दो अर्द्ध-गिल मिलकर एक पूर्ण-गिल (Holobranch) बनाते हैं। गिल तंतुओं में रुधिर केशिकाओं की प्रचुर आपूर्ति होती है। जिनसे जल के साथ गैसों का आदान-प्रदान होता है।स्कॉलियोडॉन (इलैस्मोब्रेक) की गिल संरचना सामान्य होती है, परन्तु अस्थिल मछलियों के गिल सामान्य रचना के समान होते हुए भी निम्नलिखित अन्तर प्रदर्शित करते हैं-(1) ऑपरकुलम (Operculum) - यह अस्थिल मछलियों में हॉयड आर्च (Hyoid arch) से मिलकर बनने वाली संरचना है, जो कि गिल्स को ऑपरकुलम गुहा (Opercular cavity) में ढँकता है। गुहा पीछे की ओर एक चन्द्राकार दरार बाह्य गिल छिद्र (External gill opening) द्वारा बाहर खुलती है।(2) इंटरबैंकियल सेप्टम (Inter-branchial septum) - इलैस्मोबँक में यह सबसे अच्छा विकसित होता है। टोलिओट्स में यह अत्यन्त हासित या लगभग अनुपस्थित होता है।(3) स्पाइकल्स (Spiracles) - इलैस्मोबैंक और गैनॉइड्स में मैण्डबुलर और हॉवड चापों के बीच स्थित प्रथम गिल - खाँच में एक हासित कूट गिल (Pseudobranch) होता है जो बाहर एक छोटे स्पाइरेकल (Spiracle) द्वारा खुलता है।(4) अर्द्ध गिल्स की संख्या (Number of demibranchs) - मछलियों में गिल्स की संख्या में बहुत अन्तर हो जाता है।गिल्स के प्रकार (Types of Gills)मछलियों में गिल्स निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -(i) लैमिलीफॉर्म गिल्स (Lamelliform gills) - इस तरह के गिल्स की संरचना का उदाहरण स्कॉलियोडॉन में पाया जाने वाला पूर्ण गिल्स है।(ii) फिलीफॉर्म (Filiform) - इस तरह के गिल में अन्तरागिल पट (Inter-branchial septum) या तो ह्वासित या अनुपस्थित होता है। यह टीलियोस्ट (Teleost) मछलियों में पाया जाता है।(iii) होलोसिफेलाई (Holocephali) - इसका उदाहरण काइमेरा में देखने को मिलता है। गिलसेप्टम अत्यन्त ही हासित होता है या अनुपस्थित होता है तथा दोनों अर्द्ध-गिल ऊपरी भाग में आपस में जुड़े हुए तथा नीचे की ओर स्वतन्त्र होते हैं।
(B) बाह्य गिल्स (External gills) - आन्तरिक गिल के विपरीत, बाह्य गिल ग्रसनी कोष्ठों के बजाय, गिल चापों की खुली बाह्य एपिथिलियम के शाखित उद्वर्धियों (Outgrowths) के रूप में बनते हैं। यह उत्पत्ति में एक्टोडर्मल होते हैं तथा केवल लावल अवस्थाओं में पाये जाने वाले अस्थायी अंग होते हैं इसकी संख्या भी अलग-अलग जन्तुओं में भिन्न-भिन्न होती है।