पेनिसिलीन का जैव संश्लेषण

मौलिक पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) को फ्लेमिंग (Flemming) नामक वैज्ञानिक ने पृथक् क्रिया के द्वारा उत्पादन किया, क्योंकि प्राचीन विधि से पेनिसिलिन का कम उत्पादन होता था। अन्त में एक जाति पेनिसिलियम क्राइसोजेनम (Penicillium chrysogenum) को पृथक् किया गया, जिससे पेनिसिलिन का अच्छा और अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ। पेनिसिलियम की अन्य स्टैन्स (Stains) के द्वारा 100 गुना पेनिसिलिन मौलिक पेनिसिलियम जाति की अपेक्षा प्राप्त की।

विधि (Procedure) - लगभग 30,000 लिटर माध्यम को एक टैंक (Tank) में रखा और पेनिसिलियम क्राइसोजेनम (Penicillium chrysogenum) कोनिडिया के जलीय निलम्बन (Aqueous suspension) के द्वारा निष्कीटित (Sterilized) एवं संरोपण (Inoculation) किया गया। ऊष्मायन (Incubation) अवधि के समय माध्यम को रोगाणुरहित वायु प्रदान कर उत्तेजित किया गया। टैंक सभी साधन से सम्पन्न था, जिसमें निरन्तर ग्लूकोज सिरप, सोडियम हाइड्रॉक्साइड (Sodium hydroxide) एवं गंधक का अम्ल (Sulphuric acid) मिलाया जाता है और pH को 6-8 एवं 7-4 के बीच में रखा जाता है। शीतल कुण्डलों (Cooling coils) के द्वारा तापक्रम को 23°C एवं 25°C तक बनाये रखा जाता है। प्रतिझाग (Antifoam) कारक के प्रवेश के साधन एवं ऐसिलदाता या पूर्वगामी (Precursor) को मिलाने के पम्प करने के साधन पाये जाते हैं। सम्बन्धित अम्ल के लवण (Salt), ऐमाइड (Amide) या एस्टर को झाग के रूप में मिलाया जाता है, जिससे पेनिसिलिन युक्त ऐच्छिक ऐसिल समूह को प्राप्त किया जा सके। प्रारम्भ में कवकजाल (Mycelium) तीव्रता से वृद्धि करता है और कार्बन के स्रोत के रूप में लैक्टिक अम्ल (Lactic acid) एवं कार्बनिक नाइट्रोजन का उपयोग करता है।

अमोनिया (Ammonia) इन नाइट्रोजनयुक्त पदार्थों के विघटन से बनती है। अमोनिया का स्वांगीकरण होता है और pH कम होता है। तीक्ष्ण पेनिसिलिन उत्पादन लैक्टोज एवं अमोनिया के उपयोग से सम्बन्धित होता है। ऊष्मायन अवधि की समयावधि 5-6 दिन होती है। ऊष्मायन के पश्चात् कवकजाल द्रव्य माध्यम से जिसमें पेनिसिलिन पाया जाता है, छाना जाता है। पेनिसिलिन एक विलायक ऐमायल या ब्यूटिल ऐसीटेट (amyl or butyl acetate) में मिली रहती है, परिणामतः पायस को अपकेन्द्रिक कर ऐसीटेट विलायक, जिसमें पेनिसिलिन होता है, का निस्सारण किया जाता है। अन्तिम चरण को दोहराया जाता है।

पेनिसिलीन का जैव संश्लेषण (Biosynthesis of Penicillin) -
पेनिसिलिन संश्लेषण विधि द्वारा उत्पन्न होता है जिसमें वृद्धि की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन उन विधियों के द्वारा अध्यारोपित (Super imposed) होती है जो कि निर्धारण के लिए आवश्यक होती है जब पेनिसिलिन का उत्पादन अपने चरम पर होता है तब सिट्रिक अम्ल चक्र नहीं होता है या अधिकांश पायरुविक अम्ल ऐसिटिल Co-A में नहीं बदलता है और बाद में वसा अम्ल में नहीं बदलता है उस समय पायरुविक अम्ल L वेलाइन के संश्लेषण के लिए उपलब्ध होता है जो एक पेनिसिलिन के पूर्वगामी डाइपेप्टाइड को बनाता है। L- सिस्टेनी, -I- वेलाइनिल यह अंतिम मध्यस्थ एसिल समूह से मिलता है या अन्य विशेष पूर्वगामी को एसिल समूह से पेनिसिलिन के संश्लेषण से मिलता है।