पाचन
तंत्र (Digestive
system) पैलीमॉन
का पाचन तंत्र आहारनाल एवं हीपैटोपैन्क्रीयाज का बना होता है।
(A) आहारनाल
(Alimentary
canal) यह
सीधी नलिका है जो फोरगट (Foregut), मीडगट
(Midgut)
व
हाइण्ड गट (Hind
gut) में
बँटी रहती है।
1.
फोरगट (Foregut)
- यह
क्यूटिकल से आस्तरित होता है तथा निम्न भागों में बँटा रहता है
(i) मुख और मुखगुहा (Mouth and Buccal cavity) - मुँह बड़ी उध्वं झिरी के रूप में शरीर के तृतीय खण्ड
में मध्य अधर तल पर स्थित होता है यह आगे की ओर माँसल लेनम से पीछे की ओर
द्धिपिण्ड युक्त लेबियम से तथा दोनों पाश्र्वों में मैण्डिबल्स के इन्सीजर प्रवर्ध
से घिरा रहता है यह मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा आगे से पीछे की ओर दबा हुआ छोटा
कोष्ठ है जिसमें अनियमित मोड़ पाये जाते हैं तथा यह मोटी काइटिन से आस्तरित रहता
है एक-दूसरे के सामने एक-एक मैण्डिबल्स का मोलर प्रवर्ध इस गुहा में पाया जाता है।
(ii) इसोफेगस
(Oesophagus)
- यह
छोटी एवं चौड़ी नलिका है जो मुखगुहा के ऊपर की ओर निकलती है तथा आमाशय से जुड़
जाती है। यह मोटी क्यूटिकल से आस्तरित होती है तथा इसकी गुहा में चार उर्ध्वं मोड़
पाये जाते हैं जिससे इसकी गुहा सितारे जैसी दिखती है।
(iii) आमाशय
(Stomach)
- पूरी
आहारनाल में आमाशय की गुहा सबसे बड़ी होती है तथा यह पीछे की ओर अघर तथा दोनों
पाश्र्वों में हीपैटोपैन्क्रियाज से घिरी रहती है। यह कार्डियक व पायलोरिक दो
भागों में बँटा रहता है।
(a) कार्डियक
आमाशय (Cardiac
stomach) - यह
आमाशय का अगला भाग होता है, जो थैले के समान होता है। यह भाग पतली क्यूटिकल से
आस्तरित होता है जो कि अनेक उर्ध्व मोड़ों के रूप में आमाशय के ल्यूमैन से निकले
रहते हैं इन मोड़ों पर छोटी-छोटी ब्रिस्टिल्स लगी रहती है। इसकी भित्ति पर अनेक
क्यूटिकल को प्लेट्स लगी रहती है।
सरकुलर
प्लेट (Circular
plate) – यह
इसोफेजियल छिद्र के सामने स्थित होती है तथा उसकी अगली दीवार बनाती है।
लैन्सीओलेट
प्लेट (Lanceolate
plate) – यह
सरकुलर प्लेट के पीछे आमाशय की छत के मध्य धँसी रहती है।
हैस्टेट
प्लेट (Hastate
plate) - यह एक
तिकोनी प्लेट है जो कि आमाशय के फर्श के मध्य में धँसी रहती है। यह बीच में उठी
रहती है तथा इसके दोनों पार्श्व ढालू होते हैं। इसकी ऊपरी सतह पर मोटी-मोटी कोमल
सीटी पायी जाती है, इसका पिछला सिरा चौड़ा होता है जिसमें सीटी युक्त गड्ढे पाये
जाते हैं इसका पिछला किनारा कार्डियो, पायलोरिक छिद्र का अगला वाल्व बनाता है।
इसके दोनों पार्श्वों को आधार प्रदान करने के लिए ब्रिस्टिल युक्त सपोर्टिंग रॉड
लगे रहते हैं। यह भोजन के कणों को महीन कणों में पीसने के काम आती है। कार्डियक
आमाशय पायलोरिक आमाशय से जुड़ा रहता है तथा दोनों आमाशय X के आकार के कार्डियोपायलोरिक छिद्र द्वारा एक-दूसरे
से जुड़े रहते हैं।
(b) पायलोरिक
आमाशय (Pyloric
stomach) - यह
आमाशय का छोटा व सँकरा कोष्ठ है जो कि कार्डियक आमाशय के पीछे स्थित होता है इसकी
मोटी पार्श्व दीवारें दो उभरे हुए मोड़ बनाती है जो आमाशय की गुहा को दो भागों में
विभक्त करती है एक डॉर्सल चेम्बर दूसरा वेन्ट्रल चेम्बर |
(i) डॉर्सल
चेम्बर (Dorsal
chamber) - इस
कोष्ठ से दूरस्थ सिरे पर एक बंद डायवर्टीकुलम निकलता है जो मीडगट में खुलता है।
(ii) वेन्ट्रल
चेम्बर (Ventral
cha mber) - यह अधर
तल पर स्थित होता है तथा इसका आकार बड़ा होता है। इसके फर्श पर एक मध्य रिज पायी
जाती है जो गुहा के दो पार्श्व कोष्ठों को विभक्त करती है इन कोष्ठों की पार्श्व
दीवारें घनी ब्रिस्टिल्स से ढँकी रहती है इसका फर्श A के आकार के फिल्टर प्लेट से ढका रहता है। पायलोरिक
आमाशय के इस भाग में हिपैटोपेन्क्रियास की नालिकाएँ खुलती हैं।
2.
मीडगट (Midgut)
- यह
लम्बी व सँकरी नलिका है जो कि सिफैलोथोरैक्स के पिछले भाग से छठवें उदरीय खण्ड तक
फैली रहती है। यह एपिथीलियम द्वारा आस्तरित रहती है तथा इसमें कई उर्ध्व मोड़ रहते
हैं। यह हाइण्डगट में खुलती है।
3.
हाइण्डगट (Hind
gut) - यह
आहारनाल का सबसे छोटा भाग होता है तथा क्यूटिकल से आस्तरित होता है इसका अगला फूला
हुआ मांसल भाग इण्टेस्टाइनल बल्व या रैक्टम कहलाता है तथा पिछला भाग नलिकाकार होता
है। पिछला भाग एनस द्वारा शरीर के बाहर खुलता है।
(B) हिपैटोपैन्क्रियास
(Hepatopancreas)
- इसे
पाचक ग्रंथि भी कहते हैं, यह सिफैलोथोरेक्स केविटी में आमाशय को अधर पिछले एवं
दोनों पार्श्व से घेरे रहती है। यह बड़ी घनी व दो पिण्ड वाली ग्रन्थि है जो नारंगी
लाल रंग की होती है यह अंग पैलीमॉन में लिवर, पैन्क्रियास व छोटी आँत की तरह कार्य
करता है इसके अन्दर संयोजी ऊतक की घनी व भारी संरचना होती है यह प्रोटीन, वसा व
कार्बोहाइड्रेट के पाचन में मदद करता है। यह पचे भोजन को अवशोषण में भी मदद करता
है। इसमें ग्लाइकोजन व वसा एवं कैल्सियम का भण्डार रहता है।