प्रोटीन निर्धारण की हिस्टोकेमिकल विधि (Histochemical method of protein determination)
प्रोटीन कोशिकाओं के ढांचा बनाने का कार्य करती है। ये अधिक अणुभार वाले जटिल यौगिक होते हैं जिसमें कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर एवं फॉस्फोरस पाये जाते हैं। सरल प्रोटोन प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले प्रोटीन्स होते हैं जो कि जल अपघटन (Hydrolysis) के द्वारा अमीनो अम्ल (Amino acids) को बनाते हैं।प्रोटीन के अतिकी-रासायनिक निर्धारण (Histochemical Determination of Proteins)
इसमें निम्नलिखित विधि उपयोग की जाती है -1. मिलन अभिक्रिया (Millon Reaction) - इस विधि से किसी ऊतक का अध्ययन करने के लिए पहले ऊतक को 10% फार्मेलिन में स्थापी करते हैं फिर पानी से धोते हैं तत्पश्चात् उसका निर्जलीकरण करते हैं। फिर पैराफिन वैक्स में ब्लॉक बनाकर सेक्शन काट लेते हैं। इस सेक्शन को फिर मिलन अभिकर्मक (Milion reagent) में रंगते हैं। मिलन-अभिकर्मक से रंगने को क्रिया में सर्वप्रथम सेक्शन से मोम हटा लेते हैं फिर उसका जलीकरण (Rehydration) करते हैं अब सेक्शन को मिलन अभिकर्मक के साथ हल्का-सा उबालते हैं, फिर ठण्डा करते हैं फिर आसुत जल से कई बार धोने के बाद उसका निर्जलीकरण (Dehydration) 30%- 100% ऐल्कोहॉल सिरीज में करते हैं। अंत में जाइलोल (Xylol) में स्पष्ट करने के पश्चात् DPX में मॉउण्ट करते हैं। ऊतक में स्थित प्रोटीन्स लाल रंग से अभिरंजित होते हैं या फिर पीलापन लिये लाल रंग से रंगते हैं।
2. निनहाइड्रिन-शिफ विधि (Ninhydrin Schiff method) - परीक्षण किए जाने वाले ऊतकों का पहले स्थायीकरण करके उसका ब्लॉक बना लेते हैं फिर उसका सेक्शन प्राप्त किया जाता है। ऊतक का अस्थायी क्रायोस्टेट या पूर्वस्थायी क्रायोस्टेट विधि से सेक्शन लिया जाता है। अब प्राप्त हुए सेक्शन का जाइलाल को सहायता •से मोम को हटाया जाता है फिर उसका निर्जलीकरण 70% ऐल्कोहॉल तक किया जाता है। सेक्शन को निनहाइड्रिन घोल में 37°C पर पूरी रात रखकर बहते पानी से धोते हैं तत्पश्चात सेक्शन को शिफ्स अभिकर्मक में 45 मिनट तक रखते हैं। फिर बहते पानी में धोते हैं। अब सेक्शन का विभिन्न श्रेणी के ऐल्कोहॉल में 30% से लेकर 100% तक निर्जलीकृत (Dehydration) कर जाइलोल (Xylol) में 2-3 मिनट रखकर स्पष्ट करते हैं। और D.P.X. द्वारा मॉउंट करते हैं। ऊतकों में स्थित a अमीनो समूह (Amino group) गुलाबी से लाल रंग के दिखाई देते हैं।
इसके अतिरिक्त और भी कई विधियाँ हैं, जिनमें प्रमुख हैं-
(i) मरक्यूरिक ब्रोमोफोल ब्ल्यू विधि (Mercuric Bromophol Blue Method)
(ii) डाइमिथाइल अमीनो बेंजेल्डिहाइड नाइट्राइट विधि।
(iii) डायजोटीजेशन संलग्न विधि- टायरोसिन के लिए एवं
(iv) अमोनियम समूह के लिए निनहाइड्रिन विधि आदि।
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