पादप कोशिका की परासंरचना

कोशिका जीवों के आधारभूत संगठन एवं क्रियाओं की वह सूक्ष्मतम, लेकिन पूर्ण अभिव्यक्ति है, जो बाहर की ओर एक विभेदकीय पारगम्य कोशिका झिल्ली द्वारा परिसीमित होती है तथा जिसमें स्वतः जनन की क्षमता होती है। सामान्यतः इसे जीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाता है।

रॉबर्ट हुक (Robert Hook, 1665) को कोशिका की खोज तथा कोशिका (Cell) शब्द के प्रतिपादन का श्रेय जाता है।


इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से प्रारूपिक पादप कोशिका का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि संरचनात्मक रूप से प्रत्येक कोशिका निम्नलिखित दो भागों से मिलकर बनी होती है -

(A) कोशिका भित्ति (Cell wall) एवं (B) सायटोसोम (Cytosome)।

(A) कोशिका भित्ति (Cell Wall)

(i) यह पादप कोशिका की वह बाह्यतम सीमा है जो कि कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) को घेरकर सुरक्षित रखती है। पादप कोशिका भित्ति कठोर, निर्जीव, मजबूत (Rigid) एवं अप्रत्यास्थ

(iii) पादप कोशिका भित्ति मुख्यत: सेल्युलोज (Cellulose) की बनी होती है। इसके अतिरिक्त इसमें चारों ओर से (Non-elastic) तथा पारगम्य (Permeable) होती है।

(ii) जन्तु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति का अभाव होता है। हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose), पेक्टिक पदार्थ, लिपिड्स, खनिज पदार्थ (Minerals) एवं मोम (Wax) आदि भी पाये जाते हैं।

(iv) कोशिका भित्ति प्राय: तीन स्तरीय होती है, प्राथमिक कोशिका भित्ति, द्वितीयक कोशिका भित्ति एवं मध्य लैमीला। कभी-कभी तृतीयक भित्ति भी उपस्थित होती है।

(v) पादप कोशिकाओं की प्राथमिक कोशिका भित्ति में कुछ स्थानों पर सूक्ष्म छिद्र उपस्थित होते हैं जिसकी सहायता से सभी कोशिकाओं का कोशिकाद्रव्य एक-दूसरे से सम्बन्धित रहता है तथा एक कोशिका से दूसरी में प्रवाहित होता रहता है। इस प्रकार कोशिकाद्रव्य पूल (Cytoplasmic bridge) बनाने वाले इन सूक्ष्म छिद्रों को प्लाज्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata) कहते हैं।

कार्य (Functions) - कोशिका भित्ति कोशिका की अन्तर्वस्तुओं की सुरक्षा करने के साथ-साथ कोशिकाओं को एक निश्चित आकार प्रदान करती है।

(B) सायटोसोम (Cytosome)

कोशिका के अन्दर उपस्थित समस्त आधारद्रव्य (Matrix) को ही सायटोसोम (Cytosome) कहते हैं। सायटोसोम निम्नलिखित दो भागों से मिलकर बना होता है -

(1) कोशिका झिल्ली (Cell membrane) एवं (2) जीवद्रव्य (Protoplasm)।

(1) कोशिका झिल्ली (Cell membrane) - पादप कोशिका में जीवद्रव्य एवं कोशिका भित्ति के बीच एक झिल्लीनुमा स्तर पाया जाता है, जिसे प्लाज्मा झिल्ली (Plasma membrane) अथवा कोशिका झिल्ली (Cell membrane) कहते हैं। कोशिका झिल्ली पतली, प्रत्यास्थ (Elastic) एवं विभेदकीय पारगम्य (Differentiallly permeable) होती है। यह झिल्ली त्रिस्तरीय (Trilaminar) होती है, जिसकी मोटाई 75A से 100A तक होती है तथा प्रोटीन एवं वसा की बनी होती है। इसमें प्रोटीन के दो बाह्य स्तरों के मध्य फॉस्फोलिपिड्स का एक स्तर होता है।

कार्य (Functions) - (1) कोशिका झिल्ली जीवद्रव्य के लिए सुरक्षात्मक आवरण का कार्य करती है तथा इसकी बाह्य आघातों से रक्षा करती है।

(2) यह कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) तथा इसके बाहर उपस्थित द्रव्यों के बीच आवागमन का नियन्त्रण रखती है।

