बिच्छू विष (Scorpion poison)

इस प्राणी का विष थोड़ी मात्रा में निकलता है परंतु इसके विष की विषाक्तता सर्प को अपेक्षा अधिक खराब होती है। इसका विष स्वच्छ एवं रंगहीन होता है, इसके विष का प्रभाव तेज व अधिक दर्दनाक होता है।

लक्षण (Symptoms)

(1) इसका विष हिमोलिटिक विष (Haemolytic venom) होता है। इसके काटने पर केवल एक छिद बनता है, छिद्र के चारों ओर लाल रंग का क्षेत्र बनता है।

(ii) खुजली, प्रभावी क्षेत्र में सूजन एवं ज्वलनशील दर्द होता है।

(iii) बेचैनी, अश्रुधारा, नाक का बहना, लार निकलना, पसीना आना, जी मिचलाना, उल्टी होना प्रमुख लक्षण हैं।

(iv) कुछ समय पश्चात् रोगी के शरीर में ऐंठन एवं मूर्च्छा आ जाती है।

(v) हृदय की धड़कन तेज होना काटने के 4-5 घंटे बाद होती हैं ।

(vi) रोगी को अत्यधिक रक्त लिए कफ निकलता है।

उपचार (Treatment)

1. बिच्छू के काटे हुए भाग के ऊपर की दिशा में रक्तबंध करना चाहिए।

2. काटे हुए स्थान पर बर्फ लगाना चाहिए।

3. काटे हुए स्थान पर चीरा लगाकर रक्त निकालना चाहिए ताकि विप बाहर आ सके।

4. घाव को अमोनिया घोल या पोटैशियम परमैंगनेट से साफ करना चाहिए।

5. निद्राकर औषधि देना चाहिए।

6. विशिष्ट प्रकार के प्रति दंशविष (Antivenom) विभिन्न जातियों के बिच्छुओं के विष के लिए उपलब्ध है। इसका उपयोग करना चाहिए।


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