केन्द्रिका (Nucleolus)

प्रत्येक केन्द्रक के अन्दर बड़ा एवं गोलाकार कण पाया जाता है, जिसे केन्द्रिका (Nucleolus) कहते हैं। इसकी खोज फोण्टाना (Fontana, 1781) ने की थी। केन्द्रिका की स्थिति प्रायः निश्चित होती है। यह सामान्यत: गुणसूत्र के न्यूक्लियोलर संगठक से सम्बन्धित रहता है। इनकी संख्या प्रजाति (Species) एवं गुणसूत्रों की संख्या (Number of chromosomes) पर निर्भर होती है। सामान्यतः गुणसूत्र के प्रत्येक अगुणित (Haploid) सेट के लिए एक केन्द्रिका (Nucleolus) होती है।

केन्द्रिका की परासंरचना (Ultra Structure of Nucleolus)

(a) रेशेदार भाग (Fibrilar region) - यह भाग राइबोन्यूक्लियो प्रोटीन के तन्तुओं का बना होता है, इसे न्यूक्लियोलेमा (Nucleolemma) भी कहते हैं। प्रत्येक तन्तु की लम्बाई 50-80A तक होती है।

(b) दानेदार भाग (Granular region) - यह भाग 150 से 200A व्यास के कणों का बना होता है और ये कण रेशेदार भाग के टूटने से बनते हैं। यह भाग भी राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन्स का बना होता है।

(c) प्रोटीन भाग (Protein region) - यह भाग प्रोटीन का बना होता है तथा यह केन्द्रिका के तरल भाग को सूचित करता है, जिसमें केन्द्रिका के अन्य भाग स्थित होते हैं।

(d) क्रोमैटिन भाग (Ch-romatin region) - यह क्रोमैटिन के तन्तुओं से निर्मित भाग होता है, जिसमें DNA पाया जाता है। यह DNA, RNA निर्माण के लिये टेम्पलेट (Template) की भाँति कार्य करता है। प्रत्येक न्यू क्लियोलस के चारों ओर क्रोमैटिन का एक आवरण पाया जाता है, जिसे पेरि न्यूक्लियोलर क्रोमैटिन (Perinu cleolar chromatin) कहते हैं। पेरि न्यूक्लियोलर क्रोमैटिन से कुछ पट्ट के समान ट्रेबेकुली (Septa like trabaculae) निकले रहते हैं, जिन्हें इन्ट्रान्यूक्लियोलर क्रोमैटिन (Intranucleolar chromatin) कहते हैं।

केन्द्रिका के कार्य (Functions of Nucleolus)

(1) यह RNA का संग्रहण तथा राइबोसोम्स का निर्माण करता है।
(2) यह समसूत्री कोशिका विभाजन में मुख्य भूमिका निभाता है।
(3) केन्द्रिका आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित करने में मध्यस्थ का कार्य करता है।