Full Width CSS

प्रॉन के उपांगो का वर्णन Description of the appendages of the prawn in Hindi

प्रॉन के उपांग (Appendages of Prawn)


प्रॉन में कुल 19 खण्ड पाये जाते हैं, इस प्रका कुल 19 जोड़ी उपांग भी पाये जाते हैं। 19 जोड़ी में से 5 जोड़ी सिर में जिसे सिर उपांग, 8 जोड़ी वृक्ष में जिस वक्ष उपांग और 6 जोड़ी उदर में जिसे उदरीय उपांग कहते हैं। उपयुक्त उपांग निम्न प्रकार के होते हैं -

(1) सिर उपांग

सिर उपांग निम्नलिखित होते हैं -

1. ऐण्टिन्यूल (Antennule)
2. ऐण्टिनी (Antennae)
3. मैण्डिबल्स (Mandibles)
4. मैक्सिल्यूली (Maxillulae)
5. मैक्सिली (Maxillae)


1. ऐण्टिन्यूल (Antennule)

यह यूनिरेमस व अग्रमुखी उपांग है जो सिर के प्रथम भाग में eye stalk के ठीक नीचे स्थित होता है। इनका प्रोटोपोडाइट तीन खण्डों का बना होता है, जो क्रमश: प्रीकोक्सा (Precoxa). कोक्सा (Coxa) तथा बेसिस (Basis) हैं। प्रीकोक्सा बड़ा तथा चपटा खण्ड है, जिसके पृष्ठ तल पर संयुक्त नेत्र के लिए चौड़ा गड्ढा होता है तथा स्टेटोसिस्ट (statocyst) का छिद्र भी होता है। यह त्वचा के आवरण द्वारा ढँका रहता है। प्रोकोक्सा के आधार पर बाहर की ओर एक काँटेदार उभार (spiny lobe) होता है जो स्टाइलोसेराइट (Stylocerite) कहलाता है। बेसिस के दूरस्थ सिरे पर दो लम्बे तथा बहुखण्डीय स्पर्शक (Feelers) होते हैं। बाह्य स्पर्शक पुनः दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है। पूर्व शृंगिकाएँ स्पर्शक एक्सोपोडाइट तथा एण्डोपोडाइट के समतुल्य नहीं होते।

2. शृंगिकाएँ या ऐण्टिनी (Antennae)

ऐण्टिनी भी मुख के आगे दूसरे खण्ड में शरीर के दोनों ओर ऐण्टिन्यूल्स के ठीक पीछे पाये जाते हैं। इनका प्रोटोपोडाइट छोटा होता है तथा कोक्सा एवं बेसिस नामक खण्डों का बना होता है। उत्सर्जन अंग की उपस्थिति के कारण यह भाग बहुत फूला रहता है। कोक्सा की भीतरी सतह पर रीनल छिद्र (Renal aperture) होता है। एक्सोपोडाइट बहुत चपटा और पत्ती के आकार का होता है जिसकी भीतरी सतह पर संवेदी सीटी (Sensory setae) लगे रहते हैं। यह स्क्वेमा (Squama) या स्केल कहलाता है। एण्डोपोडाइट लम्बे होते हैं। यह ऐण्टिनी संवेदी, उत्सर्जन एवं संतुलन का कार्य करता है।

3. मैण्डिबल्स (Mandibles)

यह छोटी, मजबूत तथा कैल्सिफाइड रचना है, जो तीसरे खण्ड के दोनों ओर स्थित होती हैं। यह कोक्सा की बनी होती है, जो दो भागों में बँटी रहती है। इसका तिकोना निचला भाग ऐपोफाइसिस बनाता है तथा ठोस दूरस्थ भाग सिर कहलाता है। सिर पुन: दो प्रवर्गों में बँटा रहता है। भीतर के प्रवर्ध को मोलर प्रवर्ध (Molar process) कहते हैं, जिस पर 5 या 6 दाँत लगे रहते हैं। बाहरी प्रवर्ध पर 3 दन्तिकाएँ होती हैं और यह इंसाइजर (Incisor) प्रवर्ध कहलाता है। सिर के बाहर की ओर तीन खण्डों वाला मैण्डिबुलर पल्प होता है। इसका आधार खण्ड बेसिस का बना होता है तथा अन्य दो खण्ड एण्डोपोडाइट को प्रदर्शित करते हैं। मैण्डिबल में एक्सोपोडाइट नहीं होता। इसका कार्य भोजन को कुतरना तथा चबाना है।

4. मैक्सिल्यूली (Maxillulae)

यह छोटे, कोमल, चपटे तथा पत्ती के समान उपांग है, जो मुख के पीछे शरीर के चौथे खण्ड में दोनों ओर स्थित होता है। प्रत्येक उपांग कोक्सा, बेसिस तथा एण्डोपोडाइट का बना होता है। एक्सोपोडाइट नहीं पाया जाता। एण्डोपोडाइट मुड़े हुए प्रवर्ध के रूप में होते हैं। यह भोजन ग्रहण करने में सहायता करता है।

5. मैक्सिली (Maxillae)

