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पक्षियों में श्वसन अंग (Respiratory Organ of Birds in Hindi)

पक्षियों में श्वसन अंग वायवीय जीवन के अनुरूप अनुकूलित होते हैं। श्वसन अंग में निम्नलिखित संरचनाएँ आती हैं -1. नासारन्ध्र एवं नासा पथ (Nostrils and nasal passages) – झिर्री जैसे युग्मित बाह्य नासाछिद्र (External nares) चोंच के आधार पर स्थित होते हैं। ये कोमल एवं संवेदनशील झिल्ली से घिरे रहते हैं जिसे ऑपरकुलम (Operculum) या सीरी (Cere) कहते हैं। ये छोटे नेजल पैसेज (Nasal passage) से जुड़े रहते हैं। नेजल पैसेज फैरिक्स में आन्तरिक नासाछिद्रों (Internal nares) द्वारा डॉर्सल पेलेटल फोल्ड्स (Dorsal palatal folds) के मध्य खुलता है। ग्लॉटिस (Glottis) जीभ के आधार पर पाया जाता है तथा ट्रैकिया (Trachea) में खुलता है।2. लैरिंक्स (Larynx) - यह ट्रैकिया का प्रारम्भिक फैला हुआ आवाजहीन कोष्ठ है। इसे क्रिकॉइड कार्टिलेज (Cricoid cartilage) आधार प्रदान करती है। थायरॉइड कार्टिलेज एलं वोकल कॉर्डस (Vocal cords) अनुपस्थित होते हैं। अतः यह ध्वनि नहीं उत्पन्न कर सकता।3. ट्रैकिया (Trachea) – यह लम्बी नलिका है, जो कि गुलेट (Gullet) के अधर तल पर पूरी गर्दन में पायी जाती है। यह नलिका अनेक कार्टिलेजिनस ट्रैकियल छल्लों (Cartilaginous tracheal rings) द्वारा घिरी रहती है, जो आंशिक रूप से कैल्सीफाइड तथा ऑसीफाइड होती है।4. सिरिक्स (Syrinx) - सिरिंक्स या ध्वनि बॉक्स ट्रैकिया का मुड़ा हुआ दूरस्थ भाग है, जिसे तीन या चार ट्रैकियल और प्रथम बैंकियल रिंग्स (Branchial rings) आधार प्रदान करती है। इसकी चौड़ी गुहा टिम्यैनम (Tympanum) कहलाती है। इसको म्यूकस झिल्ली दोनों ओर गद्दी जैसी मोटाई बनाती है। दो ब्रोन्काई (Bronchi) के जोड़ पर कार्टिलेज की बार (Bar of cartilage) पाई जाती है, जिसे पेसुलस (Pessulus) कहते हैं।यह डॉसवेन्ट्रल साइड में आगे की ओर बढ़कर म्यूकस झिल्ली (Mucous membrane) की मुड़ी हुई झिल्ली को आधार प्रदान करती है। इस झिल्ली को मेम्ब्रेन सेमिल्युनेरिस (Membrane semilunaris) कहते हैं। इस झिल्ली के कम्पन्न ही आवाज एवं ध्वनि उत्पन्न करते हैं। ब्रोन्काई के अगले भाग को आस्तरित करने वाली झिल्ली को इण्टर्नल टिम्यैनीफॉर्म मेम्ब्रेन (Internal tympaniform membrane) कहते हैं। एक जोड़ा इण्ट्ििन्सक सिरिंजियल मांसपेशियाँ ट्रैकिया के पाश्वों से निकलती हैं तथा सिरिंक्स में धँसी रहती हैं और एक जोड़ा जुड़ी रहती हैं। यह मांसपेशियाँ टिम्मैनम के अन्दर उपस्थित झिल्ली के तनाव को नियन्त्रित करती हैं तथा आवाज की पिच (Pitch) को नियमित करती हैं।