एम्फिऑक्सस में भ्रूणीय विकास
(अ) विदलन (Cleavage) - एम्फिऑक्सस के जाइगोट में योक (Yolk) बहुत कम मात्रा में पाया जाता है जिससे इसका विभाजन पूर्ण होता है | जिसे पूर्ण भांजी विदलन (Holoblastic cleavage) कहते है | पहला और दुसरा विदलन एक-दुसरे पर समकोणीय होता है | इसके फलस्वरुप चार सामान ब्लास्टोमीयर्स बन जाते है | तीसरा विदलन ऊपर हटकर होता है जो प्राणी ध्रुव की तरफ हटकर होता है जिससे आठ ब्लास्टोमीयर्स बनते है | इनमे से ऊपर के चार छोटे माइक्रोमीयर्स तथा नीचे के चार बड़े मेगा या मेक्रोमीयर्स कहलाते है | छठवे विदलन के बाद भ्रूण 64 कोशिकाओं का बना एक गेंद सामान रचना बनाता है जिसे मोरुला (Morula) कहते है | आगे का विदलन अनियमित होता है |
(ब) ब्लास्टूलेशन (Blastulation) - लगातार कई विभाजनो के बाद भ्रूण एक खोखली गेंद बन जाती है यह अवस्था बलास्टुला (Blastula) कहलाता है | इसमें एक द्रव से भारी आतंरिक जगह बन जाती है जिसे ब्लास्टोसील (Blastocoel) कहते है | बलास्टुला गोलाकार न होकर कुछ नाशपाती के आकार का होता है | इसकी भित्ति मोनोब्लास्टिक (Monoblastic) एवं पतली होती है | छोटे माइक्रोमीयर्स से एक्टोडर्म का निर्माण होना होता है जबकि बड़े मेक्रो या मेगामीयर्स से एंडोडर्म का निर्माण होता है |
(स) गैस्ट्रलेशन (Gastrulation) - ऐसे सभी बदलाव जिसमे मोनोब्लास्टिक बलास्टुला से डाईब्लास्टिक गैस्ट्रुला बनता है मिलकर गैस्ट्रुलेशन कहलाता है | गैस्ट्रुलेशन के तहत तीन प्रकार की कोशिकाओं की गतिया पायी जाती है | इसकी शुरुआत छोटी माइक्रोमीयर्स के तेजी से विभाजन द्वारा होती है | जिसे एपिबोली (Epiboly) कहते है | इसके फलस्वरुप बड़ी योक वाली कोशिकाए पहले चौरस होती है फिर अवतल होकर धीरे-धीरे ब्लास्टोसील के अन्दर धंसने लगती है इस क्रिया को इन्वीजीनेशन (Invagination) कहते है | इससे ब्लास्टोसील समाप्त होकर आर्केन्टीरोन (Archenteron) का निर्माण होता है जो चौड़े ब्लास्टोपोर द्वारा बाहर खुलता है | अब भ्रूण चौड़ा प्यालेनुमा गैस्ट्रुला (Gastrula) बन जाता है | गैस्ट्रुला एक जिलेटिन झिल्ली के आवरण में बंद रहता है और स्वतंत्र रूप से इसके अन्दर घूमता है |
एम्फिऑक्सस में भ्रूणीय विकास का वर्णन | Description of embryonic development in Amphioxus