सहलग्नता मानचित्र (Linkage Map in hindi)

सहलग्नता मानचित्र (Linkage Map)

सहलग्नता एवं जीन विनिमय के अध्ययन के पश्चात् बहुत से महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त हुई है, जैसे-क्रोमोसोम पर जीन की उपस्थिति, जीन की संख्या क्रोमोसोम से अधिक होना, जीन का रेखित क्रम में स्थित होना, सहलग्नता समूह (Linked group) की संख्या समजातीय युग्म गुणसूत्रों के समान होना तथा प्रत्येक जीन का गुणसूत्र पर क्रम एवं स्थिति का निश्चित होना आदि।

यदि किसी व्यक्ति को एक जाति के सभी जीन्स, सहलग्नता समूह और सहलग्नता समूह की संख्या ज्ञात है, तब उसके लिए यह सम्भव है कि जीन विनिमय को एक उदाहरण मानकर वह सहलग्नता समूह के बीच की आपेक्षिक दूरी तथा क्रम को भी ज्ञात कर सकता है तथा गुणसूत्रों को ग्राफ की सहायता से प्रदर्शित कर सकता है, जिस पर जीन्स एक आपेक्षिक दूरी पर जीन विनिमय के अनुपात में स्थित होते हैं, को प्रदर्शित कर सकता है। इस प्रकार गुणसूत्र के सहलग्न जीन्स के बीच की आपेक्षिक दूरी के रेखांकित चित्र दर्शन (Diagrammatic graphical representation) को सहलग्नता या आनुवंशिकी मानचित्र (Linked or Genetic map) कहते हैं। स्टुटेवेन्ट एवं मॉर्गन (Strutevent and Morgan) ने ड्रोसोफिला के X-क्रोमोसोम पर 5 जीन्स की स्थिति को मानचित्र द्वारा प्रदर्शित किया।

सहलग्नता मानचित्र का निर्धारण (Construction of a Linked map)

इसके लिए निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं -

(1) सहलग्नता समूह का निर्धारण (Determination of linkage group) - यह मानचित्र निर्माण का पहला कदम है। इसमें जिस जाति के गुणसूत्रों के मानचित्र का निर्माण करना होता है उसके सही गुणसूत्रों की संख्या कुल जीन्स की संख्या का निर्धारण तथा इसके बाद सहलग्न जीन्स का पता लगाना होता है। इस प्रकार एक जाति के विभिन्न सहलग्न समूहों (Linked group) को ज्ञात कर सकते हैं।

(2) मानचित्र दूरी का निर्धारण (Determination of Map distance) - प्रत्येक जाति के प्रत्येक सहलग्नता समूहों में जीन्स की कुल संख्या को ज्ञात कर प्रत्येक सहलग्न जीन्स के बीच आपेक्षिक दूरी को निर्धारित किया जाता है। जीन्स के बीच की दूरी को जीन विनिमय (Crossing over) के प्रतिशत के अनुसार ज्ञात करते हैं। मानचित्र इकाई (Map unit) को सेन्टीमॉर्गन (Centimorgan) कहते हैं।

(3) जीन क्रम का निर्धारण (Determination of gene order) - सहलग्न समूहों के जीन्स के बीच की आपेक्षिक दूरी को निर्धारित करने के पश्चात् जीन्स (Genes) को तीन उपयुक्त रैखिक क्रम में आसानी से रख सकते हैं, जैसे कि यदि XYZ तीनों जीन्स का रैखिक क्रम ज्ञात करना है तथा यह तीनों जीन्स तीनों क्रम में से किसी एक क्रम में हो सकते हैं, जब यह निश्चित हो कि बीच में जीन कौन-सा है।

(4) मानचित्र खण्डों का संयोजन (Combining map segments) - अन्त में एक क्रोमोसोम के मानचित्र के सभी खण्ड संयोजित होकर 100 सेन्टीमॉर्गन लम्बे एक गुणसूत्र के पूर्ण आनुवंशिक मानचित्र को निर्मित करते हैं।

(5) गुणसूत्रों में जीन्स की आपेक्षिक स्थिति को स्थापित करना (Locating the relative position of genes in a chromosomes) - सहलग्न जीन्स के विभिन्न समूहों में जीन विनिमय (Crossing over) के परिणामों के आधार पर जीन्स का गुणसूत्र पर आलेखन करते हैं। दो जीन्स के बीच की दूरी, इन जीन्स में जोन विनिमय की संख्या के समान मानी जाती है।

(6) व्यक्तिकरण एवं संपात (Interference and Coincidence) - यदि तीन जीन्स का क्रम X-Y Z है और X Y एवं Y Z का पुनर्संयोजन मान एक-दूसरे से स्वतंत्र है, तब (X-Y) (Y-Z) के अलग अलग मानों के गुणन (Multiplication) द्वारा X एवं Y के बीच दोहरे जीन विनिमय मान का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन वास्तव में दोहरे विनिमय का मान हमेशा आपेक्षिक मान से कम होता है। इसको व्यतिकरण (Interference) विधि के द्वारा स्पष्ट किया गया है।

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सहलग्नता मानचित्र का निर्धारण
Linkage map in hindi
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