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हरितलवक पर टिप्पणी (Comments on Chloroplast)

हरितलवक (Chloroplast)

यह हरे रंग का लवक (Plastid) है, जिसमें क्लोरोफिल (Chlorophyll) नामक वर्णक पाये जाते हैं। यह लवक (Plastid) प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग करके उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य करता है। यह लवक प्राय: सभी हरे पौधों में पाया जाता है। यह गोलाकार, अण्डाकार अथवा डिस्कनुमा होता है।

परासंरचना (Ultrastructure )

संरचनात्मक रूप से क्लोरोप्लास्ट निम्नलिखित दो भागों से मिलकर बना होता है।

(1) सीमा निर्धारक झिल्ली (Limiting membrane) एवं (2) स्ट्रोमा (Stroma)।

(1) सीमा निर्धारक झिल्ली (Limiting membrane) - प्रत्येक क्लोरोप्लास्ट के चारों ओर लाइपोप्रोटीन (Lipoprotein) की बनी दोहरी झिल्ली (Double membrane) का आवरण उपस्थित होता है। प्रत्येक झिल्ली की मोटाई 40 60A तक होती है। इन दोनों झिल्लियों के बीच एक रिक्त स्थान उपस्थित होता है, जिसे पेरिप्लास्टिडियल स्पेस (Periplastidial space) कहते हैं, जिसकी चौड़ाई 25-75 A तक होती है। 

(2) स्ट्रोमा (Stroma) – प्लाज्मा झिल्ली के अन्दर प्रोटीनयुक्त जलीय पारदर्शी पदार्थ भरा रहता है, जिसे मैट्रिक्स (Matrix) या स्ट्रोमा (Stroma) कहते हैं। स्ट्रोमा में स्टार्च कण एवं ऑस्मोफिलिक बूँदें (Osmophilic droplets) भरी रहती हैं।

(i) उच्चवर्गीय पौधों के स्ट्रोमा में छोटी-छोटी बेलनाकार संरचनाएँ उपस्थित रहती हैं, जिन्हें ग्रैना (Grana) कहते हैं।

(ii) प्रत्येक ग्रैनम (Granum) में बहुत-सी डिस्क के आकार की झिल्लीनुमा थैलियाँ (Membranous) उपस्थित होती हैं, जिन्हें थायलेकॉयड (Thylakoids) कहते हैं। ये थायलेकॉयड्स एक के ऊपर एक चट्टेनुमा व्यवस्थित रहती हैं। एक ग्रैनम में थायलेकॉयडों की संख्या 50 तक होती हैं।

(iii) सभी ग्रैना आपस में झिल्लीनुमा नलिकाओं (Membranous tubules) के द्वारा जुड़ी रहती हैं, जिन्हें स्ट्रोमल लैमिली (Stromal lamellae) या फ्रेट्स (Frets) कहते हैं।

(iv) प्रत्येक क्लोरोप्लास्ट में ग्रैनम के अन्दर क्लोरोफिल (Chlorophyll) उपस्थित रहता है।

(v) क्लोरोप्लास्ट में लिपिड्स व प्रोटीन्स के अतिरिक्त DNA एवं RNA भी पाये जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण से सम्बन्धित सभी वर्णक एवं इलेक्ट्रॉन वाहक थायलेकॉयड में पाये जाते हैं।

(vi) क्लोरोप्लास्ट में 70S प्रकार के राइबोसोम भी पाये जाते हैं। इन सभी पदार्थों (आनुवंशिक तंत्र) की उपस्थिति के कारण इसे अर्द्ध-स्वशासित कोशिकांग (Semiautonomous cell organelle) भी कहते हैं।

हरितलवक के कार्य (Functions of Chloroplast)

(1) प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis)– क्लोरोफिल का प्रमुख कार्य प्रकाश-संश्लेषण द्वारा कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण करना होता है। यह सूर्य प्रकाश की विकिरण ऊर्जा (Radient energy) की उपस्थिति में CO, एवं H2O की सहायता से कार्बनिक भोज्य पदार्थ जैसे ग्लूकोज का निर्माण करता है, जो कि श्वसन क्रिया में ऊर्जा उत्पन्न करने के काम आता है।

प्रकाश-संश्लेषण दो अवस्थाओं में होता है -

(i) प्रकाश अभिक्रिया - यह अभिक्रिया ग्रैना में सम्पन्न होती है।
(ii) अन्धकार अभिक्रिया - यह अभिक्रिया स्ट्रोमा में सम्पन्न होती है।

(2) क्लोरोप्लास्ट प्रकाश - संश्लेषण क्रिया के समय वातावरण की CO2 का अवशोषण करते हैं तथा अपने अन्दर H2O का प्रकाश रासायनिक अपघटन करके O, गैस मुक्त करते हैं, जो कि जीवों के श्वसन के काम आती है। इस प्रकार क्लोरोप्लास्ट वातावरण में O, एवं CO, की सान्द्रता पर नियन्त्रण रखते हैं।

(3) प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाश अभिक्रिया के समय इसमें ADP के फॉस्फोरिलेशन (Phosphoryla tion) से ATP का निर्माण होता है। इसी समय NADP से NADPH, का भी निर्माण होता है। ये ATP एवं NADPH, अन्धकार अभिक्रिया में CO, के अपचयन के काम आते हैं।

(4) क्लोरोप्लास्ट हरे रंग का वर्णक होता है, अतः यह पत्तियों को हरा रंग प्रदान करता है।


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