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एड्रीनल या अधिवृक्क ग्रंथि की संरचना (structure of adrenal gland in Hindi)

एड्रीनल या अधिवृक्क ग्रंथिसंरचना (Structure) - एड्रीनल या अधिवृक्क ग्रंथि पीले रंग की टोपीनुमा छोटी सी होती है, जो प्रत्येक किडनी के अग्र छोर पर स्थित होती है। यह भार में 3-6 ग्राम तथा लम्बाई में 4-5 से.मी. एवं चौड़ाई में 2.5 से.मी. तथा मोटाई तथा ऊँचाई में 1 से.मी. तक होते हैं। यह भ्रूण के मध्य स्तर से अपने बाहरी भाग का तथा न्यूरल एक्टोडर्म से अपना विकास करता है। इसके बाहरी भाग को वल्कीय भाग तथा भीतरी भाग को एड्रीनल मेड्यूला कहते हैं। एड्रीनल ग्रंथि अपने चारों ओर के संयोजी ऊतक के बने महीन आवरण से ढँका रहता है। जिसे कैप्सूल कहते हैं इसे सुप्रारीनल ग्रंथि भी कहा जाता है।एड्रीनल ग्रंथि के वल्कीय भाग से 40 से 45 प्रकार के हॉर्मोन्स सावित होते हैं जो कि सामूहिक रूप से कॉर्टिको-स्टीरॉयड्स के नाम से जाने जाते हैं। इनमें कुछ ही सक्रिय होते हैं जिन्हें चार समूहों में रखा जाता है सभी कॉर्टिकोस्टीरॉयड्स रासायनिक गुण के मुताबिक स्टीरॉयड्स होते हैं - एड्रीनल ग्रंथि में अग्र हॉर्मोन पाये जाते हैं -(i) लिंग हॉर्मोन (Sex hormones) - नाम के अनुसार यह हॉर्मोन मनुष्य तथा अन्य जन्तुओं में लिंग व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। एड्रीनल ग्रंथि का वल्कीय भाग के मध्यवर्ती तथा भीतरी स्तरों की कोशिकाएँ सूक्ष्म मात्रा में नर हॉर्मोन्स अर्थात् एण्ड्रोजेन्स अति सूक्ष्म मात्रा में मादा हॉर्मोन्स एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन का लावण करती हैं। इन्हों हॉर्मोन के द्वारा एड्रीनल ग्रंथि लिंग निर्धारण जैसा महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित करती हैं।(ii) ग्लूकोकॉर्टिकॉयड (Glucocorticoid) - एड्रीनल वल्कीय के मध्यवर्ती फैसिकुलेटा स्तर इस हॉर्मोन का स्त्रावण करती हैं। इसके प्रभाव से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। ये प्रोटीन्स, ग्लूकोज तथा वसा के उपापचय को नियंत्रित करते हैं लिवर में ग्लूकोज के ग्लाइकोजन के बनने की क्रिया इसी हॉर्मोन के द्वारा नियमित होती है। इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन भी करते हैं।(iii) कार्टिसोन (Cortisone) - यह हॉर्मोन शरीर में प्रोटीन उपापचय को प्रभावित करता है। यह शरीर को प्रतिरक्षी क्रियाओं के लिए तैयार करता है।(iv) मिनरेलो कार्टीकॉएड्स (Minerallo Corticoids) – ये एड्रीनल कॉर्टेक्स के ग्लोमेरुलोसा स्तर से स्त्रावित होती है, ये हॉर्मोन रक्त में खनिज लवणों की मात्रा का नियमन का कार्य करते हैं।एड्रनल ग्रंथि के अल्प सक्रियता एवं अतिसक्रियता के कारण मानव शरीर में कई प्रकार के रोग होते हैं। जिनमें प्रमुख हैं- मधुमेह, शरीर में पानी की कमी, खनिज लवणों की कमी या अधिकता, प्रोटीन की कमी, पोटैशियम की कमी, पेशियों में जकड़न आदि।