कोशिका भित्ति
पादप कोशिकाओं में कोशिका कला (Cell membrane) के चारों ओर अपेक्षाकृत अधिक मजबूत स्तर पाया जाता है, जिसे कोशिका भित्ति (Cell wall) कहते हैं। यह कोशिका भित्ति माइक्रोफाइब्रिल्स (Mi crofibrils) के कई स्तरों की बनी होती है। जीवाणुओं (Bacteria) एवं नीली-हरी शैवालों में ये तन्तु पॉलिसैकेराइड्स एवं प्रोटीन्स के बने होते हैं। उच्चवर्गीय पौधों की कोशिका भित्ति सेल्युलोज (Cellulose) की बनी होती है, जबकि कवकों की कोशिका भित्ति पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides) एवं काइटिन (Chitin) की बनी होती है।कोशिका भित्ति की संरचना (Structure of Cell Wall)
कोशिका
भित्ति की संरचना का सूक्ष्मदर्शीय अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि इसमें
निम्नलिखित स्तर होते हैं -
(1) मध्य पटलिका (Middle lamella), (2) प्राथमिक कोशिका भित्ति (Primary cell wall), (3) द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall), (4) तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary cell wall)।
(1) मध्य पटलिका (Middle lamella) – यह दो समीपस्थ (Adjacent) कोशिकाओं के मध्य पायी जाने वाली भित्ति है जो कि कोशिकाओं को आपस में जोड़ने के लिये सीमेण्ट के समान कार्य करती है। मध्य पटलिका कैल्सियम एवं मैग्नीशियम पेक्टेट (Calcium and magnesium pactate) की बनी होती है। इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन्स भी पाया जाता है।
(2) प्राथमिक कोशिका भित्ति (Primary cell wall) - यह भित्ति मध्य पटलिका के ठीक नीचे पायी जाती है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह पेक्टेट (Pactate), हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) एवं कुछ पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides) की बनी होती है। यह भित्ति लचीली (Elastic) एवं जलयोजित (Hydrated) होती है।
(3) द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall) - जब कोशिकाओं की वृद्धि (Growth) एवं विभाजन (Division) की क्रियाएँ रुक जाती हैं, तब प्राथमिक कोशिका भित्ति के ऊपर कोशिकाद्रव्य के द्वारा स्रावित पदार्थ जमा होकर एक और भित्ति बना देते हैं, जिसे द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall) कहते हैं। यह भित्ति मुख्यतः हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) एवं सेल्युलोज (Cellulose) की बनी होती है। कुछ कोशिकाओं की द्वितीयक कोशिका भित्ति में लिग्निन (Lignin) या सुबेरिन (Suberin) का जमाव हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कॉर्क (Cork) का निर्माण होता है। यह भित्ति कोशिका को यान्त्रिक सहारा प्रदान करने का कार्य करती है। कभी-कभी द्वितीयक भित्ति के निर्माण के समय कुछ स्थान खाली छूट जाते हैं, जिससे गर्त (Pits) का निर्माण होता है। इन गर्तों को प्लाज्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata) भी कहते हैं। इन गर्तों से होकर एक कोशिका का जीवद्रव्य दूसरी कोशिका के जीवद्रव्य से जुड़ा रहता है।
(4) तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary cell wall) - अनावृत्तबीजी (Gymnosperms) पौधों की जायलम वाहिनियों (Xylem tracheids) की द्वितीयक कोशिका भित्ति के बाहर की ओर लिग्निन आदि के जमाव के फलस्वरूप तृतीयक भित्ति का निर्माण होता है।
सामान्यतः कोशिका भित्ति सेल्युलोज (Cellulose) नामक पॉलिसैकेराइड की बनी होती है, जिसका सामान्य सूत्र (CH10Os), होता है। सेल्युलोज के साथ कुछ पेक्टिक पदार्थ (Pectic substance), हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) कुछ अन्य पॉलिसैकेराइड्स भी पाये जाते हैं। मध्य पटलिका (Middle lamella) मुख्य रूप से कैल्सियम एवं मैग्नीशियम पेक्टेट की बनी होती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से सेल्युलोज की बनी होती हैं।
सेल्युलोज के अणुओं का औसतन 100 शृंखलाओं को मिलाकर एक मिसेली (Micelle) या प्रारम्भिक फाइब्रिल (Elementary fibril) बनता है। इन 20 प्रारम्भिक फाइब्रिलों का समूह (Bundle) मिलकर एक माइक्रोफाइब्रिल (Microfibril) का निर्माण करता है। लगभग 250 माइक्रोफाइब्रिल का एक समूह एक फाइबिल (Fibril) निर्मित करता है। माइक्रोफाइब्रिल, प्राथमिक भित्ति में कोशिका की अनुप्रस्थ दिशा में तथा द्वितीयक भित्ति में लम्बाई की दिशा में कुण्डलाकार रूप से विन्यस्त रहते हैं।
कोशिका भित्ति को अगर इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखें तो यह अनेक सूक्ष्म तन्तुओं की बनी होती है, जो पॉलिसैकेराइड, मुख्यत: पेक्टिन और हेमीसेल्युलोज की बनी आधात्री (Matrix) में पड़े रहते हैं। सूक्ष्म तन्तु सेल्युलोज के बने होते हैं। आधात्री में लिग्निन (Lignin), क्यूटिन (Cutin), सुबेरिन (Suberin), गोंद (Gum), टैनिन (Tannin) तथा अल्प मात्रा में खनिज पदार्थ जैसे- सिलिका (Silica), कैल्सियम ऑक्जेलेट (Calcium oxalate), कैल्सियम कार्बोनेट (Calcium carbonet) इत्यादि भी पाये जाते हैं।
