इन्क्यूबेटर्स (Incubators)

प्रयोगशाला इन्क्यूबेटर एक ऐसा उपकरण है जो कि कॉपर/स्टील के एक चेम्बर का बना होता है तथा इसके अन्दर गर्म जल या वायु को विद्युतधारा अथवा छोटी गैस फ्लैम के द्वारा प्रवाहित किया जाता है। इन्क्यूबेटर के अन्दर सूक्ष्मजीवों या पादप सामग्रियों की वृद्धि के लिए आवश्यक इष्टतम् (Optimum) तापमान, नमी आदि आवश्यक दशायें उत्पन्न करने की व्यवस्था होती है।

ऊष्मायन या इन्क्यूबेशन (Incubation)

ऊष्मायन वह समयावधि होती है, जिसमें किसी जीवधारी की वृद्धि के लिए आवश्यक तापमान, नमी एवं पर्यावरणीय दशायें एक निश्चित समय तक उपलब्ध रहती हैं। इसी प्रकार इन्क्यूबेशन पीरियड एक निश्चित पर्यावरणीय दशा एवं तापमान वाली वह समयावधि होती है जो कि उस जीव की वृद्धि के लिये आवश्यक होती है।

तापमान सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को अत्यधिक प्रभावित करता है। अत: यह उपकरण इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि उसमें सूक्ष्मजीवों की वांछित वृद्धि एक निश्चित तापमान पर हो जाती है।

इन्क्यूबेटर का सिद्धान्त एवं कार्यविधि (Principle and Working of Incubator)

इन्क्यूबेटर थर्मोइलेक्ट्रिसिटी के सिद्धान्त पर कार्य करता है। इसमें एक थर्मोस्टेट लगा होता है जो कि थर्मल प्रैडिएन्ट (Thermal gradiant) उत्पन्न करके इन्क्यूबेटर के अन्दर एक स्थायी तापमान उत्पन्न करता है। जब किसी कण्डक्टर को थर्मल ग्रैडिएन्ट में रखा जाता है तब यह एक थर्मोइलेक्ट्रिक प्रभाव (Thermoelectric effect) उत्पन्न करता है जिसके कारण अन्दर का तापमान कम होने पर इन्क्यूबेटर चालू हो जाता है तथा तापमान बढ़ने पर वह अपने आप बन्द हो जाता है।

मान लिया इन्क्यूबेटर को पूर्व से निर्धारित तापमान 37°पर सेट किया गया है तब यह तापमान, तापमान सेन्सर (Temp. sensor), तापमान नियंत्रक (Temp. controller) एवं तापमान कॉन्टेक्टर (Temp. contactor) की सुसंगत ऑपरेशन (Compatibility operation) के द्वारा नियंत्रित रहता है। जब स्विच ऑफ होता है, तब इस तंत्र में विद्युतधारा प्रवाहित होती है तो इससे कॉन्टेक्टर को ऊर्जा मिलती है तथा वह बल्ब या हीटिंग एलीमेंट को जला देता है। यह बल्ब भी यहाँ पर हीटिंग एलीमेन्ट (Heating element) की भाँति कार्य करता है, अन्दर लगे पंखे गर्म वायु को चेम्बर के अन्दर सर्कुलेट करते हैं। जब अन्दर का तापमान वांछित स्तर अर्थात् 37°तक पहुँच जाता है, तब डिजिटल तापमान नियंत्रक कॉन्टेक्टर को एक विद्युत् सिग्नल भेजता है जिससे कॉन्टेक्टर डीएनर्जाइज्ड (ऊर्जा रहित) हो जाता है तथा इन्क्यूबेटर का स्विच ऑफ हो जाता है। जब अन्दर का तापमान कम हो जाता है तब कॉन्टेक्टर को पुनः ऊर्जा मिलती है तथा वह स्विच को चालू कर देता है।

प्रयोगशाला इन्क्यूबेटर के प्रकार (Types of Laboratory Incubator)

