मछलियों में पैतृक संरक्षण पर टिप्पणी | Comments on Parental care in Fishes in Hindi

मछलियों में पैतृक संरक्षण (Parental care in Fishes) 

अण्डों तथा शिशु मछलियों की  पैतृक द्वारा सुरक्षा एवं देखभाल करना जब तक वह स्वतन्त्र जीवन यापन तथा शत्रुओं से अपनी सुरक्षा करने योग्य नहीं बन जाते पैतृक संरक्षण कहलाता है।

मछलियों में पैतृक रक्षण सिर्फ कुछ प्रजातियों में ही पाया जाता है। अधिकांश मछलियों की प्रजातियाँ अपने अण्डों या शिशुओं की रक्षा नहीं करती। अधिकांशत: नर मछलियाँ ही पैतृक संरक्षण को दर्शाती हैं। मछलियों में पैतृक संरक्षण निम्न प्रकार का पाया जाता है -

1. घोंसला बनाना (Nest formation)

(a) ओस्फ्रोनेमस - स्वच्छ जलीय गौरामी (Gourami) मछली रोड़ के द्वारा घोंसले बनाती है उसमें अण्डे देती है। नर एवं मादा दोनों पैतृक रक्षण दर्शाते हैं। (b) स्टिलबैक-गैस्टेरोस्टियस ऐकूलियत्स अमेरिका में पायी जाने वाली स्वच्छ जलीय मछली है। यह मृत जलीय पौधों पर अपने वृक्कों द्वारा स्रावित चिपचिपे पदार्थ को मिलाकर अपना घोंसला बनाते हैं।

(c) एमिया - धनु मछली (Bowfish) कहलाती है एवं उत्तरी अमेरिका में पायी जाती है। नर जलीय पौधों द्वारा गोलाकार घोंसला बनाती है। शिशुओं की देखभाल तब तक की जाती है जब तक वह चलने योग्य नहीं हो जाते हैं।

(d) प्रोटोप्टेरस - यह अफ्रीका में पायी जाती है तथा इसे लंग फिश (Lung fish) भी कहते हैं। नर दलदली घासों पर घोंसला बनाता है। नर अण्डों के चारों तरफ वायवीय जल (Aerater water) को बनाए रखती है।

(e) लेपिडो सायरेन - यह अमरीकन लंग फिश सुरंग के समान घोंसला बनाती है। उसमें अण्डे देती है। और ऑक्सीजन प्रवाह बनाये रखने के लिए समय-समय पर सुरंग छोड़ देती है।

(f) आफियोसिफेल्स - यह भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब में स्वच्छ जल में पायी जाती है और जलीय खरपतवार से घोंसला बनाती है।

(g) मिस्टस ओर एवं मिस्टस सींघाला - यह स्वच्छ जलीय मछली रेत के अन्दर गोलाकार गर्त के रूप में घोंसला बनाता है। नर अण्डों को निमोचन तक अपने उदर की भित्ति में चिपका लेता है। नर नवजात शिशुओं का उदरीय भित्ति के दूधिया स्रावण से आहार प्रदान करते हैं।

2. गोवियस - द्विकपाटीय कवचों के अन्दर अण्डे रखे जाते हैं और नर मछली इन अण्डों की देखभाल करती है।

3. मैक्रोपोडस मछलियों में नर अपने मुँह में अण्डों को एकत्रित करता है। अण्डे श्लेष्म तथा हवा के बुलबुले युक्त भागों में रहते हैं।

4. जनन कोष (Brood pouch)

(i) सिनग्नैथस एवं हिप्पोकैम्पस समुद्री मछलियों में, नर में उदर की अधरीय सतह पर त्वचा वलन से एक कोष का निर्माण होता है। इस कोष में अण्डे परिवर्धित होते हैं।

(ii) प्लेस्टेकस में कोमल स्पन्जी त्वचीय प्याले बन जाते हैं। मादा द्वारा एक के बाद एक निषेचित अण्डे रखे जाते हैं। प्रत्येक अण्डा प्याले में एक स्टॉक के द्वारा जुड़ा रहता है।

5. कुण्डली बनाना (Coiling of eggs) - फोलिस नर मछली अण्डों के चारों ओर कुण्डली बना लेती है।

6. मुखीय संरक्षण - नर एरियस एवं मादा टिलापिया अपनी मुख गुहिका में निषेचित अण्डों को रखती हैं।

7. त्वचीय प्याले - ऐस्परेडो मादा उदरीय भाग में कोमल स्पन्जी प्याले के समान रचना बनाती है।

8. शरीर से सम्बन्धित (Attachedment with Body) - न्यूगायना नर मछली सिरे पर हुक के समान प्रवर्ध के द्वारा अण्डों के पुन्ज को निर्मोचन तक सम्भाले रखती है।

9. जरायुजप्रजकता (Vivipary) - स्कॉलियोडॉन में गर्भाशय का श्लेष्म अस्तर भ्रूण की संख्या के बराबर कक्षों में विभाजित हो जाता है। प्रत्येक कक्ष में भरा द्रव्य भ्रूण की रक्षा करता है। भ्रूण का पोषण योक के द्वारा होता है जो कि पीतक कोष में एकत्रित रहता है।

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