Today we are provide very Important questions and answers of Zoology, Unit-1, Chordata and Embryology in Hindi.

Part-1

हम इस Unit के प्रश्न और उत्तर कई भागो में दे कर रहे हैं, यह पहला भाग है। हम इस पोस्ट में अन्य भागों के link अपडेट करेंगे, ताकि आप इसे बाद में या इस वेबसाइट में देख सकें।

प्रश्न 1) निम्नलिखित में अंतर बताइए -

अ) प्रोटोकार्डेटा तथा यूरोकार्डेटा में अंतर (Difference between Protochordata and Urochordata)
ब) एक्रिनिएटा तथा क्रेनिएटा में अंतर (Difference between Acraniata and Craniata)
स) अग्नैथा तथा ग्नैथोस्टोमेटा में अंतर (Aganatha and Gnathostomata)
द) मत्स्य तथा टेट्रापोडा में अंतर (Pisces and Tetrapoda)
इ) प्रोटोस्टोमिया तथा डयुटेरोस्टोमिया में अंतर (Protostomia and Deuterostomia)

उत्तर. अ) -
प्रोटोकार्डेटा
1) समुद्री, एकल तथा सामान्यतः सुक्ष्मभोजी (Microeater)|
2) शरीर पारदर्शी एपिथिलियम की एक पर्त या ट्यूनिक के द्वारा ढका होता है | म्यूकस ग्रंथियों की अधिकता होती है|
3) अस्थिमय कंकाल अनुपस्थित, किन्तु आधारीय झिल्ली (Basement Membrane) मोटी होकर सम्बंधित रचना बनाती है |
4) पोषण म्युकोसिलियरी विधि द्वारा |
5) लार्वा में तंत्रिका तंत्र उपस्थित, किन्तु वयस्क में गैन्ग्लिया के रूप में शेष |
6) उत्सर्जन नेफ्रिडिया अथवा ग्लोमेरुलस सामान इकाई और न्यूरल ग्रंथि द्वारा |
7) अलैंगिक एवं लैंगिक जनन |
8) विकास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष |

यूरोकार्डेटा
1) समुद्री जल में तैरते हुए अथवा चट्टानों आदि से चिपके अकेले या समूहों में पाए जाते है |
2) वयस्क का शरीर थैलेनुमा, ट्युनिसिल निर्मित टेस्ट युक्त असममित होता है |
3) सीलोम अनुपस्थित होता है |
4) मुख एवं ऐट्रियल छिद्र क्रमशः ब्रैन्कियल तथा ऐट्रियल साइफन पर पाए जाते है |
5) लार्वल अवस्था में नोटोकार्ड केवल पुच्छ भाग (Tail Region) में उपस्थित होता है |
6) अधोगामी रूपांतरण (Retrogressive metamorphosis) की क्रिया होती है |

उत्तर. ब) -

क्रेनियम की उपस्थित व अनुपस्थिति को आधार मानकर आरम्भ में जंतु वैज्ञानिको ने कार्डेटा समुदाय को दो उप समुदायों एक्रिनिएटा तथा क्रेनिएटा में बांटा था | एक्रिनिएटा उप-समुदाय के प्राणियों में मस्तिष्क तथा क्रेनियम नही पाया जाता है | चूँकि वे कार्डेटा पूर्वजो से अधिक समानता दर्शाते है, इस कारण इस समुदाय को प्रोटोकार्डेटा भी कहा गया है | एक्रिनिएटा उप-समुदाय के अंतर्गत टयुनीकेटा, सिफिलोकार्डेटा तथा हेमीकार्डेटा को रखा गया है |

क्रेनिएटा उप-समुदाय के प्राणीयो में मस्तिष्क व क्रेनियम पाया जाता है | ये विकसित कार्डेट्स है | इनमे पृष्ठ-रज्जू पुरी तरह या कुछ सीमा तक रीढ़ की हड्डी के रूप में बदल जाती है | इसके अंतर्गत एग्नैथा एवं ग्नैथोस्टोमेटा को रखा गया था |

एक्रिनिएटा के अंतर्गत आने वाली जन्तुओ में मुख्यतः हार्डमानिया, एम्फीऑक्सस तथा बैलेनोग्लोसस है एवं क्रेनिएटा में साइक्लोस्टोम्स, मछलीया तथा चौपाये आते है |