मैक्सिली पतली, चपटी तथा कोमल पत्ती के समान रचना है जो पाँच खण्डों में मुख के आधार पर स्थित होता है। इसका कोक्सा अनुप्रस्थ दरार (Transverse suture) द्वारा अपूर्ण भागों में विभक्त रहता है। बेसिस विभाजित होकर ग्नेथोबेस का निर्माण करता है। (एण्डोपोडाइट छोटा होता है, परन्तु एक्सोपोडाइट बड़ा, चपटा तथा पंखे के आकार का स्केफोग्नेथाइट (Scaphognathite) बनाता है। इसकी बाहरी स्वतन्त्र सतह पर सीटी लगे रहते हैं। स्केफोग्नेथाइट की गति द्वारा जल धारा उत्पन्न होती है, जो क्लोमों के ऊपर से जाती है और श्वसन में सहायता करती है। मैक्सिली श्वसन तथा भोजन ग्रहण करने में सहायक होता है।

(2) वक्ष उपांग

इसमें तीन जोड़ी मैक्सिलीपीड्स व पाँच जोड़ी पैर होते हैं।

1. प्रथम जोड़ी मैक्सिलीपीड्स

ये प्रथम खण्ड पर होते हैं। कोक्सा व बेसिस बनाते हैं। चाहरी सतह पर द्विशाखित एपिपोडाइट होता है। बेसिस पर बाहर एक्सोपोडाइट तथा अन्दर एण्डोपोडाइट होता है, जिन पर सीटी होती है। ये भोजन एकत्रित करने का कार्य करते हैं ।

2. द्वितीय जोड़ी मैक्सिलीपीड्स

इनका कोक्सा छोटा होता है, जिस पर एपिपोडाइट होता है। बेसिस छोटा जिस पर एक्सोपोडाइट होता है। एण्डोपोडाइट 5 खण्ड इश्चियम, मीटस, कार्पस, प्रोपोडस, डेक्टाइल्स में बँटा होता है, जबकि एक्सोपोडाइट खण्डहीन होता है। ये भोजन पकड़ने के साथ श्वसन का भी कार्य करते हैं।

3. तृतीय जोड़ी मैक्सिलीपीड्स

कोक्सा की बाहरी सतह पर एपिपोडाइट व भीतरी सतह पर सोटी होती है। बेसिस पर खण्डहीन एक्सोपोडाइट तथा अन्दर तीन खण्ड वाला एण्डोपोडाइट होता है। यह भोजन को पकड़कर रखता है, ताकि मैण्डिबल्स आसानी से भोजन को चबा सके।

4. टाँगें

पाँच जोड़ी टाँगें होती हैं। इनमें एण्डोपोडाइट व एक्सोपोडाइट का अभाव होता है। प्रारूपी टाँग में दो सन्धि वाला प्रोटोपोडाइट तथा पाँच सन्धि वाला एण्डोपोडाइट होता है। कोक्सा, बेसिस, इश्चियम, मीटस, कार्पस प्रोपोडस, डेक्टाइलस एक सीधी रेखा में होते हैं।

प्रथम व द्वितीय में प्रोपोडस, डेक्टाइलस समान्तर होते हैं, जो कीलेट बनाते हैं। 3. 4.5 टाँग कीलेट विहीन होती हैं।

(3) उदरीय उपांग (Abdominal appendages)

प्रॉन में 6 जोड़े उदरीय उपांग पाए जाते हैं। इन्हें प्लोओपोड्स (Pleopods) कहते हैं। यह जंतु को तैरने में सहायता करते हैं अतः इन्हें तरणपाद (Swimmerets) भी कहते हैं।

1. प्रारूपी प्लीओपोड (Typical pleopods)

इसके प्रोटोपोडाइट की रचना एक अंगूठे के समान कोक्सा तथा बेलनाकार बेसिस से होती है। बेसिस पर पत्ती के समान छोटा ऐन्डोपोडाइट (Endopodite) और बड़ा एक्सोपोडाइट (Exopodite) होता है। ऐन्डोपोडाइट के अंदर की तरफ अपेन्डिक्स इन्टर्ना (Appendix interna) लगी रहती है। बेसिस, एक्सोपोडाइट एवं एन्डोपोडाइट के किनारे सीटी मुक्त होते हैं। तीसरी, चौथी और पाँचव जोड़ी एवं मादा की दूसरी जोड़ी उदर उपांग प्रारूपी संरचना वाले होते हैं।

2. प्रथम उदरीय प्लीओपोड़ (First abdominal pleopod)

इसकी रचना प्रारूपी जैसी होती है परंतु इन्डोपोडाइट बहुत छोटा एवं अपैन्डिक्स इन्टर्ना अनुपस्थित होती है।

3. नर का द्वितीय प्लीओपोड (Second pleopod of male)

इसकी संरचना का अधिकांश भाग प्रारूपी जैसा होता है परन्तु ऐन्डोपोडाइट एवं अपैन्डिक्स इन्टर्ना के बीच एक प्रवर्ध अपैन्डिक्स मेस्क्यूलाइना (Appendix masculina) पाया जाता है।

4. छठवाँ प्लीओपोड या यूरोपोड (Sixth Pleopod or Uropod)

प्रत्येक यूरोपोड में कोक्सा तथा बेसिस परस्पर जुड़कर एक तिकोनी प्लेट सिम्पोड (Sympod) बनाते हैं जिस पर ऐक्सोपोडाइड तथा एन्डोपोडाइड होते हैं। इनके किनारे सीटी युक्त होते हैं।