(2) जीवद्रव्य (Protoplasm) — कोशिका झिल्ली से घिरे सम्पूर्ण तरल भाग को प्रोटोप्लाज्म कहते हैं।

प्रोटोप्लाज्म निम्नलिखित दो भागों से मिलकर बना होता हैं -

(a) कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm ) तथा (b) केन्द्रक (Nucleus) ।

(a) कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) - कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक (Nucleus) के मध्य उपस्थित अक्रिस्टलीय या आकारहीन (Amorphous) पारदर्शी एवं समांग कोलॉइडी द्रव्य (Homogenous coloidy liquid) को ही कोशिकाद्रव्य कहते हैं। यह कोशिका का आधारभूत पदार्थ (Matrix) बनाता है। कोशिकाद्रव्य में विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक (जैसे-जल तथा Na, K आदि के लवण) एवं विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थ (जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, लिपिड्स, नाभिकीय अम्ल, न्यूक्लियोप्रोटीन्स एवं एन्जाइम्स) पाये जाते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की जीवित कोशिकांग जैसे- क्लोरोप्लास्ट, माइटोकॉण्ड्रिया आदि पाये जाते हैं। कोशिकाद्रव्य में पायी जाने वाली समस्त अन्तर्वस्तुओं को निम्नलिखित दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है -

(I) जैविक अन्तर्वस्तुएँ (Living inclusions), (II) अजैविक अन्तर्वस्तुएँ (Non-living inclusions)।

(I) जैविक अन्तर्वस्तुएँ (Living inclusions) - इसके अन्तर्गत समस्त जीवित कोशिकीय संरचनाओं को सम्मिलित किया गया है, जिन्हें कोशिकांग (Cell organelles) कहते हैं। एक यूकैरियॉटिक पादप कोशिका में सामान्यतः निम्नलिखित कोशिकांग पाये जाते हैं -

(i) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic reticulum),
(ii) गॉल्जी कॉम्प्लेक्स (Golgi com plex),
(iii) माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria),
(iv) राइबोसोम (Ribosome),
(v) प्लास्टिड एवं क्रोमैटोफोर (Plastids and Chromatophore),
(vi) लाइसोसोम्स (Lysosomes) आदि.


(i) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic reticulum) - इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखने पर प्रत्येक कोशिका के कोशिकाद्रव्य में बहुत सी सूक्ष्म तथा शाखित दोहरी कला वाली नलिकाओं का एक अनियमित जाल फैला दिखाई देता है। पोर्टर (Porter, 1963) ने इन्हें एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम नाम दिया। यह कहीं-कहीं पर कोशिका झिल्ली तथा केन्द्रक कला (Nuclear membrane) से जुड़ी रहती है। ये नलिकाएँ कोशिका कला की ही भाग होती हैं।

कार्य (Functions) -

(1) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम कोशिका का सहायक ढाँचा बनाती है तथा यह परिसंचरण में सहायक होती है। यह वसा के संश्लेषण में भी सहायक होती है।

(2) खुरदरी भित्ति वाले एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम की सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं। अतः यह प्रोटीन्स के निर्माण में सहायक होती है।

(ii) गॉल्जी कॉम्प्लेक्स (Golgi complex) - यह कोशिका का एक कोशिका कलायुक्त महत्वपूर्ण कोशिकांग है, जिसकी खोज कैमिलो गॉल्जी (Camilo Golgi) ने की थी। यह केन्द्रक के पास छोटी-छोटी, चपटी एवं समानान्तर रूप से व्यवस्थित खोखली रचनाओं के चट्टे (Stacks) के रूप में पायी जाती है, जिसे सिस्टर्नी (Cisternae) कहते हैं। इससे कुछ आशय (Vesicles) एवं रिक्तिकाएँ (Vacuoles) जुड़ी रहती हैं। इसकी भित्ति लाइपोप्रोटीन्स कोशिका झिल्ली की बनी होती है।

कार्य (Functions) -
गॉल्जी कॉम्प्लेक्स का प्रमुख कार्य एन्जाइम का स्रावण, कोशिका पट्ट के निर्माण तथा जन्तुओं में यह शुक्रजनन के समय शुक्राणुओं के एक्रोसोम का निर्माण करना है।

