सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म उत्तरांचल राज्य के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान पर 20 मई, 1900 ई. को हुआ था। कौसानी हिमालय की गोद में बसा सुरम्य पर्वतीय स्थल है। उसके नैसर्गिक सौन्दर्य का पंत की काव्य संवेदना के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। पंत जी छायावाद के आधार स्तम्भ कवियों में से एक हैं। खासतौर पर प्रकृति चित्रण एवं सुकोमल कल्पनाओं के कवि के रूप में पंत जी की विशिष्ट पहचान है। पंत की काव्य यात्रा छायावाद से प्रगतिवाद तक थी। उन्होंने वीणा, पल्लव, ग्रंथि, गुंजन, युगांत, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, वाणी, कला और बढ़ा चाँद, किरण चोणा, लोकायतन नामक कृतियों को रचना अपने जीवन काल में की। पंत जी का निधन सन् 1977 में हुआ।

पंत जी की सुप्रसिद्ध कविता "भारत माता" है। इसमें उन्होंने भारत माता की झांकी प्रस्तुत की है। उनके अनुसार भारत माता-ग्राम-वासिनी हैं। खेतों की श्यामलता, गंगा-यमुना के जल में उनके रूप की झाँकी ली जा सकती है। देश की दुर्दशा से भारत माता उदास हैं। सर्वच गरीबो, दोनता, विलाप, उदासी, भुखमरी, असभ्यता, मूढ़ता, अशिक्षा का साम्राज्य है। सन् 1940 में लिखी गई इस कविता के बाद यद्यपि देश की परिस्थितियों में बदलाव आया है किन्तु अभी भी भारत माता का मुख मंडल दीप्त दिखाई नहीं देता। ऐसा प्रतीत होता है मानों उसे राहु ने ग्रस लिया हो।

 सुमित्रानंदन पंत जी का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय देते हुए उनके द्वारा वर्णित भारत माता' के स्वरूप का वर्णन अथवा, भारत माता के स्वरूप को कवि ने किस तरह व्यक्त किया है ?

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