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मछलियों के शल्क का वर्णन (description of fish scales in Hindi)

मछलियों के शल्क (Scales of Fishes)

त्वचा के अन्दर की सतह डर्मिस (Dermis) से उत्पन्न होते हैं। मछलियों में त्वचा के व्युत्पाद (Derivative) के रूप में शल्क पाये जाते हैं। यह सरीसृप वर्ग के एपिडर्मल स्केल्स (Epidermal scales) से भिन्न होते हैं।मत्स्य वर्ग में डर्मल स्केल्स निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -(i) कॉस्मॉइड स्केल्स (Cosmoid scale),(ii) प्लेकॉइड स्केल्स (Placoid scale),(iii) टीनॉइडस्केल्स (Ctenoid scale),(iv) गेनॉइड स्केल्स (Ganoid scale),(v) सायक्लॉइड स्केल्स (Cycloid scale)।(i) कॉस्मॉइड स्केल्स (Cosmoid scale) - यह शल्क आदिम कोयेनिक्थिस (Choanichthyes) तथा लैटिमेरिया (Latimeria) में पाये जाते हैं। यह शल्क चार स्तरों से बनी होती है। सबसे नीचे की स्तर आइसोपेडीन (Isopedine), इसके ऊपर एक स्पॉन्जी अस्थि (Spongy bone) तथा तीसरी स्तर कॉस्मॉइन (Cosmone) होती हैं, इसमें केनालीक्यूली (Canaliculi) होती थी। सबसे बाहर का स्तर पतली, कठोर विट्रोडेन्टीन या इनामेल (Enamel) की बनी होती है।(ii) प्लेकॉइड स्केल्स (Placoid scale) - स्कोलियोडॉन की त्वचा पर डर्मिस में धँसी हुई, सूक्ष्म, पीछे की ओर झुकी, तिरछी पंक्तियों में विन्यास, दाँतों के समान रचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें प्लेकॉइड स्केल कहते हैं। ये शार्क मछली का बाह्य कंकाल बनाती हैं।प्लेकॉइड स्केल निम्न भागों में बना होता है -(a) बेसल प्लेट (Basal plate) - यह रोम्बॉइडल (Rhomboidal) अथवा होरे के आकार की होती है और सीमेन्ट जैसे पदार्थ की बनी होती है। यह डर्मिस में धँसी रहती है तथा उससे संयोजी ऊतक के मजबूत तन्तुओं द्वारा जुड़ी रहती है। बेसल प्लेट में एक छोटा छिद्र होता है जिससे यह काँटे की पल्प कैविटी से जुड़ी रहती है। जीवित अवस्था में रक्त वाहिका, तन्त्रिका तन्तु (Nerve fibers) तथा लिम्फ चैनल्स आदि इस छिद्र के द्वारा पल्प कैविटी में प्रवेश करते हैं। पल्प कैविटी में अनेक ओडोण्टोब्लास्ट कोशिकाओं, संयोजी ऊतक तन्तु तन्त्रिका तन्तु और रक्त वाहिकाएँ आदि पाये जाते हैं, जो सामूहिक रूप से पल्प का निर्माण करते हैं।(b) स्पाइन (Spine) - यह चपटी पीछे की ओर झुकी ट्राइडेन्ट (Trident) संरचना है जो त्वचा के बाहर निकली रहती है और उसे खुरदरा बनाती है। यह कठोर नलिकायुक्त डेन्टाइन (Dentine) का बना होता है।परिवर्धन (Developmeint) - इसके परिवर्धन की शुरुआत डर्मिस की मोजेनकाइमल कोशिका के एपिडर्मिस के नीचे एकत्र होने से होती है। ये कोशिकाएँ एकत्र -होकर ऊपर की ओर उठती हैं और डर्मल पैपिला बनाती हैं। बढ़ते हुए पैपिला का पोषण रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) द्वारा किया जाता है जिससे इसका तेजी से विकास होता है और यह त्वचा की सतह पर एक उभार के रूप में निकल आता है। स्ट्रेटम जर्मिनेटिवम इस पैपिला को ऊपर से ढके रहती है। स्ट्रैटम जर्मिनेटिवम की सतह दोहरा स्तर बनाती है, जिसे इनामेल आर्गन Enamel organ) कहते हैं। इसकी आन्तरिक सतह एमी लोब्लास्ट (Ameloblast) कहलाती है, जो इनामेल या विट्रोडेन्टाइन (Vitrodentine) कहलाती है। पैपिला को वे मीजेनकाइमल कोशिकाएँ जो एमीलोब्लास्ट कोशिकाओं की विपरीत दिशा में स्थित होती हैं, डेन्टाइन स्रावण करना प्रारम्भ कर देती है। ये एक के ऊपर एक दो पर्त बनाती हैं। मौजेनकाइमल कोशिकाएँ जो शल्क के पदार्थ का लावण करती हैं स्क्लेरोब्लास्ट (Scleroblast) या ओडोन्टोब्लास्ट्स कहलाती है। पैपिला का मध्य भाग मुलायम तथा वाहिकायुक्त (Vascularised) होता है, जो पल्प केविटी रक्त कोशिकाएँ, ओडोन्टोब्लास्ट कोशिकाएँ, तन्त्रिका तन्तु और संयोजी ऊतक आदि रखता है। स्पाइन के दाँत (Dentine) में अनेक महीन नलिकाएं पायी जाती हैं, जिन्हें केनालीक्यूली (Canaliculi) कहते हैं। पैपिला वृद्धि करता है तथा ट्राइडेंट काँटे जैसा होता है। पैपिला के आधार पर स्थित डर्मिस की मीजेनकाइमल कोशिकाएँ बेसल प्लेट का निर्माण करती हैं। पूरा निर्माण हो जाने के बाद काँटे इनामेल आर्गन को धक्का देकर एपिडर्मिस को फाड़कर बाहर निकल आता है। अब डर्मिस में पल्प केविटी की ओपनिंग सँकरी हो जाती है और शल्क की वृद्धि रुक जाती है।