दाँत (Teeth)
सभी कशेरुक जन्तुओं में दाँत पाये जाते हैं, ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं -(i) एपिडर्मल(ii) वास्तविकएपिडर्मिस में पाये जाने वाले दाँत कड़े, नुकीले होते हैं और ये एपिडर्मल कोशिकाओं से बनते हैं, जो कि एक डर्मल पैपिला पर उपस्थित होते हैं। उदाहरण- सायक्लोस्टोम मेडक, एवं टोड के टेडपोल लाव के जबड़ों में एपिडर्मल दाँत होते हैं, स्तनी प्राणियों में, डकबिल, प्लैटिपस में एपिडर्मल दाँत पाये जाते हैं, जो भोजन को पकड़ने व पीसने का कार्य करते हैं। वास्तविक दाँत ऐग्नथस को छोड़कर बाकी सभी कशेरुकी जन्तु में पाये जाते हैं, ये अस्थिल प्लेटों की रूपांतरित रचना होती है। दाँतों के ऊपर एक्टोडर्म से व्युत्पन्न इनेमल की स्तर होती है।उदाहरण– मैथोस्टोम्स।दाँत की संरचना (Structure of Teeth)सभी कशेरुकी प्राणियों के दाँतों की संरचना एक ही प्रकार की होती है। इसमें तीन भाग होते हैं -(i) काऊन (Crown) -ये मसूड़ों के ऊपर निकला हुआ भाग होता है।(ii) नेक (Neck) — ये मसूड़ों के अन्दर का भाग होता है।(iii) रूट (Root) – ये जबड़े के नीचे धँसा भाग होता है। -पूरे दाँत में एक पल्पगुहिका होती है। जो कि संयोजी ऊतकों, रक्तवाहिनियाँ एवं तंत्रिका तन्तु को बनी तथा मज्जा से भरी होती है। इस पर ऑडोण्टोब्लास्ट कोशिकाओं का एकाको स्तर होता है। दाँत डेण्टीन का बना होता है, जो कि कड़ा एवं अस्थि के समान होता है। दाँत के ऊपर इनेमल लगा होता है। दाँत कठोर रचना होती है, जो भोजन को काटने, पोसने का कार्य करता है।दाँतो की आकृति (Shape of Teeth)कुछ जन्तुओं के दाँत की आकृति समान होती है। कुछ की असमान होती है। जब जन्तुओं में सभी दाँत समान आकार के होते हैं, तब इन दाँतों को होमोडॉण्ट (Homodont) कहते हैं। जब जन्तुओं में दाँतों की आकृति असमान होती है, तो उसे हेटरोडॉण्ट (Hete rodont) कहते हैं। हेटरोडॉण्ट दाँत अधिकांश स्तनी जन्तुओं में पाये जाते हैं। हेटरोडॉण्ट इन्साइजर्स, केनाइन, प्रोमोलर और मोलर प्रकार के होते हैं।दाँत के प्रकार (Types of Teeth)दाँतो के प्रतिस्थापन के अनुसार, दाँत निम्न प्रकार के होते हैं -(i) पॉलीफायोडॉण्ट (Polyphyodont ) - इस प्रकार के दाँत बार-बार जीवन में आते व जाते हैं। यह स्तनी में नहीं पाया जाता है। निम्न श्रेणी के कशेरुक जन्तुओं में इस प्रकार का दाँत पाया जाता है।(ii) डाइफायोडॉण्ट (Diphyodont) - इस प्रकार के दाँत जीवन में दो बार आते हैं। पहली बार जिसे दूध के दाँत कहते हैं। ये जन्म के बाद निकलते हैं। इसके बाद यह दूध के दांत स्थायी दाँत आने के बाद गिर जाते हैं। यह स्थायी दाँत जीवनभर रहते हैं। यदि स्थायी दाँत गिर जाते हैं तो दुबारा दाँत नहीं आते हैं।(iii) मोनोफायोडॉण्ट (Monophyodont) - कुछ स्तनी जन्तुओं में दाँत का केवल एक सेट ही निकलता है दूसरा नहीं निकलता है। उदाहरण-प्लेटिपस, छछूंदर, मासूपियल्स।