(iii) माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) – यह कोशिकाद्रव्य में छड़ाकार कणों के रूप में बिखरा रहता है। यह द्विअध्यावरणी संरचना है जिसकी बाहरी भित्ति अर्द्धपारगम्य एवं लचीली होती है, जबकि भीतरी झिल्ली अनेक उभारों या अन्तर्वलनों (Infoldings) के रूप में पायी जाती है। इन अन्तर्वलनों को क्रिस्टी (Cristae) कहते हैं। भीतरी झिल्ली की आन्तरिक सतह पर ऑक्सीसोम्स (Oxysomes) होते हैं।

कार्य (Functions) - माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का 'विद्युत् घर' कहा जाता है, क्योंकि यह श्वसन क्रिया का स्थल होता है, जहाँ ATP के रूप में कोशिका के समस्त कार्यों के सम्पादन हेतु ऊर्जा उत्पन्न होती है।

(iv) राइबोसोम्स (Ribosomes) - कोशिकाद्रव्य में बहुत से गोलाकार अपारदर्शी कण पाये जाते हैं। ये कण प्राय: एण्डोप्लाज्मक रेटिकुलम की बाह्य झिल्ली से संलग्न रहते हैं। पैलेड (Palade) ने इन्हें राइबोसोम नाम दिया। यह कोशिका झिल्ली रहित कोशिकांग है। यह मुख्यत: RNA एवं प्रोटीन का बना होता है।

कार्य (Functions)- यह कोशिका में प्रोटीन का निर्माण करता है। अतः इसे 'प्रोटीन फैक्टरी' भी कहा जाता है।

(v) प्लास्टिड्स (Plastids) - यह पादप कोशिका में पाया जाने वाला कोशिकांग है। ये हरे रंग के (उदा.- क्लोरोप्लास्टिड्स) अथवा रंगहीन (उदा.- ल्यूकोप्लास्ट) होते हैं। क्लोरोप्लास्टिड्स डिस्कनुमा होते हैं, जिनका प्रमुख कार्य प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोज्य पदार्थों का निर्माण करना है। इसके अन्दर ग्रेना पाये जाते हैं। ल्यूकोप्लास्टिड्स विभिन्न प्रकार के पदार्थों का संग्रहण करने का कार्य करता है।

(vi) लाइसोसोम्स (Lysosomes) - लाइसोसोम कोशिकाद्रव्य में पायी जाने वाली अनियमित आकार की संरचना है। डुवे (Duve) ने इसे लाइसोसोम नाम दिया था। यह लाइपोप्रोटीन (Lipoprotein) झिल्ली के एक आवरण से घिरा कोशिकांग है। इसका निर्माण गॉल्जीकॉय द्वारा किया जाता है। इसमें बहुत से पाचक एन्जाइम्स पाये जाते हैं जो कि लाइसोसोम को भी पचा डालते हैं इसीलिये इन्हें 'आत्महत्या की थैली' (Pocket of suicidal bag) भी कहा जाता है।

कार्य (Function) - ये अंतराकोशिकीय पाचन (Intracellular digestion) में सहायक होते हैं ये मृत कोशिकाओं का पाचन करते हैं।

(II) अजैविक अन्तर्वस्तुएँ (Non- living inclusions) -  कोशिकाद्रव्य में उपस्थित समस्त अजैविक रचनाओं को सम्मिलित रूप से मेटाप्लास्ट (Metaplast) कहते हैं

(b) केन्द्रक (Nucleus) - सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्रॉउन (Robert Brown, 1831) ने कोशिका में केन्द्रक देखा। यह कोशिका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोशिकांग है, क्योंकि यह समस्त जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है। इसी कारण इसे 'कोशिका का नियंत्रण केन्द्र' (Controlling Centre of the Cell) कहा जाता है। प्रत्येक केन्द्रक चारों ओर से एक झिल्ली के द्वारा घिरा रहता है, जिसे नाभिकीय झिल्ली (Nuclear membrane) कहते हैं। नाभिकीय झिल्ली के अन्दर क्रोमैटिन के धागे (Chromatin threads) उलझकर क्रोमैटिन जाल (Chromatin network) बनाते हैं। ये धागे केन्द्रक के अन्दर उपस्थित द्रव्य में पाये जाते हैं। इस द्रव्य को ही केन्द्रकद्रव्य या न्यूक्लियोप्लाज्म (Nucleoplasm) कहते हैं। केन्द्रक के अन्दर एक छोटी-सी गोलाकार संरचना भी पायी जाती है, जिसे केन्द्रिका (Nucleolus) कहते हैं।

कार्य (Function) –
इसका मुख्य कार्य-RNA का निर्माण करना होता है।