उत्तर. स) -

जंतु वैज्ञानिको ने कार्डेटा समुदाय को उप-समुदायों एक्रिनिएटा एवं क्रेनिएटा में बांटा था | उप-समुदाय क्रेनिएटा के जन्तुओ को ही वर्टीब्रेट्स कहा गया तथा इन्हें दो समूहों एग्नैथा तथा ग्नैथोस्टोमेटा में विभाजित किया गया |

ऐग्नैथा उच्च-वर्ग (Super-Class) के प्राणी, प्राचीनतम, जबड़े एवं उपांग रहित होते है | इनमे मध्य में एक ही नासाद्वार पाया जाता है | इनके उदाहरण - पेट्रामाइजोन तथा मिक्सीन है | ग्नैथोस्टोमेटा उच्च-वर्ग के अंतर्गत आने वाले प्राणीयो में जबड़े तथा उपांगो के दो जोड़े पाए जाते है | मछलियों में उपांग, पंखो में रूपांतरित रहते है, किन्तु स्थानीय जन्तुओ में यह एक जोड़े हाथ, पैर के रूप में होते है | इनके उदाहरण - स्कोलियोडॉन मेढक, यूरोमैट्रिक्स, कबूतर तथा शशक है |

उत्तर. द) -
मत्स्य
1) समूह पीसीज में सभी मछलिया सम्मिलित है |
2) इनमे युग्मित तथा मिडीयन दोनों प्रकार के फिन्स पाए जाते है |
3) श्वसन गिल्स के द्वारा होता है |
4) त्वचा स्केल्स के द्वारा ढंकी रहती है |
5) इनमे मुख्यतः तीन वर्ग सम्मिलित है | प्लैकोडर्माई (Placodermi), इलैस्मोब्रैंकाई या कोंड्रीक्थीज (Elasmobranchii or Chondrichthyes) एवं ऑस्टाइक्थीज (Osteichthyes) |
6) जहा ग्लैकोडर्माई सबसे प्राचीन है | कोंड्रीक्थीज उपस्थिमय मछलिया है एवं ऑस्टाइक्थीज अस्थिमय मछलिया है|

टेट्रापोडा
1) जमीन पर वास करने वाले वर्टीब्रेट्स है |
2) चतुश्पादीय होते है, जिनमे दो जोडी पेन्टाडैक्टाइल पाद (Pentadactyle Limb) पाए जाते है | 
3) श्वसन अंग फेफड़ो के रूप में होते है |
4) इनमे चार वर्ग सम्मिलित है - एम्फिबिया, रेप्टीलिया, एवीज और मैमेलिया |
5) मैमेलिया वर्ग के सदस्य एवं एवीज वर्ग के सदस्य प्रायः गर्म रुधिर वाले वर्टिब्रेट्स होते है |

मत्स्य और टेट्रापोडा में अंतर -
मत्स्य तथा टेट्रापोडा में अंतर (Pisces and Tetrapoda)

उत्तर. इ) -

भ्रूण के विकास की आधार पर बहुकोशिकीय जीवो को प्रोटोस्टोमिया व ड्युटेरोस्टोमिया में विभाजित किया गया है|

प्रोटोस्टोमिया
1. इसके अंतर्गत आदिम अकशेरुकीय जीव आते है |
2. भ्रूणीय विकास के दौरान ब्लास्टोपोर पूर्वकाल के अंत में मुख का निर्माण करता है तथा गुदाद्वार बाद में बनता है|
3. विदलन सर्पील प्रकार का होता है |
4. नर्वकार्ड अधर सतह पर होती है |
5. सीलोम की उत्पत्ति मीसोडर्मल कोशिका विभाजन द्वारा होता है |

डयुटेरोस्टोमिया
1. इसके अंतर्गत इकाईनोडर्म व कशेरुकी जीवो को सम्मिलित किया जाता है |
2. इसमें गुदा पहले बनता है तथा मुख का विकास बाद में होता है |
3. विदलन रेडियल प्रकार का होता है |
4. नर्वकार्ड पृष्ठीय सतह पर होती है |
5. सीलोम की उत्पत्ति एंटीरोसीलम प्रकार से होती है |

प्रश्न 2) वर्ग मैमेलिया के मुख्य गुणों को समझाते हुए मेटाथीरिया के लक्षण बताइये |
or
मेटाथीरिया के सामान्य लक्षणों को लीखिए तथा गण तक वर्गीकृत कीजिए |

