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लैक्टिक अम्ल का उत्पादन एवं जीन क्लोनिंग (Production of Lactic acid and Gene cloning, BSC zoology)

लैक्टिक अम्ल का उत्पादन (Production of Lactic acid)

लैक्टिक अम्ल के उत्पादन के लिए अनेक कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर पदार्थ जैसे—आलू, स्टार्च, शीरा, दूध, मक्का का उपयोग किया जाता है।

सबसे पहले स्टार्च का जल अपघटन कर ग्लूकोज को एन्जाइम क्रिया के द्वारा बनाया जाता है कार्बोहाइड्रेट का चयन उसकी सुलभता पर आधारित होता हैं। छाछ मट्ठा (Whey) कुछ जीवाणुओं के विकास के लिए अच्छा माध्यम होता है। इसमें जीवाणु भली-भाँति विकसित होते हैं। क्योंकि इसमें लैक्टोज, नाइट्रोजन युक्त पदार्थ, विटामिन्स एवं लवण पाये जाते हैं। अनेक बर्हिजात जीवाणु दूध के लैक्टोज घटक से लैक्टिक अम्ल बनाते हैं। इससे माध्यम अम्ल हो जाता है व दूध में उपस्थित कैसीन घटक स्कन्दित (Coagulate) हो जाता है। जीवों का भण्डार संवर्धन जो उपयोग होता है सप्रेटा माध्यम में निर्धारित होता है।

छाछ/मट्ठे ऊष्मायन टैंक से निवेश द्रव्य को किण्वन टैंक में मिलाया जाता है इसकी मात्रा किण्वन मात्र से 5% से 10% के बराबर होनी चाहिए। किण्वन के समय चूने के घोल को धीरे-धीरे मिलाया जाता है। जिससे अम्ल उदासीन होकर कैल्सियम लैक्टेट बनता है। किण्वन पूर्ण होने पर टैंक के पदार्थ को उबाला जाता है जिससे प्रोटीन का स्कन्दन होता है इसको फिर छाना जाता है। यह प्राणियों के आहार के लिए उपयोगी होता है फिल्ट्रेट जिसमें कैल्सियम लैक्टेट होता है इसमें जल निकाल कर कैल्सियम लैक्टेट का सान्द्रण किया जाता है।

जीन क्लोनिंग (Gene cloning) -
लैंगिक प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न पूर्वज जातियों से उत्पन्न सन्तानों से अलैंगिक विधियों द्वारा उत्पन्न जातियों को जीन क्लोनिंग (Gene cloning) कहते हैं। इस विधि के अन्तर्गत किसी एक जीन से उसकी आनुवंशिकी समरूपी (Genetically identical) प्रतिलिपियों को असीमित संख्या में निर्मित किया जाता है। जीन क्लोनिंग में एक वाहक, जिसमें ऐच्छिक जीन होता है, को पोषक कोशिका में पहुँचाया जाता है। क्लोनिंग की क्रिया जीवाणु पोषक ई. कोलाई (E. coli) में या यूकैरियोट्स में यीस्ट (Yeast) में की जाती है। जीन क्लोनिंग की क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है -

(1) एक या अधिक रेस्ट्रिक्शन एन्जाइम के द्वारा DNA को विघटित किया जाता है।

(2) जिस DNA की क्लोनिंग की जाती है, उसे लक्षित वाहक से मिलाया जाता है और पुनर्योजित रीकॉम्बिनेण्ट अणु को उत्पन्न किया जाता है।

(3) रीकॉम्बिनेण्ट DNA अणु को पोषक जीवाणु कोशिका में प्रवेश कराया जाता है। इस प्रकार वाहक अणु के प्रवेश के द्वारा पोषक कोशिका रूपान्तरित हो जाती है।

(4) रूपान्तरित कॉलोनी का चयन कर वृद्धि की जाती है।