प्रयोगशालाओं में सामान्यत: तीन प्रकार के इन्क्यूबेटर्स उपयोग में लाये जाते हैं -

(i) बैक्टीरियोलॉजिकल या माइक्रोबायोलॉजिकल इन्क्यूबेटर्स,

(ii) B.O.D. इन्क्यूबेटर्स,

(iii) CO2 इन्क्यूबेटर्स


(i) बैक्टीरियोलॉजिकल या माइक्रोबायोलॉजिकल इन्क्यूबेटर्स (Bacteriological or Microbiological Incubators)

माइक्रोबायोलॉजिकल इन्क्यूबेटर्स का उपयोग जीवाणुओं के कल्चर्स की वृद्धि तथा संग्रह (Storage) के लिये किया जाता है। इन्क्यूबेटर में एक थर्मोस्टेट होता है जो कि आवश्यकतानुसार सेट किये गये तापमान को स्थिर रखने का कार्य करता है। इसमें तापमान का अवलोकन करने के लिए एक तापमापी लगा होता है। आज डिजिटल इन्क्यूबेटर्स भी उपलब्ध हैं। ये इन्क्यूबेटर्स बाहरी वातावरण के तापमान से प्रभावित होते हैं क्योंकि इनमें कूलिंग सिस्टम नहीं लगा होता है।

इन्क्यूबेटर्स में जीवाणुओं की वृद्धि के लिये सामान्यतः 48 घण्टे के लिए 30 से 35°तापमान की आवश्यकता होती है। कवकों की वृद्धि के लिए 25 ° 2°तापमान (4 से 5 दिनों तक) की आवश्यकता होती है।

बैक्टीरियोलॉजिकल इन्क्यूबेटर के संघटक या भाग (Components or Parts of Bacteriological Incubator)

एक माइक्रोबियल इन्क्यूबेटर के प्रमुख भाग निम्नानुसार होते हैं -

1. कैबिनेट (Cabinet) - इन्क्यूबेटर का कैबिनेट घनाकार (Cuboidalतथा दो स्तरीय भित्ति से मिलकर बना होता है। इसकी क्षमता 20 से 800 लीटर तक होती है। इसका बाहरी कैबिनेट स्टैनलेस स्टील का तथा आन्तरिक कैबिनेट ऐल्यूमिनियम का बना होता है। बाह्य एवं आंतरिक कैबिनेट के मध्य ग्लास वूल (Glass wool) भरा होता है जो कि इन्सुलेशन का कार्य करता है। इन्सुलेशन ऊष्मा की हानि को रोकता है इससे बिजली की खपत भी कम होती है। इन्क्यूबेटर की आन्तरिक भित्ति में प्रकोष्ठ की ओर ट्रे स्लॉट्स बने होते हैं जिसमें शेल्यूस (Shelves) लगाये जा सकते हैं।

2. दरवाजा (Door) - सभी इन्क्यूबेटर्स में एक दरवाजा लगा रहता है जो कि कैबिनेट को बन्द करने के काम आता है। कुछ इन्क्यूबेटर्स में मुख्य दरवाजे के अतिरिक्त इसमें काँच का एक अतिरिक्त गेट भी लगा रहता है जिससे इन्क्यूबेशन के दौरान इन्क्यूबेटर के अन्दर देखा जा सकता है। दोनों दरवाजों में एक-एक हैण्डल भी लगा होता है।

3. छिद्रित शेल्व्स (Perforated shelves) -
 इन्क्यूबेटर के अन्दर ट्रे स्लॉट्स में छिद्रित शेल्य्स या छिद्रित ट्रे रखे होते हैं, जिन पर कल्चर प्लेट्स को रखा जाता है। इनको फिट करने से अन्दर सामग्री रखने हेतु स्थान बढ़ जाता है। सभी शेल्ब्स को छिद्र युक्त इसलिये रखा जाता है ताकि अन्दर गर्म हवा का प्रवाह समान रूप से हो।

4. तापमापी (Thermometer) - तापमान की रीडिंग हेतु इन्क्यूबेटर्स के ऊपरी भाग में एक थर्मामीटर भी लगा होता है। थर्मामीटर का निचला मर्करी वाला भाग इन्क्यूबेटर के अन्दर फिट होता है तथा पाठ्यांक बाहर की ओर होता है।

