मेटाथीरिया के लक्षण (Characters of Metatheria)

(i) ये प्रारम्भिक प्रकार के स्तनधारी हैं। इनके शिशु अल्पविकसित अर्थात् अपरिपक्व अवस्था में पैदा होते हैं। इनका बाकी विकास मादा के उदर में पायी जाने वाली मार्मूपियल थैली (Marsupial pouch) में होता है।

(ii) इनके स्तन ग्रन्थियों में चुचुक (Teats) पाये जाते हैं, ये मासूंपियल में खुलते हैं।

(iii) ये पूर्णतया नियततापी (Warm blooded) प्राणी हैं।

(iv) इन जन्तुओं में कार्पस कैलोसम (Carpus calosum) नहीं पाया जाता है।

(v) इनके श्रोणि मेखला (Pelvic girdle) में प्रीप्यूबिक या बड़ी मासूंपियल हड्डी पायी जाती है।

(vi) इनमें एपिफाइसिस का पूर्ण अभाव होता है।

(vii) पिन्ना पाया जाता है, किन्तु अन्त:कर्ण में कॉक्लिया (Cochlea) अधिक मुड़ी हुई होती है।

(viii) वृषण, शिश्न (Penis) के ऊपर एवं उदरगुहा के बाहर होता है।

(ix) यूटेरस (Uterus) एवं वेजाइना (Vagina) दोनों युग्मित (Fused) रचनाएँ होती हैं।

(x) इन जन्तुओं में वास्तविक ऐलेण्टॉइक प्लैसेण्टा (Allantoic placenta) नहीं पाया जाता है।

(xi) कुछ प्राणियों में रुडिमेन्टरी योक सैक प्लैसेण्टा (Rudimentary yolk sac placenta) पाया जाता है।

मेटाथीरिया के अन्तर्गत केवल एक ऑर्डर आता है -

ऑर्डर - मार्सुपिएलिया (Marsupialia)

(i) ये मुख्यतः स्थलचर, वृक्षवासी एवं बिलों में रहने वाले जीव हैं।

(ii) इनमें से कुछ मांसाहारी, लेकिन अधिकतर सर्वभक्षी (Omnivorous) होते हैं।

(iii) इनकी त्वचा पर बाल पाये जाते हैं। इनके पिछले पैर अगले पैरों की तुलना में बड़े होते हैं।

(iv) दुम लम्बी और वस्तुओं को पकड़ने में सहायता करती है। इस प्रकार की पूँछ (Tail) को प्रीहेंसाइल पूँछ (Prehensil tail) कहते हैं। जन्तुओं के भागते समय यह सन्तुलन बनाने का कार्य करती है।

(v) इन जन्तुओं की मादा के उदर में त्वचीय थैली पायी जाती है, जिसे मासूपियल थैली (Marsupial pouch) कहते हैं। इस थैली के अन्दर स्तन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं। विकास करते हुए शिशु का इनके द्वारा पोषण किया जाता है।

(vi) इनकी खोपड़ी (Skull), डाइकॉण्डायलिक (Dicondylic) होती है। यह उदर से चपटी रहती है। क्रेनियल कैविटी (Cranial cavity) छोटी होती है। हड्डियों के जोड़ स्पष्ट नहीं होते हैं।

(vii) इनके दाँत होमोडॉण्ट तथा हेटेरोडॉण्ट या विषमदन्ती प्रकार के होते हैं।

(viii) इनमें मस्तिष्क कम विकसित तथा छोटा होता है।

(ix) इनमें वृक्क (Kidney) मेटानेफ्रिक प्रकार के होते हैं।

(x) गुदा (Anus) तथा मूत्र जनन छिद्र के चारों ओर एक उभयनिष्ठ पेशी होती है, जो क्लोएका (cloaca) बनाती है।

(xi) वृषण उदरगुहा के बाहर तथा पेनिस के सामने वृषण कोष (Testis sacs) में स्थित होते हैं।