नर जनन
तंत्र (Male
Reproductive System
(ii) शुक्र वाहक - एक जोड़ी होती है। दोनों तरफ के शुक्र वाहक ऐसीटाबुलम के पास आकर एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
(iii) शुक्राशय - दोनों शुक्र वाहक जुड़कर फूली हुई रचना बनाते हैं जिसमें शुक्राणुओं का संकलन होता है।
(iv) एजेकुलेटरी वाहिनी - पतली कुण्डलित नलिका, जो शुक्राशय से निकलकर जनन वेश्म में है।
(v) सिरस या शिशन - यह मैथुनांग की तरह कार्य करता है।
(vi) प्रोस्टेट ग्रन्थियाँ - एक कोशिकीय ग्रन्थि है जो एजेकुलेटरी वाहिनी के चारों तरफ स्थित होती है जो एक क्षारीय स्त्रावण करती है जो शुक्राणुओं को गति में सहायता करता है।
मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System)
(i) ओवरी - एक अण्डाशय पाया जाता है जो एक शाखादार नली के आकार का होता है जिसे जर्मेरियम कहते हैं।(ii) अण्डवाहिनी - नीचे की ओर शरीर के मध्य भाग में मध्यवर्ती पीतक वाहिनी से जुड़ती है।
(iii) गर्भाशय - अण्डवाहिनी और पीतक वाहिनी जहाँ मिलती है वहाँ गर्भाशय का निर्माण होता है। यह मादा जनन छिद्र से बाहर खुलता है।