(i) पॉलिप (Polyp) – ये हाइड्रोकोलाई तथा उनकी शाखाओं के स्वतंत्र सिरों पर स्थित बेलनाकार पोषक जीवक होते हैं इनका आधार सँकरा होता है ये पीले रंग के खोखले शंक्वाकार व दोनों सिरों पर खुले होते हैं ये हाइड्रोकॉलाई के सीनोसार्क के साथ जुड़े रहते हैं इनका दूर वाला भाग हाइपोस्टोम कहलाता है। इनके शीर्ष पर मुख होता है जिसके चारों तरफ टैण्टीकल्स होते हैं टैण्टीकल्स की संख्या 30 होती है। यह पोषक जीवक होता है जो कि माँसाहारी होता है जल में पाये जाने वाले सूक्ष्मप्राणियों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं टैपटीकल्स भोजन को मुख तक पहुँचाते हैं जहाँ यह भोजन सोलेन्ट्रॉन में पहुँचता है। इनकी कोशिकीय स्तर में दो स्तर पाये जाते हैं
(ii) ब्लास्टोस्टाइल (Blastostyle) - यह बेलनाकार होता है यह जनन जीवक (Gonozooid) कहलाता है यह एक संकरी नली के समान रचना होती है जिसका दूर वाला हिस्सा बंद होता है। इसकी भित्ति दोहरे स्तर की होती है। इसके बीच में गेस्ट्रोवेस्कुलर गुहा होती है। ब्लास्टोस्टाइल में मुकुलन द्वारा अनेक छोटी-छोटी तश्तरीनुमा लैंगिक रचनाएँ बनती है। जिन्हें मेड्यूसी (Medusae) कहते हैं। यह मेड्यूसा विकास कर ब्लास्टोस्टाइल से बाहर निकलकर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करता है।
(iii) मेड्यूसा (Medusa) - यह लैंगिक जीवक होता है ये ब्लास्टोस्टाइल के अक्ष में मुकुलन द्वारा बनती है इसकी उत्पत्ति ग्रीष्म या बसन्त ऋतु में ब्लास्टोस्टाइल के सीनोसार्क से खोखली के रूप में होती है इसको, गुहा तथा देहभित्ति ब्लास्टोस्टाइल की गुहा तथा देहभित्ति से सम्बन्धित होती है। यह एक तश्तरीनुमा रचना होती है। बाहरी सतह उत्तल होती है भीतरी सतह अवतल होती है। अवतल सतह पर छोटी-छोटी खोखली रचना मैनुब्रियम लगी रहती है, वीलम से छोटे-छोटे ठोस व लचीले टैण्टोकल्स लगे रहते हैं। प्रारंभ में टैण्टीकल्स की संख्या 16 होती है मेड्यूसा के वृद्धि करने पर यह टैण्टीकल्स बढ़ती है। इनमें स्टेटोसिस्ट पाया जाता है जो संवेदी अंग होता है। लैंगिक रूप से परिपक्व व मेड्यूसा में जनद के चार समूह लगे रहते हैं जो मेड्यूसा की अवतल सतह पर चारों अरीय नालों के बीच में स्थित रहते हैं। एक मेड्यूसा में एक वृषण (Testis) या एक अण्डाशय (Ovary) ही होता है। मेड्यूसा विकास कर ओबेलिया का निर्माण करता है।