टॉक्सिकोलॉजी (Toxicology)

टॉक्सिकोलॉजी विज्ञान की यह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वियों की प्रकृति, गुणों, प्रभाव एवं उनकी पहचान करते हैं। अतः इसे विष विज्ञान भी कहा जाता है। यह रासायनिक उद्योगों एवं संश्लेषित रसायनों के निर्माण में विकास एवं वृद्धि से जुड़ा हुआ है।

भारत में पहले इसका अध्ययन फार्मेकोलाजी (Pharmacology) तथा वेटरनरी (Veterinary) विषयों के अन्तर्गत ही किया जाता था। सन् 1950 में भारतीय वेटरनरी संस्थान, इज्जतनगर (Indian Veterinary Institute, Izzatnagar) में वेटरनरी टॉक्सिकोलॉजी (Veterinary toxicology) के नाम से एक अलग विभाग की स्थापना की गयी। इसके कुछ समय बाद ही अनेक पशु विज्ञान महाविद्यालयों एवं संस्थाओं में इसका पाठ्यक्रम शुरू हुआ। लखनऊ में औद्योगिक टॉक्सिकोलॉजी शोध संस्थान (Industrial Toxicological Research Institute, ITRC) की स्थापना सरकार द्वारा की गयी है, जिसमें विष विज्ञान से सम्बन्धित शोध सुविधाएँ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रदान की गयी हैं।

टॉक्सिकोलॉजी की शाखाएँ (Branches of Toxicology)

इसकी निम्नलिखित प्रमुख शाखाएँ हैं -

1. वातावरणीय टॉक्सिकोलॉजी (Environmental Toxicology) - मानव की भौतिक विकास की दौड़ के कारण वह समस्त पर्यावरण, जिसमें जीव रहते हैं, तेजी से प्रदूषित हो रहा है। वायु व जल के प्रदूषण से स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक भीषण समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं। सभी जीवों को प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी जीवों में धीरे-धीरे विभिन्न विषों के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार के लक्षण विकसित हो रहे हैं। कभी-कभी ये लक्षण काफी घातक एवं पुराने होते हैं।

कृषि, उद्यान-कृषि, मृदा तथा जलीय शालाओं में टॉक्सिक रसायनों (Toxic chemicals) का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इनमें से अनेक रसायनों का प्रयोग घरों व कारखानों तथा उद्योगों में किया जा रहा है। अनेक उद्योगों से टॉक्सिक रसायन अपशिष्ट पदार्थों के रूप में विसर्जित हो रहे हैं। इस प्रकार के विभिन्न प्रदूषकों के कारण पर्यावरण क्षीण होता जा रहा है। हम वातावरणीय टॉक्सिकोलॉजी (Environmental Toxicology) के अन्तर्गत जीवों एवं जीवमण्डल पर इन प्रदूषकों के प्रभाव एवं कारणों का अध्ययन करते हैं।

2. फोरेन्सिक टॉक्सिकोलॉजी (Forensic Toxicology) - इसमें टॉक्सिकोलॉजी (Toxicology) के मौलिक सिद्धांत एवं विश्लेषिक रासायनिकी (Analytical Chemistry) का अध्ययन करते हैं। इसके अन्तर्गत रसायनों व उनके प्रयोग के प्रभाव, अभिज्ञान, उपचार एवं मात्रात्मक परीक्षण (Quantitative Test) का अध्ययन करते हैं। यह जानकारी न्यायालयों में अदालती जाँच के समय उपयोगी होती है। किसी को विष देने या विष लेने का सन्देह होने पर इसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए फोरेन्सिक टॉक्सिकोलॉजी की विधियों का उपयोग किया जाता है। फोरेन्सिक टॉक्सिकोलॉजी द्वारा परिस्थितियों एवं उपलब्ध प्रमाणों की जानकारी के साथ-साथ सम्बन्धित व्यक्ति की मानसिक दशा, उसकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थिति तथा मृत्यु से पूर्व होने वाली घटनाओं का भी अध्ययन किया जाता है।