आजकल तापमापी के स्थान पर डिजिटल डिस्प्ले युक्त इन्क्यूबेटर्स भी उपलब्ध हैं।

5. थर्मोस्टेट (Thermostate) - इन्क्यूबेटर्स के अन्दर तापमान को नियंत्रित करने के लिए एक थर्मोस्टेट लगा होता है। थर्मोस्टेट एक ऐसा तापमान नियंत्रक डिवाइस होता है जो कि तापमान को सेन्स करके इन्क्यूबेटर के अन्दर तापमान पर नियंत्रण रखकर उसे स्थिर बनाये रखता है।

6. कन्ट्रोल पैनल (Control panel) -इन्क्यूबेटर की बाहरी भाग में सामने की ओर एक कन्ट्रोल पैनल लगा रहता है जिसमें ऑन-ऑफ स्विच, इण्डिकेटर्स तथा थर्मोस्टेट कन्ट्रोलर लगा होता है जिसके द्वारा तापमान सेट किया जाता है।

7. एस्बेस्टस डोर गास्केट (Asbestos door gasket) - उपकरण को वायुरोधक बनाये रखने के लिए दरवाजे में एस्बेस्टस की बनी डोर गास्केट फिट रहती है। इस गास्केट के कारण उपकरण वायुरोधक हो जाता है। तथा आन्तरिक वातारण, बाहरी वातावरण से सुरक्षित एवं अप्रभावित रहता है।

(ii) B.O.D. इन्क्यूबेटर्स/ निम्न ताप इन्क्यूबेटर्स (B.O.D. Incubators or Low Temperature Incubators)

B.O.D. इन्क्यूबेटर को निम्न ताप इन्क्यूबेटर भी कहा जाता है। इसका उपयोग जल का B.O.D. जात करने में किया जाता है। इसे B.O.D. इन्क्यूबेटर इसलिये कहा जाता है क्योंकि B.O.D. का परीक्षण करने के लिये निम्न तापमान (20 से 25°C) की आवश्यकता होती है। यह बैक्टीरियोलॉजिकल इन्क्यूबेटर के समान ही होता है। अन्तर केवल तापमान की आवश्यकता में होता है।

B.O.D. इन्क्यूबेटर में B.O.D. ज्ञात करते समय जल के सैम्पल को 20 से 25°पर 72 घण्टे या 3 से 5 दिनों तक रखा जाता है।

(iii) CO2 इन्क्यूबेटर्स (CO2 Incubators)

इस इन्क्यूबेटर को गैस इन्क्यूबेटर भी कहा जाता है। इसके अन्दर CO, गैस युक्त ऐसा पर्यावरण उत्पन्न किया जाता है जो ऊतक संवर्धन के लिए उपयुक्त हो।

CO2 इन्क्यूबेटर्स का उपयोग प्रायः मेडिकल रिसर्च एवं औषधि उद्योगों में किया जाता है। इसके अन्दर रोगाणु रहित पर्यावरण भी उत्पन्न किया जा सकता है जो कि औषधि उद्योग में कुछ सूक्ष्मजीवों (जैसे—यीस्ट एवं अन्य कवक) के संवर्धन के लिये आवश्यक होता है।

इन्क्यूबेटर के उपयोग (Uses of Incubator)

इन्क्यूबेटर्स के प्रमुख उपयोग निम्नानुसार हैं -

1. इन्क्यूबेटर्स का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे - कोशिका संवर्धन, औषधीय हिमैटोलॉजिकल तथा जैव रासायनिक अध्ययनों में किया जाता है।

2. इसका उपयोग माइक्रोबियल संवर्धन तथा कोशिका संवर्धन में किया जाता है।

3. इसका उपयोग भविष्य के उपयोग हेतु संवर्धन को स्टोर करने के लिये भी किया जाता है।

4. इन्क्यूबेटर का उपयोग सूक्ष्मजीवों की वृद्धि दर बढ़ाने में भी किया जाता है।

5. कुछ विशिष्ट प्रकार के इन्क्यूबेटर्स का उपयोग सूक्ष्मजैविक कॉलोनियों के प्रजनन तथा B.O.D. निर्धारण में किया जाता है।

6. इसका उपयोग जूलॉजी में कीटों की ब्रीडिंग तथा अण्डों की हैचिंग (Hatching) में भी किया जाता है।

Design, working and types of Incubators in Hindi