हायलोप्लाज्म या आधात्री पर टिप्पणी (Comments on Hyaloplasm or Matrix)

हायलोप्लाज्म या आधात्री (Hyaloplasm or Matrix)

कोशिकाद्रव्य में आधार भाग पाया जाता है, जो अनेक सूक्ष्म तथा वृहद् अणुओं (Micro and Macro molecules) का बना होता है, इसे आधात्री (Matrix) या हायलोप्लाज्म (Hyaloplasm) या आधारद्रव्य (Groundplasm) कहते हैं। कुछ समय पूर्व इस हायलोप्लाज्म को एक रचनाविहीन तरल माना जाता था, लेकिन सन् 1970 की उच्च वोल्ट के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (High Voltage Electron Microscope) के अध्ययन के आधार पर यह सूक्ष्म वस्तुओं की बनी एक जालिका है, जिसके कारण इसमें स्थित सभी रचनाएँ अपनी जगह पर स्थित रहती हैं और एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। यह जालिका प्लाज्मा झिल्ली से भी जुड़ी रहती है। कोशिका के वातावरण में होने वाले परिवर्तनों के साथ इस जालिका का भी रूपान्तरण होता रहता है। जालिका का रूपान्तरण परासरण दाब, आयन्स, सान्द्रता आदि कारकों पर निर्भर करता है। यह कोशिकाद्रव्य का निष्क्रिय तथा अजीवित भाग होता है, जो उत्सर्जी, स्रावी तथा संचित पदार्थों का बना होता है। इन पदार्थों को कोशिका अन्त:स्थ (Cell inclusions) भी कहते हैं।

इनमें निम्नलिखित अन्तःस्थ पदार्थ पाये जाते हैं -

(1) संगृहीत पदार्थ (Reserve materials) -
इसके अन्तर्गत कोशिका द्वारा निर्मित एवं संगृहीत किये गये जटिल कार्बनिक यौगिकों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड्स, प्रोटीन एवं अकार्बनिक पदार्थ आते हैं।

(i) कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) - पादप कोशिकाओं में यह स्टार्च के रूप में, ट्यूबर्स (Tubers) जड़ों एवं बीजों में संगृहीत किया जाता है। कवक एवं जन्तु कोशिका में यह ग्लाइकोजन के रूप में संगृहीत होता है।

(ii) प्रोटीन (Protein) - प्रोटीन सामान्यत: पादपों के संचयी ऊतकों में पाया जाता है। उदाहरणस्वरूप यह अरण्डी, मक्का, जौ, गेहूँ इत्यादि के बीजों में एल्यूरॉन कणों के रूप में पाया जाता है। जन्तु कोशिकाएँ इनका संचय न कर आवश्यकतानुसार संश्लेषण करते हैं।

(iii) लिपिड (Lipid) -
तेल देने वाले पादपों की कोशिकाओं (जिन्हें जन्तुओं में एडियोसाइट कहते हैं।) में ये वसा बूंदों (Fat droplets) के रूप में संचित रहते हैं। शेष पादपों में ये अल्प मात्रा में पाये जाते हैं। जन्तु कोशिकाएँ भी लिपिड को वसा बूंदों के रूप में विशिष्ट कोशिकाओं में संचित करती हैं।

(2) स्त्रावी पदार्थ ( Secretory materials) –
ये कोशिकाओं के जीवद्रव्य द्वारा स्रावित पदार्थ होते हैं, लेकिन कोशिका के वृद्धि या पोषण में सहायता नहीं करते। इसमें रंग देने वाले पदार्थ, विकर (Enzymes), मकरन्द, हॉर्मोन, विटामिन आदि पदार्थ आते हैं। ये पदार्थ वृद्धि, पोषण के अतिरिक्त अन्य प्रक्रियाओं में सहायक होते हैं।

(3) अपशिष्ट या उत्सर्जी पदार्थ (Excretory materials) - ये पदार्थ विभिन्न उपापचयी क्रियाओं से बनते हैं और कोशिकाओं के लिए सामान्यतः हानिकारक होते हैं, इस कारण इन्हें कोशिका से बाहर निकालना आवश्यक होता है। अगर इन्हें कोशिका से बाहर नहीं निकाला गया तो कुछ समय बाद ये मृत हो जाती हैं। जन्तुओं में इन पदार्थों को कोशिकाएँ विशिष्ट तन्त्रों में छोड़ती हैं, जबकि पादप कोशिकाएँ भी अनेक अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण करती हैं, जो इनकी पत्तियों, फलों, बीजों एवं छालों में एकत्रित कर लिए जाते हैं। जैसे ऐल्केलॉइड, ग्लूकोसाइड, टेनिन, लैटेक्स, कार्बनिक अम्ल, गोंद, सुगन्धित तेल आदि पादपों के उत्सर्जी पदार्थ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख पदार्थों का विवरण निम्नानुसार है

(i) टैनिन (Tannin) - कत्था एक प्रकार का टैनिन है। इसके अलावा, हर्रा, बहेरा, आँवला, चाय तथा लकड़ियों में टैनिन पाया जाता है।

(ii) सुगन्धित तेल (Essential oil) - तुलसी, यूकैलिप्टस, नीबू की पत्तियों तथा तना, नारंगी एवं नीबू  के फल के छिलकों में पाया जाता है।

(iii) रेजिन (Resin) - पीले रंग का ठोस पदार्थ होता है। यह शंकु वृक्षों जैसे-चीड़ इत्यादि में पाया जाता है।

(iv) खनिज रवे (Mineral crystals) - पौधों की कोशिकाओं में बहुत से रासायनिक यौगिकों के रवे (Crystals) पाये जाते हैं। ये रवे कैल्सियम ऑक्जेलेट, कैल्सियम कार्बोनेट या कैल्सियम सल्फेट के हो सकते हैं, इसके अलावा भी अन्य कई यौगिकों के रवे पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

कैल्सियम ऑक्जेलेट (Calcium oxalate) के रवे, उच्च पादपों के संग्राहक अंगों, मज्जा या कॉर्टेक्स में अलग-अलग रूपों में पाये जाते हैं। जब ये सूच्याकार होते हैं, तब रेफाइड (Raphides), लेकिन जब तारावत् होते हैं, तब स्फीरोरेफाइड्स (Sphaeroraphides) कहलाते हैं। प्याज की कोशिकाओं में ये भिन्न-भिन्न आकृतियों के रूप में पाये जाते हैं।

कैल्सियम कॉर्बोनेट के रवे बरगद (Banyan), पीपल (Pipal) एवं रबर के उप-त्वचीय कोशिकाओं में पाये जाते हैं। रबर की पत्तियों में CaCO, के रवे, अंगूर के गुच्छों के रूप में पाये जाते हैं, इन गुच्छों को सिस्टोलिथ (Cystolith) कहते हैं ।

(v) ऐल्के लॉइड्स (Alkaloids) –
पादप कोशिकाओं में निम्न प्रकार के ऐल्केलॉइड्स पाये जाते हैं -

(i) निकोटिन (Nicotine) - तम्बाकू के पौधों में,
(ii) कैफीन (Caffeine) - कॉफी के पौधों में,
(iii) अफीम, मॉर्फीन (Opium, Morphine) - अफीम के पौधों में,
(iv) थीन (Theine) – चाय के पौधों में आदि ।