(2) कोशिका को निश्चित आकार प्रदान करना।
(3) भौतिक दबावों से कोशिका की सुरक्षा करना ।
(4) पदार्थों के आवागमन को नियन्त्रित रखना।
(5) यह विभिन्न कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य करती है।
(1) मध्य पटलिका (Middle lamella), (2) प्राथमिक कोशिका भित्ति (Primary cell wall), (3) द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall), (4) तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary cell wall)।
(1) मध्य पटलिका (Middle lamella) – यह दो समीपस्थ (Adjacent) कोशिकाओं के मध्य पायी जाने वाली भित्ति है जो कि कोशिकाओं को आपस में जोड़ने के लिये सीमेण्ट के समान कार्य करती है। मध्य पटलिका कैल्सियम एवं मैग्नीशियम पेक्टेट (Calcium and magnesium pactate) की बनी होती है। इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन्स भी पाया जाता है।
(2) प्राथमिक कोशिका भित्ति (Primary cell wall) - यह भित्ति मध्य पटलिका के ठीक नीचे पायी जाती है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह पेक्टेट (Pactate), हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) एवं कुछ पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides) की बनी होती है। यह भित्ति लचीली (Elastic) एवं जलयोजित (Hydrated) होती है।
(3) द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall) - जब कोशिकाओं की वृद्धि (Growth) एवं विभाजन (Division) की क्रियाएँ रुक जाती हैं, तब प्राथमिक कोशिका भित्ति के ऊपर कोशिकाद्रव्य के द्वारा स्रावित पदार्थ जमा होकर एक और भित्ति बना देते हैं, जिसे द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary cell wall) कहते हैं। यह भित्ति मुख्यतः हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) एवं सेल्युलोज (Cellulose) की बनी होती है। कुछ कोशिकाओं की द्वितीयक कोशिका भित्ति में लिग्निन (Lignin) या सुबेरिन (Suberin) का जमाव हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कॉर्क (Cork) का निर्माण होता है। यह भित्ति कोशिका को यान्त्रिक सहारा प्रदान करने का कार्य करती है। कभी-कभी द्वितीयक भित्ति के निर्माण के समय कुछ स्थान खाली छूट जाते हैं, जिससे गर्त (Pits) का निर्माण होता है। इन गर्तों को प्लाज्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata) भी कहते हैं। इन गर्तों से होकर एक कोशिका का जीवद्रव्य दूसरी कोशिका के जीवद्रव्य से जुड़ा रहता है।
(4) तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary cell wall) - अनावृत्तबीजी (Gymnosperms) पौधों की जायलम वाहिनियों (Xylem tracheids) की द्वितीयक कोशिका भित्ति के बाहर की ओर लिग्निन आदि के जमाव के फलस्वरूप तृतीयक भित्ति का निर्माण होता है।
सामान्यतः कोशिका भित्ति सेल्युलोज (Cellulose) नामक पॉलिसैकेराइड की बनी होती है, जिसका सामान्य सूत्र (CH10Os), होता है। सेल्युलोज के साथ कुछ पेक्टिक पदार्थ (Pectic substance), हेमीसेल्युलोज (Hemicellulose) कुछ अन्य पॉलिसैकेराइड्स भी पाये जाते हैं। मध्य पटलिका (Middle lamella) मुख्य रूप से कैल्सियम एवं मैग्नीशियम पेक्टेट की बनी होती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से सेल्युलोज की बनी होती हैं।
सेल्युलोज के अणुओं का औसतन 100 शृंखलाओं को मिलाकर एक मिसेली (Micelle) या प्रारम्भिक फाइब्रिल (Elementary fibril) बनता है। इन 20 प्रारम्भिक फाइब्रिलों का समूह (Bundle) मिलकर एक माइक्रोफाइब्रिल (Microfibril) का निर्माण करता है। लगभग 250 माइक्रोफाइब्रिल का एक समूह एक फाइबिल (Fibril) निर्मित करता है। माइक्रोफाइब्रिल, प्राथमिक भित्ति में कोशिका की अनुप्रस्थ दिशा में तथा द्वितीयक भित्ति में लम्बाई की दिशा में कुण्डलाकार रूप से विन्यस्त रहते हैं।
कोशिका भित्ति को अगर इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखें तो यह अनेक सूक्ष्म तन्तुओं की बनी होती है, जो पॉलिसैकेराइड, मुख्यत: पेक्टिन और हेमीसेल्युलोज की बनी आधात्री (Matrix) में पड़े रहते हैं। सूक्ष्म तन्तु सेल्युलोज के बने होते हैं। आधात्री में लिग्निन (Lignin), क्यूटिन (Cutin), सुबेरिन (Suberin), गोंद (Gum), टैनिन (Tannin) तथा अल्प मात्रा में खनिज पदार्थ जैसे- सिलिका (Silica), कैल्सियम ऑक्जेलेट (Calcium oxalate), कैल्सियम कार्बोनेट (Calcium carbonet) इत्यादि भी पाये जाते हैं।
कोशिका भित्ति के कार्य (Functions of Cell Wall) -
(1) कोशिका को मजबूती तथा यांत्रिक सहारा प्रदान करना।(2) कोशिका को निश्चित आकार प्रदान करना।
(3) भौतिक दबावों से कोशिका की सुरक्षा करना ।
(4) पदार्थों के आवागमन को नियन्त्रित रखना।
(5) यह विभिन्न कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य करती है।