परॉक्सीसोम की संरचना
परॉक्सीसोम को सबसे पहले टॉलबर्ट (Tolbert) तथा उसके सहयोगियों ने सन् 1968 में 'भग्न हरितलवक' के अंश से घनत्व प्रवणता के अपकेन्द्रण (Density Gra-dient Centrifugation) द्वारा प्राप्त किया था। इनका व्यास 0.5-1.0um के लगभग होता है। ये इकहरी इकाई झिल्ली की बनी गोलाकार रचनाएँ हैं, जिनमें हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2), उपापचय से सम्बन्धित प्रकीण्व जैसे— कैटेलेज, परॉक्सिडेज, यूरिएज ऑक्सी-डेज, D-ऐमीनो एसिड, आदि अधिकता से पाये जाते हैं। ये भी स्फेरोसोम के समान E.R. के मुकुलन से बनते हैं, जबकि इनके प्रकीण्व R.E.R. से लगे राइबोसोम में बनते हैं। ये सभी प्रकाश-संश्लेषी उच्चवर्गीय पौधों की कोशिकाओं और जन्तुओं की लिपिड उपापचय से सम्बन्धित कोशिकाओं में 70 से 100 की संख्या में पाये जाते हैं। इनके अन्दर एक कणिकामय आधात्री (Matrix) भरा होता है।परॉक्सीसोम के कार्य (Functions of Peroxisomes)
1. परॉक्सीसोम प्रकाश-श्वसन (Photo-respiration) में सहायता करते हैं।2. यह क्रिया हरे पौधों में प्रकाश की तीव्रता, CO, की कम सान्द्रता और O, की अधिकता में माइटोकॉण्डिया, हरितलवक और परॉक्सीसोम की सहायता से होती है।
3. इस क्रिया में हरितलवक में निर्मित ग्लाइकोलिक अम्ल (Glycolic acid) के अणु परॉक्सीसोम में प्रवेश करते हैं और इनमें इस अम्ल का ऑक्सीकरण होता है तथा CO, मुक्त होती है। 4. प्रकाश श्वसन के अतिरिक्त परॉक्सीसोम जन्तु कोशिकाओं में वसा उपापचय में भाग लेते हैं। ये वसा को कार्बोहाइड्रेट में बदलते हैं और HO, उपापचय में भाग लेते हैं
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