग्री रखने के पश्चात् उसके ढक्कन को रखकर स्क्रू क्लैम्पों के द्वारा टाइट कर उसे वायुरोधी बनाकर, विद्युत हीटर के स्विच को चालू कर दिया जाता है।

4. गर्म होने के पश्चात् अब ढक्कन के ऊपर लगे प्रेशर रिलीजिंग घुण्डी की सहायता से वांछित दाब पर ऑटोक्लैव को सेट कर लेते हैं।

5. ऑटोक्लेव के अन्दर जल का उबलना प्रारंभ होते ही उसके अन्दर उपस्थित वायु-जल के मिश्रण को •स्टीम / वैक्यूम रिलीजिंग वाल्व के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है इससे ऑटोक्लैव के अन्दर उपस्थित वायु बाहर निकल जाती है। जल के बुलबुले का निकलना बंद होते ही वाल्व को बन्द कर दिया जाता है।

6. अब ऑटोक्लैव के अन्दर बनने वाली वाष्प को 15 Ibs दाब तक पहुँचने पर चेम्बर के अन्दर अतिरिक्त दाब होते ही सीटी बजने लगती है तथा दाब कम हो जाता है।

7. पहली सीटी बजने के पश्चात् प्रेशर रिलीज पुण्डी की सहायता से 151bs तक सेट कर लिया जाता है तथा इस दाब को 15-20 मिनट तक स्थिर बनाये रखा जाता है।

8. वांछित समयावधि पूर्ण होने के पश्चात् विद्युत हीटर का स्विच बन्द कर दिया जाता है तथा ऑटोक्लेव को तब तक ठण्डा होने के लिये छोड़ दिया जाता है जब तक कि उसका दाब वातावरण के दाव के बराबर नहीं हो जाता है।

ऑटोक्लेव के प्रकार (Types of Autoclave)

उपयोगिता के आधार पर ऑटोक्लैय कई प्रकार के होते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नानुसार हैं -

1. प्रेशर कुकर टाइप / लेबोरेटरी बेन्च ऑटोक्लैव (N-type)

2. प्रैविटी डिस्प्लेसमेंट टाइप ऑटोक्लैव

3. पॉजिटिव प्रेशर डिस्प्लेसमेंट टाइप ऑटोक्लैव (B-type)

4. निगेटिव प्रेशर डिस्प्लेसमेंट टाइप ऑटोक्लैव (S-type)।


1. प्रेशर कुकर टाइप / लेबोरेटरी बेन्च ऑटोक्लैव (Pressure cooker type/Laboratory bench autoclave, N-type) - यह ऑटोक्लैव घरेलू कुकर के समान होता है जिसका उपयोग विश्व के कई देशों में किया जाता है। इस प्रकार के अधिकांश आधुनिक ऑटोक्लैयों में धातु से बना प्रेशर चेम्बर होता है जिसके ऊपर स्क्रू क्लैम्प की सहायता से कसा हुआ एक ढक्कन होता है। इसमें वायु तथा वाष्प के डिस्चार्ज के लिये वाष्प रिलीजिंग वाल्व, सैफ्टी वाल्व एवं सीटी लगी होती है तथा दाब मापन हेतु एक प्रेशर गेज भी लगा होता है। ऑटोक्लैव के निचले भाग में एक इलेक्ट्रिक इमरसन हीटर भी लगा होता है।

2. ग्रैविटी डिस्प्लेसमेंट टाइप ऑटोक्लव (Gravity displacement type autoclave) - यह प्रयोगशालाओं में बहुतायत उपयोग में लाया जाने वाला ऑटोक्लैव है। इस ऑटोक्लेव में प्रेशर चैम्बर के अन्दर वाष्प उत्पादन उसके अन्दर लगे हीटिंग यूनिट की सहायता से किया जाता है। यह वाष्प बाद में प्रकोष्ठ के अन्दर चारों ओर गति करती है। ये ऑटोक्लेव दो प्रकार के होते हैं -

(i) वर्टिकल टाइप (कम आयतन युक्त) एवं
(ii) होरिजोन्टल टाइप (अधिक आयतन युक्त)।


3. पॉजिटिव प्रेशर डिस्प्लेसमेंट या B-टाइप ऑटोक्लैव (Positive pressure displacement type For B-type autoclave) - इस प्रकार के ऑटोक्लेव में वाप्प का उत्पादन पृथक् स्टीम जनरेटर में किया जाता है तथा बाद में इसे ऑटोक्लेव में प्रवाहित किया जाता है। यह ऑटोक्लैव तेज गति से कार्य करता है क्योंकि इसमें वाष्प उत्पादन कुछ सेकण्ड में ही हो जाता है।

4. निगेटिव प्रेशर डिस्प्लेसमेंट या S-टाइप ऑटोक्लैव (Negative pressure displacement or S type autoclave) - इस प्रकार के ऑटोक्लैय में वाप्य जनरेटर एवं वैक्यूम जनरेटर दोनों लगे होते हैं। इसमें लगा वैक्यूम जनरेटर, ऑटोक्लेव के अन्दर उपस्थित वायु को बाहर निकालता है तथा वाष्प जनरेटर, वाष्प का उत्पादन करता है। ऑटोक्लैय से वायु निकालने के पश्चात् वाष्प को उसके अन्दर प्रवाहित किया जाता है। यह सर्वाधिक उपयुक्त ऑटोक्लैव है क्योंकि इसमें सामग्री का निजर्मीकरण अच्छी तरह हो जाता है।

ऑटोक्लैव के उपयोग (Uses of Autoclave)

1. ऑटोक्लैव का उपयोग ऐसी सामग्री का निजर्मीकरण करने के लिये किया जाता है जिसमें जल उपस्थित होता है तथा उसका निजर्मीकरण शुष्क ऊष्मा द्वारा संभव नहीं होता है।

2. ऑटोक्लैव का उपयोग प्रयोगशाला में संवर्धन माध्यम, ऑटोक्लेवेबल पात्रों, प्लास्टिक ट्यूब एवं पीपेट का निजर्मीकरण करने के लिये किया जाता है।

3. चिकित्सा से सम्बन्धित प्रयोगशालाओं में ऑटोक्लैव का उपयोग उपकरणों, ग्लासवेयर्स, सर्जिकल उपकरण एवं मेडिकल वेस्ट (Medical wastes) का निजर्मीकरण करने के लिये किया जाता है।

4. ऑटोक्लैव का उपयोग विशिष्ट प्रकार के जैविक कचरों का निजर्मीकरण करने में भी किया जाता है। रेगुलेटेड मेडिकल कचरा जिसमें जीवाणु, विषाणु उपस्थित होते हैं उनका निजर्मीकरण करने के लिए भी ऑटोक्लैव का उपयोग किया जाता है।

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