उत्तर - वर्ग मैमेलिया के मुख्य गुण निम्नलिखित है -

1) मादा में बच्चे के पोषण हेतु स्तन ग्रंथिया (Mammary Glands) पायी जाती है | ये प्रायः बच्चे देने वाली होती है |
2) शरीर पर लाक्षणिक बाल होते है तथा इनमे अनेक प्रकार की ग्रंथिया पायी जाती है |
3) प्रायः बाह्य कण (External Pinna) पाया जाता है |
4) ये गर्म रक्त वाले (Warm Blooded) जंतु है, जो जल, थल और वायुमंडल में पाए जाते है |
5) ह्रदय चार खंडो में विभाजित होता है |
6) श्वसन फेफड़ो के द्वारा होता है |
7) नर एवं मादा अलग अलग होते है |
8) निषेचन आतंरिक होता है |

मेटाथीरिया के लक्षण (Characters of Metatheria) -

1) ये प्रारम्भिक प्रकार के स्तनधारी है | इनके शिशु अल्पविकसित अर्थात अपरिपक्व अवस्था में पैदा होते है | इनका बाक़ी विकास मादा के उदार में पायी जाने वाली मार्सुपियल थैली (Marsupial Pouch) में होता है |
2) इनके स्तन ग्रंथियों में चुचुक (Teats) पाए जाते है, ये मार्सुपियल में खुलते है |
3) ये पूर्णतया नियततापी प्राणी है |
4) इन जन्तुओ में कार्पस कैलोसम (Carpus Calosum) नही पाया जाता है |
5) इनके श्रोणी मेखला (Pelvic Girdle) में प्रीप्युबिक या बड़ी मार्सुपियल हड्डी पायी जाती है |
6) इनमे एपिफाईसिस का पूर्ण अभाव होता है |
7) पिन्ना पाया जाता है, किन्तु अन्तः कण में कोक्लिया (Cochlea) अधिक मुड़ी हुई होती है |
8) वृषण, शिश्न (Penis) के ऊपर एवं उदरगुहा के बाहर होता है |
9) युटेरस (Uterus) एवं वेजाइना (Vagina) दोनों युग्मित रचनाए होती है |
10) इन जन्तुओ में वास्तविक ऐलेंटोइक प्लेसेंटा (Allantoic Placenta) नही पाया जाता है |
11) कुछ प्राणीयो में रुडिमेंटरी योक सेक प्लेसेंटा (Rudimentary yolk sac Placenta) पाया जाता है |

मेटाथीरिया के अंतर्गत केवल एक ऑर्डर आता है -

ऑर्डर (Order) - मार्सूपिएलिया (Marsupialia)

ये मुख्यतः स्थलचर वृक्षवासी एवं बिलों में रहने वाले होते है|

इनमे से कुछ मांसाहारी, लेकिन अधिकतर सर्वभक्षी (Omnivorous) होते है|

इनकी त्वचा पर बाल पाए जाते है | इनके पिछले पैर अगले पैर की तुलना में बहुत बड़े होते है |

दम लम्बी एवं वस्तुओ को पकड़ने में सहायता करती है | इस प्रकार की पूंछ को प्रेहेंसाइल पूंछ (Prehensil tail) कहते है | जन्तुओ के भागते समय यह संतुलन बनाने का कार्य करती है | 

इन जन्तुओ की मादा की उदर में त्वचीय थैली पायी जाती है, जिसे मार्सुपियल थैली (Marsupial pouch) कहते ह | 

इस थैली के अन्दर स्तन ग्रंथिया पायी जाती है | विकास करते हुए शिशु का इनके द्वारा पोषण किया जाता है |

इनकी खोपड़ी डाईकोंडायलिक होती है | यह उदर से चपटी रहती है | क्रेनियल केविटी छोटी होती है हड्डियों के जोड़ स्पष्ट नही होते है |

इनके दांत होमोडोंट तथा हेटेरोडोंट या विषमदंती प्रकार के होते है |

इनमे मस्तिष्क कम विकसित तथा छोटा होता है |

इनमे वृक्क मेटानेफ्रिक प्रकार का होता है |

गुदा तथा मूत्र जनन छिद्र के चारो ओर एक उभयनिष्ठ पेशी होती है, जो क्लोएका बनाती है |