पर्यावरणीय संघात निर्धारण या मूल्यांकन (Environment impact assessment)

हम सबको यह ज्ञात है कि कृषि में कीटनाशकों का उपयोग, उद्योग एवं खनिज खनन से हमारे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के प्रभाव या संघात के कारण हमारी भूमि, वन, जल, वायु एवं जैविक विविधता (Biological diversity) पर हानिकारक पदार्थों एवं अन्य कारकों के द्वारा प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस तरह

के प्रभाव या संघात (Impact) के मूल्यांकन को पर्यावरणीय संघात मूल्यांकन (Environment Impact Assessment) कहते हैं। इस विधि के द्वारा निश्चित पर्यावरणीय परिणाम के साथ कुछ योजना का निर्माण एवं उससे होने वाली क्षति एवं लाभ का मूल्यांकन किया जाता है। जब कोई भी उद्योग या कारखाना प्रारंभ होता है तब कच्चेमाल के साथ-साथ सभी पहलुओं पर विचार किया जाता है। इसे समझने के लिए बिलासपुर क्षेत्र के किसी तापीय ऊर्जा परियोजना का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसका वर्णन निम्नानुसार है -

1. तापीय ऊर्जा परियोजना के लिए सर्वप्रथम कच्चामाल, मुख्य रूप से कोयला (Coal) किसी कोल माइन्स से प्राप्त किया जाता है। उसके खनन, परिवहन एवं उसके पर्यावरण पर प्रभाव के संबंध में पूर्व में ही विचार किया जाता है।

2. खनन के समय अवरित मिट्टी, जैविक विविधता, जलीय कार्यों (Water bodies) के साथ पौधों एवं प्राणियों की विभिन्न जातियों की भी क्षति होती है और उसका मूल्यांकन कर लेना चाहिए।

3. खनन क्षेत्र (Mining area) से स्थानीय आवासों की दूरी और खनन की निरंतर अभिक्रियाओं का जनसंख्या पर भोजन (Food) एवं जलीय स्रोतों संबंधी प्रभावों का अनुमान लगाना आवश्यक होता है। खनन हेतु आवश्यक ऊर्जा की उपलब्धता एवं मानीय लोगों को प्राप्त सुविधाओं का आंकलन कर लेना चाहिए।

4. खोत क्षेत्रों के वातावरण के सभी संगठकों के पुनर्वास योजना मूल्य सहित बनाना चाहिए, जिससे कि आवासों की अवनति (Degradation) को खनन के साथ रोका जा सके।

5. वातावरणीय संघात निर्धारण का अगला चरण ऊर्जा संयंत्र का स्थान निर्धारण (Power plant location) होता है। यह संपूर्ण ऊर्जा व्यवस्थापन (Setup) का केन्द्र बिन्दु होता है। यहाँ के पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न पहलुओं के मूल्यांकन की आवश्यकता है। संयंत्र की स्थापना से होने वाली प्रदूषण का परीक्षण एवं उससे बचाव के तरीके पर स्पष्ट योजना बना लेनी चाहिए, जिससे प्राकृतिक असंतुलन से बचा जा सके।

पर्यावरणीय संघात निर्धारण के उद्देश्य (Objectives of environment impact assessment)

पर्यावरणीय संघात निर्धारण का उद्देश्य यह होना चाहिए कि विकास दीर्घकालिक हो, जिससे वातावरणीय अपक्षयन न्यूनतम होता है। किसी परियोजना पर इससे होने वाले विपरीत प्रभावों को सही किया जा सकता है। भारतीय शासन के पर्यावरणीय एवं वन मंत्रालय को परियोजना के मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, क्योंकि सभी परियोजनाओं के संघातों का मूल्यांकन करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों / सेक्टर को परियोजना सम्मिलित की गई है, जैसे-दीर्घ सिंचाई परियोजना, नदी घाटी परियोजना, जल ऊर्जा परियोजना, उद्योग, खनन परियोजना, तटीय क्षेत्र परियोजना, पर्यटन परियोजना एवं संचार परियोजना आदि।

मंत्रालय में एक पर्यावरण संघात निर्धारण शाखा होती है, जिसके अंतर्गत तीन विभाग आते हैं और प्रत्येक विभाग विशिष्ट क्षेत्र की परियोजना से संबंधित निर्णय लेती है -

(I) संघात निर्धारण विभाग-I - इसके अंतर्गत नदी घाटी परियोजना, जलीय ऊर्जा परियोजना तथा दीर्घ सिंचाई परियोजना आती है।

(ii) संघात निर्धारण विभाग-II - इसके अंतर्गत खनन परियोजना, तापीय ऊर्जा परियोजना तथा औद्योगिक परियोजना आती है।

(iii) संघात निर्धारण विभाग-III - इसके अंतर्गत संचार परियोजना पर्यटन परियोजना, बंदरगाह परियोजना तथा मानव बंदोबस्त परियोजनाएँ आती हैं।

इसी कड़ी में विश्व स्वास्थ्य संगठन में संयुक्त राष्ट्र वातावरणीय कार्यक्रम से मिलकर मानव अवरित मूल्यांकन स्थापन, स्वास्थ्य संबंधी सर्वेक्षण कार्यक्रम को विकसित किया। भारत में भी अनेक परियोजनाओं पर वर्तमान में कार्य प्रगति पर है।

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