यकृत फ्लूक का उत्सर्जन तंत्र ज्वाला कोशिकाओं एवं उत्सर्जन वाहिनियों से मिलकर बना होता है।

1. उत्सर्जन वाहिनियाँ (Excretory ducts) - फैसिओला के पिछले तीन चौथाई भाग में मध्य रेखा में शरीर के पृष्ठतल (Ventral side) में मुख्य लम्बवत् उत्सर्जी कैनाल पाया जाता है और यह उत्सर्जी छिद्र द्वारा शरीर के बाहर खुलता है। इस मुख्य उत्सर्जी कैनाल में से अनेक संख्या में से उत्सर्जी महावाहिकाएँ (Excretory trunk) निकलती हैं। ये महावाहिकाएँ Excretory vessels में विभाजित होती है और अन्त में Capillary ducts का निर्माण करती है जिसके अन्तिम सिरे में ज्वाला कोशिकाएँ पायी जाती हैं।

ज्वाला कोशिका की संरचना (Stucture of flame cell) - ज्वाला कोशिका को प्रोटोनेफ्रिडिया भी कहा जाता है। यह मीसेन्काइम सेल (Mesenchyme cells) से बनती है इसमें एक केन्द्रक एवं साइटोप्लाज्म पाया जाता है। इन ज्वाला कोशिकाओं में मध्य में एक केविटी पायी जाती है जिसमें सिलिया पाए जाते हैं। ये साइटोप्लाज्म स्थित बेसल ग्रेन्यूल से जुड़ा रहता है। प्रत्येक ज्वाला कोशिका एक केपिलरी डक्ट में खुलती है।

उत्सर्जन की कार्यिकी (Physiology of Excretion) - फैसिओला (Fasciola) का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ अमोनिया होता है। जबकि अन्य उत्सर्जी पदार्थ फैटी एसिड्स एवं कार्बन डाइऑक्साइड भी होता है। ये पदार्थ मोजेनकाइम सेल में जमा होती है और ज्वाला कोशिकाओं में विसरित होती रहती है। अन्त में कैपिलरी डक्ट से होते हुये मुख्य उत्सर्जी कैनाल में आती है एवं उत्सजी छिद्र द्वारा निष्कासित किया जाता है।

हिटरोगैमी (Heterogamy) - वैज्ञानिक ग्रोबिन (Grabbin) 1882 के अनुसार फैसिओला की विभिन्न लावल अवस्था पार्थीनोजेनेसिस द्वारा विकास करती है। इसी प्रकार फैसिओला की वयस्क अवस्था लैंगिक पीढ़ी को दर्शाती है। फैसिओला के जीवन चक्र में उपस्थित स्पोरोसिस्ट एवं रेडिया लार्वा के जर्म सेल पार्थीनोजेनेसिस द्वारा लावल अवस्था में बदल जाते हैं। अतः अलैंगिक लावल अवस्था एवं वयस्क फैसिओला के बीच पीढ़ियों का एकान्तरण (Alternation of generation) पाया जाता है। अलैंगिक पार्थोनोजेनेटिक जनन जो कि फैसिओला के लार्वल अवस्था द्वारा दर्शाया जाता है। हेटरोगैमी (Heterogamy) कहलाता है। जर्म सेल के द्वारा लार्वल अवस्था का बनना अलैंगिक मल्टीप्लिकेशन द्वारा होता है जिसे पॉलिएम्ब्रीयोनी (Polyembryony) कहते हैं।