5. बोकाई (Bronchi) - दोनों ब्रोंकाई पर कुछ दूर तक ही कार्टिलेजिनस छल्ले पाये जाते हैं उसके पश्चात् ब्रोंकाई छल्लेविहीन होती है, जो कि दोनों फेफड़ों के अन्त तक जाती है। ब्रोंकाई का फेफड़ों के अन्दर का भाग मीसोब्रोंकस (Mesopbronchus) में विभाजित होता है, जो कि सेकेण्डरी या लेट्ल ब्रोंकाई (Secondary or Lateral bronchi) कहलाती है ये लेट्रल बोकाई पुनः बहुत पतली-पतली नलिकाओं में विभक्त हो जाती है, जो कि पैराब्रोंकाई (Parabronchi) या टर्शरी ब्रोंकाई (Tertiary bronchi) कहलाती है। पैराब्रोंकाई विभाजित होकर छोटी-छोटी एअर कोशिकाओं में विभक्त हो जाती है तथा रक्त कोशिकाओं के अत्यधिक सम्पर्क में आ जाती है।6. फेफड़े (Lungs) – ये छोटे, स्पंजी, लाल रंग के, रक्त वाहिका युक्त तथा थोरैसिक कशेरुका (Thoracic vertebra) और पसलियों (Ribs) से सटे रहते हैं। अधर तल पर ये प्लूरल या पल्मोनरी एपोन्यूरोसिस (Pleural or Pulmonary aponeurosis) द्वारा सुरक्षित रहते हैं। ये पंखे जैसी मांसपेशियों कॉस्टोपल्मोनरी मांसपेशियों (Costopulmonary muscles) द्वारा बनी होती हैं। फेफड़े ठोस होते हैं तथा श्वसन सतह पैराब्रोंकाई की आन्तरिक सतह द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। इनमें ऐल्बिओलाई (Alveoli) नहीं पायी जाती7. वायु कोष (Air sacs) - कबूतर में 9 एअर सैक पाये जाते हैं। ये सैक फेफड़ों के मुख्य ब्रोंकियल शाखाओं के सिरों पर लगे रहते हैं।(i) एक जोड़ा एब्डॉमिनल एअर सैक (A pair of abdominal air sacs) - ये एब्डॉमिनल कैविटी की पृष्ठ दीवार से सटे रहते हैं तथा किडनी की अधर तल पर फैले रहते हैं।(ii) एक जोड़ा पोस्टीरियर थोरैसिक एअर सैक (A pair of posterior thoracic air sacs) - ये घोरैसिक कैविटी के पिछली भाग में ऐब्डॉमिनल सैक के सामने पाये जाते हैं।(iii) एक जोड़ा ऐण्टीरियर थोरैसिक एयर सैक (A pair of anterior thoracic air sacs) – ये सीने के अगले भाग में पसलियों और पेरिकार्डियम से सटे हुए पाये जाते हैं।(iv) एक जोड़ा सरवाइकल एअर सैक (A pair of cervical air sacs) - ये गर्दन के आधार पर पाये जाते हैं।(v) एक मध्य इण्टरक्लेविकुलर (A median interclavicular) - यह फरकुला के दोनों पादों के बीच स्थित रहता है। इसके दोनों पाश्र्वों में एक-एक एक्सिलरी या एक्स्ट्राक्लेविकुलर सैक बगल (Arm pit) में पाया जाता है, जो कि ह्यूमरस की एअर कैविटी (Air cavity) से जुड़ा रहता है।वायु कोष के कार्य (Functions of air-sac)—(1) यह पक्षी के शरीर का वजन कम करते हैं।(2) शरीर को ठण्डा करके ताप को नियन्त्रित करते हैं।(3) ये वायु के भण्डार गृह (Store house) का कार्य करते हैं।(4) वायु कोष में हमेशा गैसों का आदान-प्रदान होता है, जिससे फेफड़ों की कार्य क्षमता अधिक होती है।