पुराने और टूटे-फूटे शल्कों के स्थान पर नये शल्क बनते रहते हैं। बाहरी आघातों से रक्षा, बाह्य संक्रमण से सुरक्षा तथा तैरते समय जल प्रतिरोध को न्यूनतम करना इसका प्रमुख कार्य होता है।शार्क एवं डॉगफिश में प्लेकॉइड शल्क अधिक छोटे, संख्या में अधिक एवं पास-पास स्थित रहते हैं, परन्तु स्केट मछली (Skate fish) में ये शल्क बड़े-बड़े और वितरित या बिखरे हुए होते हैं। इलास्मोब्रेन्क मछलियों में प्लेकॉइड शल्क रूपान्तरित होकर विभिन्न संरचनाएँ-मुख पक्षीय दंतिकाएँ (Stomodeal den-ticles), दन्त (Teeth), आरा दन्त (Saw teeth) और दंश (Sting) को बनाते हैं।(iii) टीनॉइड स्केल्स (Ctenoid scale) - इन शल्कों के ऊपर आइसोपेडीन (Isopedine) की पतली स्तर होती है। यह शल्क केन्द्र में मोटे और सीमान्त पर पतले होते हैं। इन शल्कों में संकेन्द्रित (Concentric) वृद्धि रेखाएँ होती हैं, इन शल्कों के मुक्त पश्च भाग में छोटे-छोटे कंकत (Cteni) या दाँत पाये जाते हैं। अग्र आन्तरिक भाग में दबा हुआ और लहरदार सीमान्त होता है। टीनॉयड (Ctenoid) शल्क सामान्यतः अस्थिमय मछलियों (Bony fishes) का बाह्य कंकाल बनाते हैं। इन शल्कों में एक उदग्र नलिका पार्श्व रेखा (Lateral line) से आती है। और सतह पर खुलती है।यह शल्क भी विकर्ण क्रम में स्थित होते हैं। इन शल्कों में एक अस्थिल परत/स्तर होती है, जिसके नीचे तन्तुकी संयोजी ऊतक (Fibrous connective tissue) पाये जाते हैं। यह शल्क कार्य मछलियों (Carps) में नहीं पाये जाते हैं।(iv) गेनॉयड स्केल्स (Ganoid scale) - यह शल्क प्रारम्भिक आदिम मछलियों की त्वचा में पाये जाते हैं। इन शल्कों में एक आधारीय स्तर आइसोपेडीन (Isopedine) की होती है, इसके ऊपर एक हासित कॉस्माइन (Reduced cosmoine) की स्तर होती है, सबसे ऊपर की स्तर एक पारभासी पदार्थ गैनाइन (Ganoin) की होती है। कुछ शल्कों में हासित कॉस्माइन स्तर नहीं पायी जाती है।कॉस्माइन (Cosmoine) की मध्य स्तर कड़े डेन्टाइन (Dentine) की होती है। कॉस्माइन स्तर के अनुसार, गेनॉयड शल्कों को विभाजित किया जाता है -(a) पैलिओनिस्कॉइड गेनॉइड शल्क (Palaeoniscoid ganoid scales) - यह शल्क केवल पॉलिप्टेरस (Polypterus) में पाये जाते हैं। इन शल्कों में कॉस्माइन स्तर हासित होती है।(b) लेपिसोस्टीऑइड गेनॉयड शल्क (Lepisosteoid ganoid scales) - इन शल्कों में कॉस्माइन स्तर पूर्णरूप से अनुपस्थित होती है, इस कारण गेनाइन स्तर सीधे आइसोपेडीन स्तर के ऊपर पाई जाती है। गेनॉयड शल्क पास-पास फर्श की टाइल्स के समान परस्पर लगे रहते हैं।(v) सायक्लॉइड शल्क (Cycloid scale) - यह शल्क गोल, केन्द्रीय भाग में मोटे तथा सीमान्त भाग में पतले होते हैं। इन शल्कों में एक नीचे की स्तर तन्तुकी संयोजी ऊतक (Fibrous connective tissue) की होती है तथा एक ऊपरी स्तर अस्थि समान आइसोपेडीन (Isopedine) की होती हैं, जो कि डेन्टीन (Dentine) को बनाती है। इन शल्कों में संकेन्द्रित वृद्धि रेखाएँ (Concen tric growth lines) होती हैं। यह वृद्धि रेखाएँ मछलियों की उम्र (Age) को दर्शाती हैं। यह शल्क एक-दूसरे को विकर्णतः अतिव्याप्त करते हुए डर्मिस में भैंसे होते हैं। प्रत्येक शल्क का अग्र भाग पिछले शल्क के पश्च भाग ढके रहता है। यह शल्क अस्थिमय मछलियों (Bony fishes) में बाह्य कंकाल को बनाते हैं। इन शल्कों में एक उदग्र नलिका, पार्श्व रेखा (Lateral line) से आती है और बाहर की ओर खुलती है।