जीवमण्डल
(Biosphere)
में
प्राणियों तथा वातावरण के बीच रासायनिक पदार्थों के आदान प्रदान की चक्रीय गति को
जैव भू-रासायनिक चक्र (Bio-goochemical cycle) कहते हैं।
पृथ्वी
और उसके वातावरण में उन सभी तत्वों की निश्चित मात्रा रहती है, जिनकी आवश्यकता
जीवधारियों को हमेशा रहती है। इन्हें जैविक घटक (Biotic components) और अजैविक घटक (Abiotic compo nents) कहते हैं। ये जीवधारियों से भूमि व वायुमण्डल में और
वहाँ से पुनः जीवधारियों के बीच चक्रीय गति से पहुंचते हैं। यह क्रिया विभिन्न
चक्रों द्वारा पूरी होती है -
1.
गैसीय चक्र (Gaseous
cycle)- इस
चक्र में CO,,
N, O, चक्र
आते हैं।
2.
सेडीमॅटरी चक्र (Sedimentary
cycle)- इस
चक्र में फॉस्फोरस, सल्फर, कैल्सियम चक्र आदि आते हैं।
3.
जलीय चक्र (Water
cycle)- इस
चक्र के द्वारा जीवों, वायुमण्डल और वातावरण के बीच जल का आदान-प्रदान होता है।
(i) नाइट्रोजन
चक्र (Nitrogen
cycle) - वायुमण्डल
में नाइट्रोजन 78% होता है। वायुमण्डल ही नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है, लेकिन जीव
वायुमण्डल की इस नाइट्रोजन को सीधे ग्रहण करने में असमर्थ होते हैं। केवल कुछ
जीवाणु जल व भूमि में रहने वाले नीले-हरे शैवाल (Blue-green algae) तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीव ही नाइट्रोजन
का सीधे उपयोग कर सकते हैं।
पौधे
नाइट्रेट आयन (NO3) को अमीनो समूह में बदलते हैं, जिसे पौधे जमीन से
ग्रहण करते हैं। पौधों से नाइट्रोजन शाकाहारी प्राणियों और उनसे मांसाहारी
प्राणियों के शरीर में पहुँचती हैं। जल एवं भूमि में उपस्थित नाइट्रेट भी
नाइट्रोजन के मुख्य स्रोत हैं। पौधे नाइट्रेट का अवशोषण करके उन्हें अमीनो अम्ल
तथा प्रोटीन्स में बदल देते हैं, जिन्हें प्राणी ग्रहण करते हैं। मृत पेड़-पौधों व
जन्तुओं के शरीर में स्थित नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थ तथा उत्सर्जी पदार्थों पर
जीवाणु क्रिया करके उन्हें पुन: नाइट्रेट में बदल देते हैं, जिन्हें पौधे पुनः
ग्रहण करते हैं और यह चक्र पुनः चलता है।
(ii) ऑक्सीजन
चक्र (Oxygen
cycle) - वायुमण्डल
में ऑक्सीजन 21% होता है। ऑक्सीजन जीवों में श्वसन के द्वारा ग्रहण की जाती है। यह
कार्बोहाइड्रेट्स का ऑक्सीकरण करके पानी और कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है।
O2 जीव की
मृत्यु के बाद क्षय होकर पुनः वातावरण में CO2 तथा पानी के रूप में चली जाती है। हरे पौधों में जल कच्चे पदार्थ के रूप में
कार्य करता है और प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) में O2 और H2 में टूट जाता है। स्वतंत्र ऑक्सीजन वायुमण्डल में चली
जाती है। इस प्रकार ऑक्सीजन चक्र चलता है।
(iii) कार्बन
डाइऑक्साइड चक्र (Carbon
dioxide cycle) - जीवन
का आधार माने जाने वाली जीवद्रव्य (Protoplasm) में उपस्थित सभी कार्बनिक यौगिकों, जैसे- प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा
तथा न्यूक्लिक अम्ल आदि सभी जीवधारियों के लिए प्रमुख ऊर्जा के स्रोत हैं। इनके
ऑक्सीकरण से ऊर्जा मिलती है। वायुमण्डल में 0-03% CO2 होती है। इसका उपयोग सर्वप्रथम हरे पौधे करते हैं और प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
शाकाहारी
प्राणी इन पौधों को ग्रहण करते हैं, जिससे ये कार्बनिक पदार्थ प्राणियों के शरीर
में पहुँच जाते हैं। शाकाहारी प्राणियों को मांसाहारी प्राणी खाते हैं और ये
कार्बनिक पदार्थ मांसाहारी प्राणियों के शरीर में पहुँच जाते हैं। इनमें से कुछ
भाग शरीर की वृद्धि के लिए उपयोग में ले ली जाती है। कुछ भाग श्वसन क्रिया में CO2 में परिवर्तित होकर वायुमण्डल में चली जाती है।
वायुमण्डल की CO2 का कुछ भाग समुद्र जल द्वारा अवशोषित होकर समुद्री
पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण में उपयोग कर ली जाती है और कुछ CO2 कार्बोनेट के रूप में अवशोषित हो जाता है। प्राणियों
और पौधों की मृत्यु के बाद कार्बनिक पदार्थ CO2 और H2O में अपघटित हो जाते हैं, जिसे पुन: पौधों द्वारा
ग्रहण कर लिया जाता है। इस प्रकार CO2 का चक्र चलता है।
(iv) कैल्सियम
चक्र (Calcium
cycle) - कैल्सियम
का मुख्य स्रोत चट्टान होते हैं। इन चट्टानों में कैल्सियम के यौगिक पाये जाते
हैं। ये चट्टानी यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं। पौधे इनका मिट्टी से शोषण करते
है तथा अन्तु पानी के साथ शरीर में कार्बनिक यौगिकों के रूप में पहुँचते हैं।
जन्तुओं एवं पौधों की मृत्यु के बाद ये कैल्सियम अपघटित होकर घुली हुई अवस्था में
पानी में मिल जाती है। नदियों के पानी द्वारा कैल्सियम को समुद्र के पानी में
पहुँचा दिया जाता है। समुद्र में सतहीकरण (Sedimentation) विधि द्वारा समुद्र की सतह में जमा होकर पुन:
चट्टानों का रूप ले लेता हैं। इस प्रकार कैल्सियम चक्र अनवरत चलता रहता है।
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