खाद्य जाल (Food web)

अधिकांश पारिस्थितिक तन्त्र में अनेक प्रकार के उत्पादक एवं उपभोक्ता होते हैं। इस प्रकार से कई खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से सम्बन्धित होती हैं तथा एक प्रकार का जाल-सा बना लेती हैं, जिसे खाद्य जाल (Food web) कहते हैं। खाद्य में पाये जाने वाले जीव विभिन्न स्तरों में एक दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। उपलब्ध भोजन के आधार पर प्रत्येक स्तर पर विभिन्न जीव निम्न स्तर के एक से अधिक जीवों पर निर्भर करते हैं। चूहा कई प्रकार के तने, जड़, फल व बीज खाता है। साँप चूहों का शिकार करता है तथा गिद्ध साँप का शिकार करता है। साँप, मेढक व चूहे दोनों को खाता है। इस प्रकार से यह जटिल खाद्य श्रृंखला एक खाद्य जाल (Food web) का निर्माण करता है।

पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य जाल की जितनी अधिक खाद्य शृंखलाओं के रूप में वैकल्पिक युक्तियाँ होती हैं, उतना ही अधिक जीवित प्राणियों का स्थिर समुदाय होगा। जैसे- यदि किसी क्षेत्र में शशक कम हो जायें तो क्या उसका शिकार करने वाले द्वितीयक उपभोक्ता बाज़ पक्षी भी कम हो जाएँगे। वास्तव में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि शशक के कम होने से वनस्पतियों को अधिक उगने का मौका मिलेगा, जिससे फल व बीज अधिक उत्पन्न होंगे। परिणामस्वरूप उस स्थान पर चूहे अधिक उत्पन्न होंगे और बाज शशक के स्थान पर चूहों को खाने लगेंगे और बाज अपनी संख्या को बनाये रखेंगे। इस प्रकार से खाद्य जाल के जितने अधिक वैकल्पिक रास्ते होंगे उतने ही जीव समुदाय स्थिर होंगे तथा पारिस्थितिक तन्त्र सन्तुलित रहेगा।

Khadya jaal par tippeni