Full Width CSS

युग्मकजनन तथा शुक्राणुजनन का वर्णन - Description of gametogenesis and spermatogenesis in Hindi

युग्मकजनन (Gametogenesis)

"जनदों (Gonads) अर्थात् वृषण तथा अण्डाशय में जननिक एपीथीलियम (Germinal epithelium) की कोशिकाओं से युग्मक कोशिकाओं (Germ cells/Gametes) के बनने की प्रक्रिया को युग्मकजनन कहते हैं।"

युग्मजनन के बाद जनदों में बनने वाली कोशिकाओं को युग्मक (Gametes) कहते हैं ये क्रमश: नर युग्मक (Male gamete) या शुक्राणु (Sperm) तथा मादा युग्मक (Female gamete) या अण्डाणु (Ovum) होते हैं।

शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)

"नर जन्तु में वृषण की जनन एपिथीलियम कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वारा शुक्राणु के निर्माण करने को शुक्राणुजनन कहते हैं।"

(i) स्पर्मेटिड का निर्माण (Formation of spermatid) - सर्वप्रथम जनन एपिथोलियम की कोशिकाएँ सूत्री तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वारा अगुणित (Haploid) कोशिकाएँ बनाती हैं, जिसे स्पर्मेटिड कहते हैं। यह क्रिया तीन चरणों में पूरी होती हैं।

(a) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase) - सेमिनिफेरस नलिका की जनन एपिथीलियम की कुछ कोशिकाएँ शुक्राणु बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं। इन कोशिकाओं को प्राथमिक जनन कोशिकाएँ या आदि जनन कोशिकाएँ (Primary germ cells or Primordial germ cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ बार-बार समसूत्री विभाजन (Mitosis division) के द्वारा शुक्राणुजन या स्पर्मेटोगोनिया (Spermatogonia) का निर्माण करती हैं।

(b) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase) - इस अवस्था में स्पर्मेटोगोनिया पोषक पदार्थों को एकत्र करके आकार में बढ़ जाते हैं, अब इन्हें प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट (Primary spermatocyte) कहते हैं। इसी अवस्था में गुणसूत्रों में स्प्लिटिंग (Spliting), सिनाप्सिस तथा क्रॉसिंग ओवर भी हो जाती हैं।

(c) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase) - इस अवस्था में स्पर्मेटोसाइट दो बार विभाजित हो जाता है। प्रथम विभाजन अर्द्धसूत्री विभाजन होता है, जिससे ये दो अगुणित कोशिकाएँ (Haploid cells) बनाती है, जिन्हें द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट्स कहते हैं। कुछ समय बाद द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट्स कोशिकाओं में द्वितीयक परिपक्वन विभाजन (Secondary maturation division) होता है, जो समसूत्री होता है। इस प्रकार दो परिपक्व विभाजनों के द्वारा प्रत्येक स्पर्मेटोगोनियम चार अगुणित कोशिकाएँ बना देती हैं, जिन्हें स्पर्मेटिड्स (Spermatids) कहते हैं। प्रत्येक स्पर्मेटिड में केवल एक सेट (n) गुणसूत्र ही रहते हैं।

(ii) स्पर्मेटिड का कायान्तरण (Morphosis of spermatid) - शुक्राणुजनन के इस चरण में स्पर्मेटिड एक चल धागे के समान शुक्राणु में परिवर्तित हो जाता है। स्पर्मेटिड में एक सामान्य जन्तु कोशिका की तरह लगभग सभी कोशिकांग पाये जाते हैं।

शुक्राणुजनन का हॉर्मोन नियन्त्रण (Hormonal control of Spermatogenesis) - निम्नलिखित हॉर्मोन्स शुक्राणुजनन का नियन्त्रण करते हैं -

(i) अन्तराली कोशिका उद्दीपक हॉर्मोन (Interstitial stimulating hormone) - इसे ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (L.H.) भी कहते हैं। इसका स्त्राव अग्र पिट्यूटरी से किया जाता है। यह हॉर्मोन लेडिग्स कोशिकाओं (Leydig's cells) या अंतराली कोशिकाओं को उत्तेजित कर टेस्टोस्टीरॉन या एण्ड्रोजन हॉर्मोन स्रावित करने के लिए प्रेरित करता है। टेस्टोस्टीरॉन सेमिनिफेरस ट्यूब्यूल्स (Seminiferous tubules) को शुक्राणु निर्माण के लिए प्रेरित करता है।

(ii) फॉलिकल स्टीमुलेटिंग (F.S.H.) - शुक्राणुजनन में इस हॉर्मोन की भूमिका स्पष्ट नहीं है फिर भी यह सरटोली कोशिकाओं की वृद्धि कर स्पर्मेटिड के परिपक्वन में सहायक होता है। शुक्राणुजनन के लिए एण्ड्रोजन की कमी होनी चाहिए। यह एण्ड्रोजन को बाधित करने वाली प्रोटीन ABP के उत्पादन को प्रेरित करती है।