सीमाकारी या परिमितकारी कारक पर टिप्पणी (Comments on Limiting factors - Bsc final year zoology)

सीमाकारी या परिमितकारी कारक

पेड़-पौधे एवं जन्तु सभी जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने एक निर्धारित परिवेश में रहते हैं। इसी परिवेश को वातावरण कहते हैं। वातावरण प्रत्यक्ष रूप से जीवधारियों की जैविक क्रियाओं को प्रभावित करता है। प्रत्येक जीवधारी का वातावरण भौतिक कारकों और रासायनिक पदार्थों से बना होता है। ये संयुक्त रूप से वातावरणीय कारक कहलाते हैं।

जब किसी क्षेत्र में एक वातावरणीय कारक (Environmental factor) अधिकतम सहनशीलता सीमा से अधिक न्यूनतम सीमा से कम हो जाता है, तो वह कारक परिमितकारी हो जाता है। अत: “कोई भी कारक जो किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) में विभव वृद्धि (Potential growth) का काम करते हैं, उसे परिमितकारी कारक कहते हैं।" लीबिग (Licbig) तथा शेल्फोर्ड (Shelford) ने परिमितकारी कारकों के सिद्धान्तों का वर्णन किया तथा ओडम (Odum) ने इन नियमों का विस्तार किया।