3. आर्थिक टॉक्सिकोलॉजी (Economic toxicology) -
इसके अन्तर्गत उन रासायनिक पदार्थों का अध्ययन करते हैं, जो विभिन्न जैव तन्त्रों के लिए अथवा कुछ विशिष्ट जीयों का दमन करने के काम आते हैं। रसायनों का प्रयोग आर्थिक आधार पर ही किया जाता है।

संश्लेषित एवं प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले दोनों ही रसायनों का प्रभाव विभिन्न जीवों पर अलग अलग प्रकार का होता है। उदाहरण के लिए प्रतिजैविक (Antibiotics) अनेक प्रकार के बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम होते हैं, किन्तु उनके पोषक जीवों पर प्रतिजैविक का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। इसी प्रकार अनेक कीटनाशक एवं पेस्टीसाइड (Insecticide and Pesticide) अनेक प्रकार के कीटों एवं पीड़कों (Pests) को नष्ट करने में सक्षम हैं, किन्तु आर्थिक महत्व वाले जीवों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

अनेक रसायन किसी जीव के कुछ विशिष्ट तन्त्रों व अंगों को ही प्रभावित करते हैं। इस प्रकार के रसायनों के का प्रयोग औषधि के रूप में भी करते हैं। फिर भी देखा गया है कि इस प्रकार के रसायनों के उपयोग से जीवों के शरीर पर हानिकारक या अवांछनीय प्रभाव भी पड़ते हैं। किसी औषधि की प्रकृति तथा इसके प्रयोग से उत्पन्न अन्य प्रतिकूल प्रभावों के आधार पर ही उसका आर्थिक महत्व निर्भर करता है। औषधियों के प्रति इस प्रकार को आवश्यक जानकारी, आर्थिक टॉक्सिकोलॉजी (Economics toxicology) का एक महत्वपूर्ण पक्ष है।

आर्थिक टॉक्सिकोलॉजी के अन्तर्गत विभिन्न रसायनों के अवांछनीय एवं लाभदायक प्रभावों का विभिन्न जीवों पर अध्ययन करते हैं। यह भी देखा जाता है कि किन परिस्थितियों में ये प्रभाव विकसित होते हैं तथा वे कौन से रासायनिक एवं जैव कारक हैं, जो इन रसायनों की वरण क्षमता (Selectivity) का नियमन करते हैं।

टॉक्सिकोलॉजी का क्षेत्र (Scope of Toxicology) -
विपैले पदार्थों के विज्ञान को टॉक्सिकोलॉजी (Toxicology) कहते हैं। यह विज्ञान की नवीनतम शाखा है। वर्तमान में इसका विस्तार तेजी से हो रहा है। इसका सम्बन्ध जीवों पर रासायनिक पदार्थों के प्रतिकूल प्रभावों तथा उसकी सम्भावनाओं से है।

टॉक्सिकोलॉजी (Toxicology) पर्यावरण विज्ञान की ही एक शाखा है, इसकी अनेक शाखाओं का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। टॉक्सिकोलॉजी (Toxicology) के अन्तर्गत हम पर्यावरण में उपस्थित विभिन्न रासायनिक पदार्थों की सान्द्रता, वितरण, रूपान्तरण एवं अन्त में उत्सर्जन का अध्ययन करते हैं। सम्भाव्य रूप से टॉक्सिक (Toxic) पदार्थों द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव तथा पर्यावरण द्वारा इनके प्रति प्रतिक्रिया की का गुण, अवशोषण जानकारी के लिए निम्नलिखित कारकों की जानकारी होनी आवश्यक है -

(i) भौतिक कारक (Physical factor) - टॉक्सिन की आण्विक संरचना, विलेयता सान्द्रता आदि का उत्पादन।

(ii) रासायनिक कारक (Chemical factor) - टॉक्सिन की रासायनिक क्रिया से जल-अपघटन तथा प्रकाशीय अपघटन का अध्ययन होता है।

(iii) जैविक कारक (Biological factor) - इसके अंतर्गत जैव स्थानान्तरण की जानकारी प्राप्त की जाती है।

जीवों पर टॉक्सिक पदार्थों के प्रभाव को समझने के लिए पारिस्थितिक विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, जैव रसायन, औतिकी एवं व्यवहार से संबंधित जानकारी होना आवश्यक है।