नर, मादा की अपेक्षा छोटा होता है। इनकी सतह पर झुर्रियाँ पायी जाती हैं, जिनके कारण खण्डीभवन (Pseudo segmentation) का आभास होता है। शरीर के अग्र सिरे की रचना नर व मादा दोनों में एकसमान होती है। शरीर के ऊपर चिकना, कड़ा व लचीला क्यूटिकल होता है, जिसमें अनुप्रस्थ रेखांकन पाये जाते हैं। अग्रभाग में स्थित मुख में तीन होंठ पाये जाते हैं - एक पृष्ठीय व दो पावय/पृष्ठीय। होंठ में दो संवेदी पैपिला होते हैं तथा प्रत्येक अधर पाश्र्वय होंठ में दो दोहरे संवेदी पैपिला पाये जाते हैं। चारों पैपिला मिलकर एक बाहरी ओष्ठीय वृत्त (Outer labial circle) बनाते हैं। होठों पर विशेष प्रकार के संवेदी अंग भी पाये जाते हैं, जो एम्फिड (Amphid) कहलाते हैं। पैपिला स्पर्शग्राही होते हैं। जबकि एम्फिड सूँघने से संबंधित रसायनग्राही (Chemoreceptor) होते हैं।
होठों पर महीन दाँत बने होते हैं। शरीर के पश्च सिरे के समीप एक अनुप्रस्थ गुदा (Anus) होता है, जो मोटे होठों द्वारा बंद रहता है। नर में एक अवस्कर (Cloaca) होता है, जिसमें दो शिश्न शूक (Penial setae) होती है।
एक छोटी गुदा पश्चीय पूँछ होती है, जो मादा में सीधी किंतु नर में तीव्र घूमी हुई होती है। मादा जननछिद्र, जिसे भग (Vulva) भी कहते हैं, अधर दिशा में पाया जाता है। नर में जननछिद्र नहीं पाया जाता। उत्सर्जी छिद्र शरीर के मध्य-अधर रेखा पर अग्र सिरे से लगभग 2 मि.मी. की दूरी पर स्थित होता है।