पारिस्थितिक तंत्र

पारिस्थितिक तंत्र, पारिस्थितिकी (Ecology) की वह मूल क्रियात्मक इकाई है, जिसमें जैवीय समुदाय (Biological community) अपने पर्यावरण से परस्पर संबंधित होता है।

ओडम (Odum) के अनुसार “पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) पारिस्थितिकी (Ecology) की आधारभूत कार्यात्मक इकाई (Basic functional unit) है।"

पारिस्थितिक तंत्र के घटक (Components of Ecosystem)

ओडम (Odum) के अनुसार, पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystm) के क्रियात्मक रूप से दो घटक होते हैं (1) स्वजीवी घटक (Autotrophic components), (2) परपोषी घटक (Heterotrophic components)

(1) स्वजीवी घटक (Autotrophic components) - इसके अन्तर्गत हरे पादप आते हैं, जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु व भूमि से अकार्बनिक यौगिकों को अवशोषित करके कार्बनिक यौगिकों का संश्लेषण करते हैं।

(2) परपोषी घटक (Heterotrophic components) - इसके अन्तर्गत जटिल खाद्य पदार्थों के अवक्रमण, पुनर्विन्यास एवं उसके उपयोग से सम्बद्ध घटक जीव आते हैं, किन्तु संरचनात्मक या सामान्य दृष्टिकोण के अनुसार इकोसिस्टम को चार भागों में (घटकों में) विभक्त किया गया है -

(i) अजैव पदार्थ (Abiotic substances),
(ii) उत्पादक (Producers), 
(iii) उपभोक्ता (Consumers),
(iv) विघटक (Decomposers)।


(i) अजैव पदार्थ (Abiotic substances) - ये इकोसिस्टम के अजीवित घटक हैं, जिनके अन्तर्गत अकार्बनिक तथा कार्बनिक यौगिक सम्मिलित हैं। इकोसिस्टम के अजैव अकार्बनिक घटकों में जल, CO, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कैल्सियम तथा फॉस्फोरस एवं इनके यौगिक, जैसे- कार्बोनेट, नाइट्रेट, फॉस्फेट आदि सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ जैसे-CO2, पानी एवं ऑक्सीजन (O) तो प्रकृति में स्वतन्त्र रूप से पाये जाते हैं तथा अन्य भूमि के अन्दर जल में घुलित रहते हैं तथा कुछ मृतोपरान्त जीवों के शरीर के विघटन के फलस्वरूप बनते हैं।

(ii) उत्पादक (Producers) - ये इकोसिस्टम के स्वजीवी जीव (हरे पादप) हैं, जो सरल अकार्बनिक यौगिकों से जटिल कार्बनिक पदार्थों के रूप में अपना भोजन बनाने में समर्थ होते हैं। इकोसिस्टम के अन्तर्गत छोटे सूक्ष्म पादप (पादप प्लवक Phytoplankton) या जड़ वाले पेड़-पौधे तथा उथले जल में तैरने वाले पौधे सम्मिलित हैं। पादप प्लवक तालाबों या पोखरों में उस गहराई तक पाये जाते हैं, जहाँ तक कि प्रकाश की किरणें पहुँच पाती हैं। ये लगभग सभी प्रकार के जल में पाये जाते हैं। विभिन्न इकोसिस्टम में पाये जाने वाले पेड़-पौधे आकृति एवं संरचना में अत्यधिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं, जैसे-घास (Grass) मैदानों में, वृक्ष जंगलों में तथा तैरने वाले पादप तालाब व झीलों के पानी में पाये जाते हैं।

(iii) उपभोक्ता (Consumers) - ये परपोषी जीव हैं, जो अपने भोजन के लिए उत्पादकों पर आश्रित होते हैं। ये मुख्यत: एक इकोसिस्टम में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्राणी हैं। उपभोक्ताओं को विभिन्न वर्गों में रखा जा सकता है-(i) शाकाहारी प्राणी इकोसिस्टम के प्राथमिक उपभोक्ता (Primary consumers) कहलाते हैं। ये केवल वनस्पति का सेवन करते हैं। मृग या शशक वन के, चूहा बगीचों का तथा प्रोटोजोअन्स, क्रस्टेशियन्स एवं मोलस्क पोखर, तालाब व समुद्र के प्राथमिक उपभोक्ता हैं। कीट, कृन्तक प्राणी तथा जुगाली करने वाले पशु स्थलीय पर्यावरण के मुख्य शाकाहारी उपभोक्ता हैं। प्राथमिक उपभोक्ता, प्राथमिक मांसभक्षी प्राणियों या द्वितीय उपभोक्ताओं के भोजन के काम आते हैं। (ii) प्राथमिक मांसभक्षी प्राणी द्वितीय उपभोक्ता (Secondary consumers) कहलाते हैं। ये शाकाहारी प्राणियों का भक्षण करते हैं। जैसे- कुत्ता, बिल्ली, लोमड़ी आदि। (iii) द्वितीयक मांसभक्षी प्राणी (Secondary consumers) या वे प्राणी जो मांसभक्षी प्राणियों का भक्षण करते हैं, तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary consumers) कहलाते हैं, जैसे- शेर, चीता आदि।

एक इकोसिस्टम के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के सरलतम सम्बन्ध को 'खाद्य श्रृंखला' (Food chain) कहते हैं तथा उस जटिल सम्बन्ध का जिसमें कि विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता एक ही प्रकार के उत्पादकों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं 'खाद्य जाल' (Food web) कहते हैं। उदाहरणार्थ- लकड़बग्घा, शेर द्वारा छोड़े गये शिकार के अवशेषों को अपना भोजन बनाता है। गिद्ध भी नीचे आकर शेर द्वारा छोड़े हुए अवशेषों को अपना भोजन बनाते हैं।

(iv) विघटक या अपघटक (Decomposers) - इकोसिस्टम के इस घटक के अन्तर्गत सूक्ष्मजीव आते हैं, जो मृत व क्षय होते हुए पेड़-पौधों व जन्तुओं का भक्षण करते हैं और उनको सरल कार्बनिक यौगिकों में विघटित कर देते हैं। ये सरल यौगिक वायुमण्डले में विमुक्त हो जाते हैं, जो उत्पादकों द्वारा खाद्य पदार्थों के संश्लेषण के उपयोग में आते हैं।

परिवर्तक (Transformers) रखे गये हैं। ये विघटित पदार्थों पर प्रतिक्रिया करके उनको विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।

यह आवश्यक नहीं कि किसी एक इकोसिस्टम में उपर्युक्त सभी घटक उपस्थित हों। कुछ इकोसिस्टम में किसी न किसी का अभाव अवश्य ही देखा गया है।